वाशिंगटन:
दुनिया का नंबर एक आतंकी रहा ओसामा बिन लादेन नहीं चाहता था मुस्लिम देशों में आतंकी हमलों में आम नागरिकों की हत्या हो। वह ऐसे हमलों में मुसलमानों के मारे जाने से दुखी था। ओसामा ने बकायदा अपने सूबेदारों को पत्र लिखकर इस मसले पर ध्यान देने के लिए कहा था और जरूरी हुआ तो हमलों पर रोक लगाने के लिए भी कहा था। मई 2010 में लिखे इस खत को अमेरिका ने गुरुवार को सार्वजनिक किया।
पिछले साल अमेरिकी कमांडो के एक दस्ते ने पाकिस्तान के ऐबटाबाद में ओसामा को उसी के ठिकाने पर मार गिराया था।
ओसामा ने अपने पत्र में लिखा कि अलकायदा के प्रति मुसलमानों का लगाव कम हुआ क्योंकि तमाम हमलों में मुसलमानों की हत्या हुई। इसलिए उसने कहा कि ऐसी गलतियां न की जाएं और जब तक बहुत जरूरी न हो कोई मुसलमान किसी हमले में मरने नहीं देने की ताकीद ओसामा ने की थी।
उसका मानना था कि अगर ऐसा नहीं हुआ तब वह तमाम युद्ध तो जीत सकते हैं लेकिन अंत में उनके हाथ हार ही लगेगी।
इस पत्र को अमेरिका के कॉम्बैटिंग टेररिज्म सेंटर ने जारी किया है। आज जारी कागज सितंबर 2006 से अप्रैल 2011 के बीच के हैं और कुल 175 पन्ने हैं जो अरबी भाषा में लिखे गए हैं।
पिछले साल अमेरिकी कमांडो के एक दस्ते ने पाकिस्तान के ऐबटाबाद में ओसामा को उसी के ठिकाने पर मार गिराया था।
ओसामा ने अपने पत्र में लिखा कि अलकायदा के प्रति मुसलमानों का लगाव कम हुआ क्योंकि तमाम हमलों में मुसलमानों की हत्या हुई। इसलिए उसने कहा कि ऐसी गलतियां न की जाएं और जब तक बहुत जरूरी न हो कोई मुसलमान किसी हमले में मरने नहीं देने की ताकीद ओसामा ने की थी।
उसका मानना था कि अगर ऐसा नहीं हुआ तब वह तमाम युद्ध तो जीत सकते हैं लेकिन अंत में उनके हाथ हार ही लगेगी।
इस पत्र को अमेरिका के कॉम्बैटिंग टेररिज्म सेंटर ने जारी किया है। आज जारी कागज सितंबर 2006 से अप्रैल 2011 के बीच के हैं और कुल 175 पन्ने हैं जो अरबी भाषा में लिखे गए हैं।
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