मैड्रिड:
ग्रीस के वित्त मंत्री यानिस वरोफकीस ने कर्जदाता देशों पर उनके देश के साथ 'आतंकवादी जैसा व्यवहार' करने का आरोप लगाया है। शनिवार को प्रकाशित एक इंटरव्यू में उन्होंने यह आरोप लगाया है। रविवार को ग्रीस में राहत पैकेज पर जनमत संग्रह होना है।
वरोफकीस ने स्पेन के अखबार अल मुंडो को बताया, ‘वे लोग ग्रीस के साथ जो कर रहे हैं, उसका नाम ‘आतंकवाद’ है। ब्रसेल्स एवं ट्रोइका आज जो चाहते हैं वह है जीतने के लिए मतदान, ताकि वे ग्रीस को जलील कर सकें।’
उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष, यूरोपीय केंद्रीय बैंक एवं यूरोपीय संघ के संदर्भ में कहा, ‘क्योंकि उन्होंने हमारे बैंकों को बंद कराने पर ध्यान केंद्रित कर रखा है। यह लोगों में भय पैदा करने के लिए है और भय फैलाने को आतंकवाद कहा जाता है।’
उधर ग्रीस के प्रधानमंत्री एलेक्सिस सिप्रास का शनिवार को एथेंस में हुई रैली में रॉक-स्टार की तरह स्वागत हुआ। उन्होंने जनमत संग्रह में यूरोपीय संघ के प्रस्ताव के खिलाफ मत देने का आह्वान किया ताकि अंतरराष्ट्रीय ऋणदाताओं के साथ बातचीत में उनका पक्ष मजबूत हो।
उन्होंने अपने जाने-पहचाने करिश्माई अंदाज में 25,000 लोगों को संबोधित करते हुए कहा ‘हम न केवल यूरोप में बने रहने का फैसला कर रहे हैं, बल्कि यूरोप में इज्जत के साथ जीने का फैसला कर रहे हैं।’
चालीस वर्षीय इस नेता ने कहा, ‘मैं आपसे अपील करता हूं कि आप धमकियों को ‘ना’ कहें और जो आपको डराने की कोशिश कर रहे हैं उनकी ओर पीठ फेर लें। कोई भी इस लगन और आशावाद को दरकिनार नहीं कर सकता।’ उनकी रैलीस्थल से 800 मीटर की दूरी पर प्रतिद्वंद्वियों की रैली में इकट्ठा 20,000 लोग यूरोप समर्थक नारे लगा रहे थे और सिप्रास की मंशा सफल रहने की स्थिति में यूरो क्षेत्र से तथाकथित ‘ग्रेक्जिट’ (ग्रीस का यूरोपीय क्षेत्र से बाहर निकलने) की आशंका के सुर बुलंद कर रहे थे।
निकोस नाम के एक डॉक्टर ने कहा, ‘यूरो क्षेत्र से बाहर सिर्फ मुश्किलें हैं।’ विश्वविद्यालय के एक सेवानिवृत्त प्रोफेसर जॉर्ज कोप्टोपूलस ने कहा, ‘ऐसे नहीं चल सकता। हमारी सरकार हमारे लिए बोझ बन गई है।’ मंगलवार को ग्रीस के लिए अंतरराष्ट्रीय सहायता पैकेज की अवधि खत्म होने के बाद बैंकों से रोजाना सिर्फ 60 यूरो निकालने संबंधी पाबंदी के बाद काफी बड़ी आबादी यूरोपीय संघ के प्रस्ताव के पक्ष में हो गई है।
सिप्रास का कहना है कि जनमत संग्रह आवश्यक है ताकि ऋणदाताओं को एक और दौर के राहत पैकेज जारी करने संबंधी मांग को मानने के लिए मजबूर किया जा सके, ताकि ग्रीस को वित्तीय मंदी और यूरो क्षेत्र से बाहर निकलने की आशंका से बचाया जा सके।
वरोफकीस ने स्पेन के अखबार अल मुंडो को बताया, ‘वे लोग ग्रीस के साथ जो कर रहे हैं, उसका नाम ‘आतंकवाद’ है। ब्रसेल्स एवं ट्रोइका आज जो चाहते हैं वह है जीतने के लिए मतदान, ताकि वे ग्रीस को जलील कर सकें।’
उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष, यूरोपीय केंद्रीय बैंक एवं यूरोपीय संघ के संदर्भ में कहा, ‘क्योंकि उन्होंने हमारे बैंकों को बंद कराने पर ध्यान केंद्रित कर रखा है। यह लोगों में भय पैदा करने के लिए है और भय फैलाने को आतंकवाद कहा जाता है।’
उधर ग्रीस के प्रधानमंत्री एलेक्सिस सिप्रास का शनिवार को एथेंस में हुई रैली में रॉक-स्टार की तरह स्वागत हुआ। उन्होंने जनमत संग्रह में यूरोपीय संघ के प्रस्ताव के खिलाफ मत देने का आह्वान किया ताकि अंतरराष्ट्रीय ऋणदाताओं के साथ बातचीत में उनका पक्ष मजबूत हो।
उन्होंने अपने जाने-पहचाने करिश्माई अंदाज में 25,000 लोगों को संबोधित करते हुए कहा ‘हम न केवल यूरोप में बने रहने का फैसला कर रहे हैं, बल्कि यूरोप में इज्जत के साथ जीने का फैसला कर रहे हैं।’
चालीस वर्षीय इस नेता ने कहा, ‘मैं आपसे अपील करता हूं कि आप धमकियों को ‘ना’ कहें और जो आपको डराने की कोशिश कर रहे हैं उनकी ओर पीठ फेर लें। कोई भी इस लगन और आशावाद को दरकिनार नहीं कर सकता।’ उनकी रैलीस्थल से 800 मीटर की दूरी पर प्रतिद्वंद्वियों की रैली में इकट्ठा 20,000 लोग यूरोप समर्थक नारे लगा रहे थे और सिप्रास की मंशा सफल रहने की स्थिति में यूरो क्षेत्र से तथाकथित ‘ग्रेक्जिट’ (ग्रीस का यूरोपीय क्षेत्र से बाहर निकलने) की आशंका के सुर बुलंद कर रहे थे।
निकोस नाम के एक डॉक्टर ने कहा, ‘यूरो क्षेत्र से बाहर सिर्फ मुश्किलें हैं।’ विश्वविद्यालय के एक सेवानिवृत्त प्रोफेसर जॉर्ज कोप्टोपूलस ने कहा, ‘ऐसे नहीं चल सकता। हमारी सरकार हमारे लिए बोझ बन गई है।’ मंगलवार को ग्रीस के लिए अंतरराष्ट्रीय सहायता पैकेज की अवधि खत्म होने के बाद बैंकों से रोजाना सिर्फ 60 यूरो निकालने संबंधी पाबंदी के बाद काफी बड़ी आबादी यूरोपीय संघ के प्रस्ताव के पक्ष में हो गई है।
सिप्रास का कहना है कि जनमत संग्रह आवश्यक है ताकि ऋणदाताओं को एक और दौर के राहत पैकेज जारी करने संबंधी मांग को मानने के लिए मजबूर किया जा सके, ताकि ग्रीस को वित्तीय मंदी और यूरो क्षेत्र से बाहर निकलने की आशंका से बचाया जा सके।