गार्जियन के अनुसार छोटे मिसौरी शहर में एक कैथोलिक नन के शव को देखने के लिए सैकड़ों पर्यटक एक मठ में आ रहे हैं, जो उसकी मृत्यु के लगभग चार साल बाद भी सही सलामत स्थिति में था.
कैथोलिक समाचार एजेंसी के अनुसार, सिस्टर विल्हेल्मिना लैंकेस्टर का 29 मई, 2019 को 95 वर्ष की आयु में निधन हो गया था. उन्हें लकड़ी के ताबूत में दफनाया गया था. वहीं, 18 मई, 2023 को उनके शरीर को कब्र से निकाला गया, ताकि इसे एक मठ चैपल में अपने अंतिम विश्राम स्थल पर ले जाया जा सके, जो संस्थापकों के लिए एक प्रथा है.
ताबूत खोलने पर, सिस्टर्स यह देखकर दंग रह गईं कि कब्र से निकाले गए शरीर में सड़ने के कोई निशान नहीं थे. नन का शरीर मोल्ड की परत से ढका हुआ था. सीलन के बावजूद, चार साल के दौरान उसके शरीर का केवल थोड़ा सा ही हिस्सा खराब हुआ था.
नाम ना छापने की शर्त पर सिस्टर्स में से एक ने न्यूजवीक को बताया, "हमें कब्रिस्तान कर्मियों द्वारा कहा गया था कि ऐसी परिस्थितियों में सिर्फ हड्डियों की अपेक्षा करें, क्योंकि सिस्टर विल्हेल्मिना को बिना संलेपन के और एक साधारण लकड़ी के ताबूत में दफनाया गया था."
सिस्टर ने कहा, "गंदगी के कारण उनके चेहरे को थोड़ा असर पहुंचा था, विशेष रूप से दाहिनी आंख पर. इसलिए हमने उसके ऊपर एक मोम का मुखौटा लगाया. लेकिन उसकी पलकें, बाल, भौहें, नाक और होंठ सभी मौजूद थे. देखकर ऐसा लग रहा था कि वो अब बस मुस्कुराने ही वाली हैं."
कैथोलिक धर्म में, एक शरीर जो मृत्यु के बाद सामान्य क्षय का विरोध करता है, उसे अस्थिर माना जाता है. कैथोलिक समाचार एजेंसी के अनुसार, "अविनाशी संत शरीर के पुनरुत्थान और आने वाले जीवन की सच्चाई का गवाह देते हैं".
जैसे ही यह खबर फैली, लोग उसके अवशेषों की एक झलक पाने के लिए भिक्षुणी विहार में आने लगे, कई लोगों ने इसे 'मिसौरी का चमत्कार' कहा.
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