फ्रांस के महान शासक नेपोलियन बोनापार्ट (लव लेटर) की ताजपोशी और उनके विवाह (Napoleon Bonaparte Wedding) सहित कई युद्धों एवं क्रांतियों का गवाह बने नोट्रे-डेम गिरजाघर (Notre Dame Church) को न केवल गॉाथिक कला की सर्वश्रेष्ठ कलाकृति का नमूना माना जाता है. बल्कि पाश्चात्य जगत की वास्तुकला के सर्वश्रेष्ठ रत्न के रूप में इसकी पहचान संसार भर में बनी हुई है.
इस गिरजाघर की भित्तियां बोनापार्ट की 1804 में यहां हुई ताजपोशी और फिर 1810 में उनकी शादी का भव्य समारोह की गाथाएं सुनातीं हैं. इतिहास के चंद लम्हों को खुद में समेटने वाली यह भव्य इमारत महज यहीं तक सीमित नहीं है बल्कि युगों की प्रतिध्वनि इसमें देखीसुनी जा सकती है. विशेषज्ञों का कहना है कि यह कई सदियों की कला संगम है.
मध्ययुगीन कला की मर्मज्ञ एवं ‘मेट क्लोइस्टर्स' में शिक्षक नैन्सी वू ने कहा, ‘‘इसके निर्माण में विभिन्न युगों का सौंदर्य आपस में घुला हुआ है. इनका मिश्रण बहुत ही अधिक माधुर्य से परिपूरित है.''
इस अनूठे गिरजाघर में हुये 15 अप्रैल को हुए भयावह अग्निकांड से इस इमारत को नुकसान पहुंचा है. इससे कला के जानकारों और इतिहासकारों को गहरा सदमा पहुंचा है.
देखिए नोट्रे-डेम चर्च की ये तस्वीरें...
There goes hundreds of years of history. Fire engulfed the Norte Dame Cathedral in Paris pic.twitter.com/UY3Y6fKJQ9
— DRIAN BAUTISTA (@Drian_Bautista) April 16, 2019
वाशिंगटन के कैथोलिक विश्वविद्यालय में वास्तुकला एवं योजना स्कूल में प्रोफेसर जूलियो बरमूडेज ने कहा, ‘‘ कैथेड्रल के कई ऐसी चीजे हैं जो न केवल प्रसिद्ध हैं बल्कि धार्मिक रूप से भी महत्वपूर्ण हैं.''
उन्होंने कहा कि इसके ढांचे की सूक्ष्मता लोगों का ध्यान अपनी ओर ध्यान तो खींचती ही है साथ ही दांतों तले अंगुली दबाने पर मजबूर करने वाली रंगीन खिड़कियां और विशिष्ट ढंग से बाहरी दीवारों पर किसर गया बड़ा सूक्ष्म काम भी अपनी ओर बरबस ही खींच लेता है.
इस आगजनी में कई अनुपम और दुर्लभ कलाकृतियों को नुकसान पहुंचा है और संभवतया इनमें से एक है ईसामसीह का कांटों का ताज.
उन्होंने कहा, ‘‘ ईसाई धर्म के अनुयायी मानते हैं कि यह वही ताज है जिसे ईसा मसीह को सिर पर पहनाया गया था. उसे बेहद सुरक्षित स्थान पर रखा जाता है, लेकिन आपको पता है कि आग बेहद भीषण थी.''
एक अन्य प्रस्तरकला विशेषज्ञ के शब्दों में यह, ‘‘सभ्यता के सर्वोत्तम स्मारकों में एक'' है. इसमें आग लगने से विश्व की इस ऐतिहासिक थाती को गहरा नुकसान पहुंचा है. इस घटना से कई कलामर्मज्ञ स्वयं को आहत सा महसूस कर रहे हैं और उनकी आंखों में नमी सूखने का नाम नहीं ले रही.
न्यूयार्क के ‘मेट्रोपॉलिटन म्यूज़ियम ऑफ़ आर्ट' एक वरिष्ठ क्यूरेटर बारबरा ड्रेक बोहेम ने रूंधे गले से कहा, ‘‘सभ्यता बहुत ही क्षणभंगुर है.''
बारबरा ने कहा, ‘‘यह प्रस्तर निर्मित महान विशाल स्मारक 1163 (लगभग 900 साल पुराना)) से अपनी जगह पर खड़ा है. तब से इसने अनेक झंझावत देखे. यह केवल एक पत्थरों का संगम भर नहीं है, एक शीशे का टुकड़ा नहीं है - यह संपूर्णता है. वह अपनी बात में सही शब्दों की तलाश करती दिखीं ताकि वह इस कैथेड्रल की प्रासंगिकता को सही ढंग से अभिव्यक्त कर सकें.
उन्होंने कहा, ‘‘ यह पेरिस की आत्मा है, लेकिन यह सिर्फ फ्रांस के लोगों का नहीं है. यह पूरी मानवजाति के लिए है, यह सभ्यता की सर्वश्रेष्ठ धरोहरों में से एक है.''
‘नोट्रे-डेम' का निर्माण 12वीं सदी में शुरू हुआ था, जो करीब 200 वर्ष तक चला. फ्रांस क्रांति के दौरान यह क्षतिग्रस्त भी हुआ. सन 1831 में विक्टर ह्यूगो के उपन्यास ‘द हंचबैक ऑफ नोट्रे-डेम' के प्रकाशन के बाद इसने लोगों का ध्यान एक बार फिर आकर्षित किया.
इसके बाद गिरिजाघर के प्रसिद्ध फ्लाइंग बट्रेस और एक पुनर्निर्मित शिखर सहित इसके पुनर्निर्माण में दो दशक का समय लगा.
फ्रांस की मीडिया के अनुसार आग लगने के कारणों का अभी पता नहीं चल पाया है, लेकिन कैथेड्रल में मरम्मत का नाम चल रहा था और दमकल विभाग का कहना है कि यह आग लगने की एक वजह हो सकती है.
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