प्योंगयांग:
उत्तर कोरिया का शुक्रवार को किया गया रॉकेट प्रक्षेपण विफल हो गया है। इसके साथ ही उसका उपग्रह अपनी कक्षा में प्रवेश नहीं कर सका है। दक्षिण कोरिया ने इसे उत्तर कोरिया का बैलिस्टिक मिसाइल परीक्षण कहा है। सरकारी केसीएनए समाचार एजेंसी ने यह जानकारी दी है।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक प्रक्षेपण विफल होने के बाद अब वैज्ञानिक व तकनीशियन इसकी विफलता के कारण खोज रहे हैं। दक्षिण कोरिया ने शुक्रवार को कहा कि उत्तर कोरिया को कथिततौर पर असफल लम्बी दूरी के रॉकेट प्रक्षेपण की जिम्मेदारी लेनी पड़ेगी। इससे संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंध का उल्लंघन हुआ है।
दक्षिण कोरियाई रक्षा मंत्रालय के मुताबिक 90 टन वजनी उन्हा-3 रॉकेट सुबह 7.39 बजे टांगचांग-री से प्रक्षेपित किया गया था लेकिन वह 20 टुकड़ों में टूटकर समुद्र में गिर गया। प्रक्षेपण के एक-दो मिनट बाद ही यह घटना हुई। दक्षिण कोरियाई मंत्रालय ने इस प्रक्षेपण को बैलिस्टिक मिसाइल परीक्षण व गम्भीर खतरा बताते हुए कहा कि टूटे हुए रॉकेट के टुकड़े दक्षिण कोरिया के पश्चिमी बंदरगाह शहर गुनसान से करीब 100 से 150 किलोमीटर की दूरी पर पानी में गिरे हैं।
गौरतलब है कि दक्षिण कोरिया व जापान ने चेतावनी दी थी कि यदि रॉकेट उनके सीमा क्षेत्र में आया तो वे उस पर हमला कर उसे गिरा देंगे लेकिन रॉकेट का मलबा अंतर्राष्ट्रीय जल क्षेत्र में गिरा।
उत्तर कोरिया की ओर से कहा गया है कि देश के संस्थापक पिता किम 2-संग की 15 अप्रैल को जन्मशताब्दी के अवसर पर अंतरिक्ष में उपग्रह पहुंचाने के लिए यह रॉकेट प्रक्षेपण किया गया। उसने कहा कि यह रॉकेट प्रक्षेपण शांतिपूर्ण कार्यों के लिए है और अन्य देश इससे प्रभावित नहीं होंगे।
दक्षिण कोरिया, अमेरिका व अन्य देश इस प्रक्षेपण को लम्बी दूरी के बैलिस्टिक मिसाइल परीक्षण के रूप में देख रहे हैं, जो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्वीकृत प्रस्ताव का उल्लंघन है। इसके अलावा इससे उत्तर कोरिया व अमेरिका के बीच हाल ही में हुए एक समझौते का भी उल्लंघन होता है। इस समझौते में अमेरिका की ओर से खाद्य सहायता की बात कही गई थी तो उत्तर कोरिया ने अपने परमाणु व मिसाइल परीक्षण रोकने के लिए कहा था।
राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की बैठक के बाद दक्षिण कोरियाई विदेश मंत्री किम संग-हान ने एक वक्तव्य जारी कर कहा, "उत्तर कोरिया का लम्बी दूरी का मिसाइस प्रक्षेपण स्पष्ट रूप से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की प्रस्ताव संख्या 1874 का उल्लंघन है जबकि इसमें बैलिस्टिक मिसाइल प्रौद्योगिकी से सम्बद्ध सभी प्रक्षेपणों पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। यह उकसाने वाला कृत्य है, जो कोरियाई प्रायद्वीप व पूर्वोत्तर एशिया की सुरक्षा के लिए खतरनाक है।" बैठक में राष्ट्रपति ली म्युंग-बाक भी मौजूद थे।
किम ने कहा, "उत्तर कोरिया को इस प्रक्षेपण की जिम्मेदारी लेनी होगी।" उन्होंने कहा कि दक्षिण कोरियाई सरकार को अपने उत्तरी पड़ोसी की ओर से उत्पन्न सम्भावित परमाणु व मिसाइल खतरों पर व्यापक प्रतिक्रिया की उम्मीद है।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक प्रक्षेपण विफल होने के बाद अब वैज्ञानिक व तकनीशियन इसकी विफलता के कारण खोज रहे हैं। दक्षिण कोरिया ने शुक्रवार को कहा कि उत्तर कोरिया को कथिततौर पर असफल लम्बी दूरी के रॉकेट प्रक्षेपण की जिम्मेदारी लेनी पड़ेगी। इससे संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंध का उल्लंघन हुआ है।
दक्षिण कोरियाई रक्षा मंत्रालय के मुताबिक 90 टन वजनी उन्हा-3 रॉकेट सुबह 7.39 बजे टांगचांग-री से प्रक्षेपित किया गया था लेकिन वह 20 टुकड़ों में टूटकर समुद्र में गिर गया। प्रक्षेपण के एक-दो मिनट बाद ही यह घटना हुई। दक्षिण कोरियाई मंत्रालय ने इस प्रक्षेपण को बैलिस्टिक मिसाइल परीक्षण व गम्भीर खतरा बताते हुए कहा कि टूटे हुए रॉकेट के टुकड़े दक्षिण कोरिया के पश्चिमी बंदरगाह शहर गुनसान से करीब 100 से 150 किलोमीटर की दूरी पर पानी में गिरे हैं।
गौरतलब है कि दक्षिण कोरिया व जापान ने चेतावनी दी थी कि यदि रॉकेट उनके सीमा क्षेत्र में आया तो वे उस पर हमला कर उसे गिरा देंगे लेकिन रॉकेट का मलबा अंतर्राष्ट्रीय जल क्षेत्र में गिरा।
उत्तर कोरिया की ओर से कहा गया है कि देश के संस्थापक पिता किम 2-संग की 15 अप्रैल को जन्मशताब्दी के अवसर पर अंतरिक्ष में उपग्रह पहुंचाने के लिए यह रॉकेट प्रक्षेपण किया गया। उसने कहा कि यह रॉकेट प्रक्षेपण शांतिपूर्ण कार्यों के लिए है और अन्य देश इससे प्रभावित नहीं होंगे।
दक्षिण कोरिया, अमेरिका व अन्य देश इस प्रक्षेपण को लम्बी दूरी के बैलिस्टिक मिसाइल परीक्षण के रूप में देख रहे हैं, जो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्वीकृत प्रस्ताव का उल्लंघन है। इसके अलावा इससे उत्तर कोरिया व अमेरिका के बीच हाल ही में हुए एक समझौते का भी उल्लंघन होता है। इस समझौते में अमेरिका की ओर से खाद्य सहायता की बात कही गई थी तो उत्तर कोरिया ने अपने परमाणु व मिसाइल परीक्षण रोकने के लिए कहा था।
राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की बैठक के बाद दक्षिण कोरियाई विदेश मंत्री किम संग-हान ने एक वक्तव्य जारी कर कहा, "उत्तर कोरिया का लम्बी दूरी का मिसाइस प्रक्षेपण स्पष्ट रूप से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की प्रस्ताव संख्या 1874 का उल्लंघन है जबकि इसमें बैलिस्टिक मिसाइल प्रौद्योगिकी से सम्बद्ध सभी प्रक्षेपणों पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। यह उकसाने वाला कृत्य है, जो कोरियाई प्रायद्वीप व पूर्वोत्तर एशिया की सुरक्षा के लिए खतरनाक है।" बैठक में राष्ट्रपति ली म्युंग-बाक भी मौजूद थे।
किम ने कहा, "उत्तर कोरिया को इस प्रक्षेपण की जिम्मेदारी लेनी होगी।" उन्होंने कहा कि दक्षिण कोरियाई सरकार को अपने उत्तरी पड़ोसी की ओर से उत्पन्न सम्भावित परमाणु व मिसाइल खतरों पर व्यापक प्रतिक्रिया की उम्मीद है।
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