नोबेल शांति पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी और मलाला यूसुफजई ने आज कहा कि भरोसा और दोस्ती दक्षिण एशिया में स्थाई शांति की कुंजी हैं। इसके साथ ही दोनों ने भारत और पाकिस्तान के नेताओं से अमन को गले लगाने की अपील की। इस बार का नोबेल शांति पुरस्कार सत्यार्थी और 17 साल की पाकिस्तानी कार्यकर्ता मलाला को संयुक्त रूप से दिया जा रहा है।
पुरस्कार समारोह की पूर्व संध्या पर इस बार के नोबेल शांति पुरस्कार विजेता और 'बचपन बचाओ आंदोलन' के कर्ता-धर्ता 60 वर्षीय सत्यार्थी ने कहा, 'विश्वास और मित्रता भारत और पाकिस्तान के बीच स्थाई शांति के लिए अहम है।'
सत्यार्थी ने कहा, 'मेरे लिए भारत और पाकिस्तान के लोगों के बीच संबंध दोनों प्रधानमंत्रियों के बीच बातचीत से ज्यादा महत्वपूर्ण है।' उन्होंने कहा कि वह भारत और पाकिस्तान तथा दूसरे देशों में भी इसको लेकर प्रयास करेंगे कि युवक और बच्चे कैसे साथ मिलकर अमन की राह पर चल सकते हैं।
उन्होंने कहा, 'शांति ऐसी कोई चीज नहीं है कि उसको लेकर सिर्फ मेज पर बातचीत हो सकती और इसे स्थाई बनाया जा सकता है और न ही ऐसी कोई चीज मंदिरों और मस्जिदों में पढ़ाई जा सके। शांति हर बच्चे का बुनियादी और मानवाधिकार है।'
सत्यार्थी के विचारों का समर्थन करते हुए मलाला ने कहा, 'भारत और पाकिस्तान को अमन को गले लगाने की जरूरत है।' मलाला ने कहा, 'अगर हम बच्चों को सहिष्णुता, धर्य और शांति के बारे में शिक्षा देते हैं तो खुदा के करम से भारत और पाकिस्तान के बीच अच्छे रिश्ते होंगे और हम फिर से भाइयों की तरह होंगे।' उन्होंने कहा कि भारत और पाकिस्तान के बच्चों को तालीम मिलने के बाद ही दोनों मुल्कों के रिश्तों में सुधार होगा।
सबसे कम उम्र की नोबेल पुरस्कार विजेता मलाला ने कहा कि यह उनकी ख्वाहिश थी कि पुरस्कार समारोह में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शामिल हों।
उन्होंने कहा, 'यह मेरी ख्वाहिश थी कि वे यहां साथ खड़े होते और अमन के बारे में बात करते। यह बहुत बड़ी चीज होती।'
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