- वेनेजुएला की विपक्षी नेता मारिया कोरिना मचाडो ने लगभग एक साल बाद सार्वजनिक रूप से सामने आई हैं
- मचाडो 11 दिसंबर को नॉर्वे की राजधानी ओस्लो पहुंचीं, जहां उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार मिलना था
- लेट होने के कारण मचाडो व्यक्तिगत रूप से पुरस्कार नहीं ले पाईं, उनकी बेटी ने उनकी ओर से पुरस्कार स्वीकार किया
वेनेजुएला की विपक्षी नेता और 2025 के लिए शांति का नोबेल पुरस्कार जीतने वाली मारिया कोरिना मचाडो आखिरकार दुनिया के सामने आ गई हैं. अपनी जान बचाने के लिए पिछले एक साल से छुपकर जिंदगी गुराज रही मचाडो गुरुवार, 11 दिसंबर को नॉर्वे की राजधानी ओस्लो पहुंच गईं. यहां मचाडो को उनका नोबेल मेडल दिया जाना था लेकिन उनके आते-आते देर हो गई. मचाडो की जगह उनकी बेटी ने पुरस्कार लिया. मचाडो अपने होटल की बालकनी से फैंस के प्यार को स्वीकार करती नजर आईं, उनके चेहरे पर मुस्कान और उत्साह साफ नजर आ रहा था.
हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि मचाडो सबसे छुपकर नॉर्वे तक की यात्रा करने में कैसे कामयाब रही. सवाल यह भी है कि क्या वह वापस वेनेजुएला जाएंगी, जहां कि सरकार ने उन्हें भगोड़ा मान लिया है. BBC से उन्होंने कहा, "बेशक मैं (वेनेजुएला) वापस जा रही हूं... मुझे अच्छे से पता है कि मैं क्या जोखिम उठा रही हूं. मैं उस स्थान पर रहूंगी जहां मैं अपने मकसद के लिए सबसे अधिक उपयोगी रहूंगी. कुछ समय पहले तक, मुझे लगता था मुझे वेनेजुएला में होना चाहिए, आज मुझे लगा कि मुझे ओस्लो में होना चाहिए."
लेकिन देर हो गई
नोबेल संस्थान ने कहा कि मचाडो ने पुरस्कार लेने के समारोह में आने के लिए अपनी शक्ति में जो कुछ था, सब किया. उन्होंने अत्यधिक खतरे की स्थिति में यात्रा की. लेकिन आखिर में देर हो गई. वह व्यक्तिगत रूप से अपना पुरस्कार नहीं ले पाईं. मचाडो की जगह उनकी बेटी ने अपनी मां की ओर से पुरस्कार स्वीकार किया और मां की तरह ही बिना डरे वेनेजुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो की सरकार की तीखी आलोचना की.
भले देर हो गई लेकिन आधी रात में मचाडो ग्रैंड होटल की बालकनी में आईं और नीचे खड़े अपने समर्थकों को हाथ हिलाते हुए फ्लाइंग किस देती नजर आईं. जनवरी 2025 के बाद यह पहली बार था जब उन्हें सार्वजनिक रूप से देखा गया था. AFP के पत्रकारों के अनुसार, उन्हें देखकर खुश हुई भीड़ ने जवाब में "लिबर्टाड" (स्वतंत्रता) के नारे लगाए.
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