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This Article is From Sep 22, 2015

'नेपाल भारत की 'जी हुजूरी' करने वाला नहीं, बल्कि अच्छा दोस्त बनना चाहता है'

'नेपाल भारत की 'जी हुजूरी' करने वाला नहीं, बल्कि अच्छा दोस्त बनना चाहता है'
प्रतीकात्मक फोटो
काठमांडो: नेपाल के प्रमुख राजनेताओं ने सोमवार को भारत और चीन के साथ अच्छे रिश्ते रखने की वकालत की। वहीं माओवादी प्रमुख प्रचंड ने  कहा कि नेपाल भारत का अच्छा दोस्त बनना चाहता है, लेकिन उसकी जी हुजूरी करने वाला नहीं बनना चाहता।

नेपाल में भारतीय सीमा से लगे अनेक हिस्सों में नए संविधान को लेकर हिंसक प्रदर्शनों पर भारत द्वारा कल चिंता जताये जाने के एक दिन बाद प्रचंड ने यह बात कही। संविधान के लागू करने के मौके पर यहां तुंडीखेल मैदान में आयोजित संयुक्त रैली को संबोधित करते हुए प्रचंड ने कहा कि नेपाल भारत की चिंताओं पर ध्यान देने को तैयार है लेकिन उसे भी ऐसा ही करना चाहिए।

अपने भारत विरोधी रख के लिए पहचान पाने वाले माओवादी प्रमुख ने कहा कि भारत और चीन को संविधान के लागू होने के इस ऐतिहासिक क्षण का स्वागत करना चाहिए।

साल 2006 में शांति प्रक्रिया में शामिल होने से पहले नेपाल में करीब एक दशक तक असैन्य संघर्ष की अगुवाई करने वाले प्रचंड ने कहा, ‘‘मुझे उम्मीद है कि भारत और चीन इस ऐतिहासिक उपलब्धि के प्रति खास सम्मान दिखाएंगे।’’ उन्होंने कहा, ‘‘अच्छे दोस्त के तौर पर नेपाल भारत की वास्तविक चिंताओं और हितों का सम्मान करेगा और भारत से इसी तरह के रख की उम्मीद करता है।’’

इसी सभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री सुशील कोइराला ने कहा कि नेपाल दोनों पड़ोसी देशों भारत और चीन के साथ सौहार्दपूर्ण रिश्ते रखकर आगे बढ़ना चाहता है। उन्होंने नये संविधान की रचना पर समर्थन के लिए भारत और चीन समेत अंतरराष्ट्रीय समुदाय का शुक्रिया अदा किया।

सीपीएन-यूएमएल के अध्यक्ष के पी शर्मा ओली ने भी पड़ोसियों से मित्रवत रिश्तों की वकालत की। इस बीच नेपाल में भारत के राजदूत रंजीत राय ने आज भारत सरकार को यहां के ताजा हालात के बारे में जानकारी दी।

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