भारतीय सेना के जवान भूकंप से प्रभावित लोगों की मदद करते हुए
काठमांडू:
भारतीय राजदूत ने सोमवार को कहा कि नेपाल में भूकंप के 2,600 से ज्यादा पीड़ितों का भारतीय मेडिकल टीमें अब तक इलाज कर चुकी हैं। उन्होंने विदेश में प्राकृतिक आपदा आने पर भारत की पहल के तहत अब तक के सबसे बड़े राहत कार्य का ब्योरा मुहैया करते हुए यह कहा।
नेपाल में नियुक्त भारतीय राजदूत रंजीत राय ने बताया कि बरपक में 1,170 पीड़ितों का इलाज किया जा चुका है। उन्होंने भारत द्वारा किए गए बचाव एवं राहत कार्य के बारे में अंतरराष्ट्रीय समुदाय को जानकारी देते हुए यह बात कही।
राय ने कहा, 'विदेश में हुई प्राकृतिक आपदा की प्रतिक्रिया में ‘ऑपरेशन मैत्री’ भारत द्वारा अब तक का सबसे बड़ा सहयोग अभियान है। यह न सिर्फ भारत में गहरी राजनीतिक प्रतिबद्धता का बल्कि भारत के लोगों और नेपाल की सीमा से लगे दर्जन भर से अधिक राज्यों के जबरदस्त सहयोग का प्रतिनिधित्व करता है।'
उन्होंने भारत के रुख को दोहराते हुए कहा कि भारत नेपाल सरकार को उसकी जरूरत के हिसाब से किसी भी सहयोग की पेशकश करने को तैयार है। भारत द्वारा किए जा रहे बचाव कार्यों की भारत में करीबी निगरानी हो रही है तथा अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ मिलकर पूरे तालमेल के साथ भी बचाव कार्य किए जा रहे हैं।
नेपाल में आए विनाशकारी भूकंप के बाद भारत ने सबसे पहले वायुसेना के विमान को भेजा। साथ ही एनडीआरएफ की बचाव टीमों और राहत सामग्री को भूकंप आने के छह घंटे के अंदर भेज दिया गया था।
इसके बाद, वायुसेना की 32 उड़ानें 520 टन राहत सामग्री लेकर पहुंची जिनमें तंबू, कंबल, दवाइयां, खाना पकाने से संबंधित सामग्री, भोजन, पानी, भारी इंजीनियरिंग उपकरण, एंबुलेंस, आरओ प्लांट, ऑक्सीजन जेनरेटर, 18 मेडिकल टीमों के साथ दो पूर्णतया आर्मी फील्ड अस्पताल, 18 आर्मी इंजीनियरिंग टीमें और 16 एनडीआरएफ टीमें शामिल थी।
ये टीमें अपनी तैनाती के बाद से नेपाल सरकार के साथ करीबी तालमेल करते हुए चौबीसों घंटे काम कर रही हैं।
नेपाल में भारतीय दूतावास के बयान में बताया गया है कि एम्स की 31 सदस्यीय एक टीम और गुजरात की एक मेडिकल टीम काठमांडू में नेशनल ट्रॉमा केंद्र में काम कर रही हैं। शांतिकुंज हरिद्वार से 11 चिकित्सकों की एक टीम को काठमांडू के प्रभावित इलाकों में तैनात किया गया है।
हरियाणा और पंजाब की दो टीमों ने भक्तपुर और कुपोंडोल में लंगर शुरू किया है, जहां 10,000 से अधिक लोगों को रोज खाना खिलाया जा रहा है। 4,500 टन राहत सामग्री लेकर 450 ट्रक उत्तर प्रदेश और बिहार सरकारों और एनजीओ के साथ नेपाल पहुंचे।
इसके अलावा सोमवार को 18 ट्रकों में 100 टन खाद्य एवं राहत सामग्री तथा एक एंबुलेंस में 5,000 रक्त जांच किट उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा भेजी गई, जिन्हें दूतावास ने काठमांडू में अधिकारियों को सौंप दिया।
विदेशी बचाव टीमों को देश छोड़ने को नेपाल सरकार द्वारा कहे जाने पर प्रतिक्रिया देते हुए भारतीय दूतावास के प्रवक्ता ने कहा, 'हमें इस बारे में नेपाल सरकार से एक पत्र मिला है और हमारी बचाव टीमें शीघ्र ही देश से रवाना हो रही हैं। नेपाल सरकार ने ऐसा ही पत्र दूसरे सभी देशों के दूतावासों को भी जारी किया है।'
नेपाल में नियुक्त भारतीय राजदूत रंजीत राय ने बताया कि बरपक में 1,170 पीड़ितों का इलाज किया जा चुका है। उन्होंने भारत द्वारा किए गए बचाव एवं राहत कार्य के बारे में अंतरराष्ट्रीय समुदाय को जानकारी देते हुए यह बात कही।
राय ने कहा, 'विदेश में हुई प्राकृतिक आपदा की प्रतिक्रिया में ‘ऑपरेशन मैत्री’ भारत द्वारा अब तक का सबसे बड़ा सहयोग अभियान है। यह न सिर्फ भारत में गहरी राजनीतिक प्रतिबद्धता का बल्कि भारत के लोगों और नेपाल की सीमा से लगे दर्जन भर से अधिक राज्यों के जबरदस्त सहयोग का प्रतिनिधित्व करता है।'
उन्होंने भारत के रुख को दोहराते हुए कहा कि भारत नेपाल सरकार को उसकी जरूरत के हिसाब से किसी भी सहयोग की पेशकश करने को तैयार है। भारत द्वारा किए जा रहे बचाव कार्यों की भारत में करीबी निगरानी हो रही है तथा अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ मिलकर पूरे तालमेल के साथ भी बचाव कार्य किए जा रहे हैं।
नेपाल में आए विनाशकारी भूकंप के बाद भारत ने सबसे पहले वायुसेना के विमान को भेजा। साथ ही एनडीआरएफ की बचाव टीमों और राहत सामग्री को भूकंप आने के छह घंटे के अंदर भेज दिया गया था।
इसके बाद, वायुसेना की 32 उड़ानें 520 टन राहत सामग्री लेकर पहुंची जिनमें तंबू, कंबल, दवाइयां, खाना पकाने से संबंधित सामग्री, भोजन, पानी, भारी इंजीनियरिंग उपकरण, एंबुलेंस, आरओ प्लांट, ऑक्सीजन जेनरेटर, 18 मेडिकल टीमों के साथ दो पूर्णतया आर्मी फील्ड अस्पताल, 18 आर्मी इंजीनियरिंग टीमें और 16 एनडीआरएफ टीमें शामिल थी।
ये टीमें अपनी तैनाती के बाद से नेपाल सरकार के साथ करीबी तालमेल करते हुए चौबीसों घंटे काम कर रही हैं।
नेपाल में भारतीय दूतावास के बयान में बताया गया है कि एम्स की 31 सदस्यीय एक टीम और गुजरात की एक मेडिकल टीम काठमांडू में नेशनल ट्रॉमा केंद्र में काम कर रही हैं। शांतिकुंज हरिद्वार से 11 चिकित्सकों की एक टीम को काठमांडू के प्रभावित इलाकों में तैनात किया गया है।
हरियाणा और पंजाब की दो टीमों ने भक्तपुर और कुपोंडोल में लंगर शुरू किया है, जहां 10,000 से अधिक लोगों को रोज खाना खिलाया जा रहा है। 4,500 टन राहत सामग्री लेकर 450 ट्रक उत्तर प्रदेश और बिहार सरकारों और एनजीओ के साथ नेपाल पहुंचे।
इसके अलावा सोमवार को 18 ट्रकों में 100 टन खाद्य एवं राहत सामग्री तथा एक एंबुलेंस में 5,000 रक्त जांच किट उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा भेजी गई, जिन्हें दूतावास ने काठमांडू में अधिकारियों को सौंप दिया।
विदेशी बचाव टीमों को देश छोड़ने को नेपाल सरकार द्वारा कहे जाने पर प्रतिक्रिया देते हुए भारतीय दूतावास के प्रवक्ता ने कहा, 'हमें इस बारे में नेपाल सरकार से एक पत्र मिला है और हमारी बचाव टीमें शीघ्र ही देश से रवाना हो रही हैं। नेपाल सरकार ने ऐसा ही पत्र दूसरे सभी देशों के दूतावासों को भी जारी किया है।'
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