प्रतीकात्मक चित्र
काठमांडू:
नेपाल ने अपने माहवाहक वाहनों के रासुवागाधी क्षेत्र से होकर सीमा से लगे चीन के क्षेत्र केरुंग (गीलांग द्वीप बंदरगाह) में प्रवेश करने के लिए टोकन प्रणाली लागू कर दिया है. यह दोनों देशों के बीच अंतर्राष्ट्रीय सीमा से आने-जाने का एकमात्र चालू रास्ता है.
नेपाल के सीमावर्ती राहुआ जिले के मुख्य जिलाधिकारी कृष्णा प्रसाद अधिकारी के हवाले से समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने कहा है, 'हम लोगों ने शनिवार से टोकन प्रणाली शुरू की है. अब एक समय में चीन से सामान आयात करने के लिए केवल 50 वाहन ही घुस पाएंगे.' जब ये वाहन माल लेकर नेपाल लौट आएंगे, उसके बाद 50 वाहनों की दूसरी खेप को चीन में प्रवेश के लिए टोकन दिया जाएगा.
अधिकारी के अनुसार, 'सीमा से नेपाल की तरफ वाहनों का आना-जाना सड़कों पर सैकड़ों ट्रकों के खड़े रहने की वजह से मुश्किल हो गया है. यह सड़क पिछले वर्ष 25 अप्रैल को आए भूकंप के बाद से अब भी कमजोर है.'
सड़क पर यातायात जाम रहने से सीमा के पास कई जल विद्युत परियोजनाएं, जो विकसित की जा रही हैं, उनके लिए निर्माण सामग्री लाने में मुश्किल हो रही है. परंपरागत व्यापार मार्ग के रूप में तातोपानी-खासा (झांगमू) मार्ग पिछले वर्ष जब से भूकंप आया, तभी से बंद है. व्यापारी अपने सामान के निर्यात और आयात के लिए रासुवागाधी सीमा पर स्थानांतरित होने शुरू हो गए हैं.
इस नए रास्ते को अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के लिए औपचारिक तौर पर वर्ष 2014 के दिसंबर में ही खोला गया है. नेपाली अधिकारियों को अब यह डर सताने लगा है कि दोनों देशों के बीच इस रास्ते से बढ़ते व्यापार को देखते हुए क्या 50 वाहन पर्याप्त होंगे?
रासुवा जिले के मुख्य सीमा शुल्क अधिकारी केदार पानेरू ने कहा, अभी एक बार में चीन से सामान लेकर करीब 200 ट्रक लौटते हैं. अभी ऐसा हफ्ते में दो बार हो रहा है. अभी चीन से सर्वाधिक आयातित सामान समुद्री मार्ग से कोलकाता बंदरगाह होकर आता है.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
नेपाल के सीमावर्ती राहुआ जिले के मुख्य जिलाधिकारी कृष्णा प्रसाद अधिकारी के हवाले से समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने कहा है, 'हम लोगों ने शनिवार से टोकन प्रणाली शुरू की है. अब एक समय में चीन से सामान आयात करने के लिए केवल 50 वाहन ही घुस पाएंगे.' जब ये वाहन माल लेकर नेपाल लौट आएंगे, उसके बाद 50 वाहनों की दूसरी खेप को चीन में प्रवेश के लिए टोकन दिया जाएगा.
अधिकारी के अनुसार, 'सीमा से नेपाल की तरफ वाहनों का आना-जाना सड़कों पर सैकड़ों ट्रकों के खड़े रहने की वजह से मुश्किल हो गया है. यह सड़क पिछले वर्ष 25 अप्रैल को आए भूकंप के बाद से अब भी कमजोर है.'
सड़क पर यातायात जाम रहने से सीमा के पास कई जल विद्युत परियोजनाएं, जो विकसित की जा रही हैं, उनके लिए निर्माण सामग्री लाने में मुश्किल हो रही है. परंपरागत व्यापार मार्ग के रूप में तातोपानी-खासा (झांगमू) मार्ग पिछले वर्ष जब से भूकंप आया, तभी से बंद है. व्यापारी अपने सामान के निर्यात और आयात के लिए रासुवागाधी सीमा पर स्थानांतरित होने शुरू हो गए हैं.
इस नए रास्ते को अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के लिए औपचारिक तौर पर वर्ष 2014 के दिसंबर में ही खोला गया है. नेपाली अधिकारियों को अब यह डर सताने लगा है कि दोनों देशों के बीच इस रास्ते से बढ़ते व्यापार को देखते हुए क्या 50 वाहन पर्याप्त होंगे?
रासुवा जिले के मुख्य सीमा शुल्क अधिकारी केदार पानेरू ने कहा, अभी एक बार में चीन से सामान लेकर करीब 200 ट्रक लौटते हैं. अभी ऐसा हफ्ते में दो बार हो रहा है. अभी चीन से सर्वाधिक आयातित सामान समुद्री मार्ग से कोलकाता बंदरगाह होकर आता है.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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