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This Article is From Dec 07, 2022

Nepal Election: दो नई पार्टियों के उदय से मधेश क्षेत्र में पारंपरिक राजनीतिक ताकतों को झटका

नेपाल में हाल में हुए चुनाव में जनमत पार्टी और नागरिक उन्मुक्ति पार्टी के लिए तराई या मधेश क्षेत्र से संसद में प्रवेश का मार्ग प्रशस्त हुआ है.

Nepal Election: दो नई पार्टियों के उदय से मधेश क्षेत्र में पारंपरिक राजनीतिक ताकतों को झटका
काठमांडू:

नेपाल में हाल में हुए चुनाव में जनमत पार्टी और नागरिक उन्मुक्ति पार्टी के लिए तराई या मधेश क्षेत्र से संसद में प्रवेश का मार्ग प्रशस्त हुआ है. इसी के साथ भारत की सीमा से लगे दक्षिणी मैदानी क्षेत्रों में चला आ रहा दो पारंपरिक राजनीतिक ताकतों का एकाधिकार समाप्त हो गया है. देश में 20 नवंबर को हुए चुनाव में तराई की दोनों मजूबत पार्टियों उपेंद्र महतो के नेतृत्व वाली जनता समाजवादी पार्टी (जेएसपी) और महंत ठाकुर के नेतृत्व वाली लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी (एलएसपी) की सीटों की संख्या में 50 प्रतिशत की कमी आई है.

पांच साल पहले, 275 सदस्यीय प्रतिनिधि सभा (एचओआर) में तराई की दो पार्टियों की संयुक्त संख्या 33 थी. हालांकि, इस क्षेत्र में दो नए राजनीतिक दलों के उदय के साथ, उनकी संयुक्त ताकत घटकर 16 सीट रह गई है. एचओआर में, 165 सदस्य प्रत्यक्ष मतदान के माध्यम से चुने जाएंगे, जबकि शेष 110 आनुपातिक निर्वाचन प्रणाली के माध्यम से चुने जाएंगे. किसी पार्टी या गठबंधन को स्पष्ट बहुमत के लिए 138 सीटों की जरूरत होती है. जेएसपी को हाल के चुनाव में प्रत्यक्ष मतदान के तहत सात सीटों पर जीत मिली है और इसे आनुपातिक मतदान प्रणाली के तहत पांच और सीट मिलेंगी.

इसी तरह, एलएसपी ने सिर्फ चार सीट जीती है, लेकिन उसे आनुपातिक मतदान के तहत कोई सीट नहीं मिलेगी क्योंकि पार्टी राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त करने में विफल रही है. मधेशी राजनीति पर करीबी नजर रखने वाले राजनीतिक विश्लेषक राजेश अहिराज ने कहा कि भ्रष्टाचार, सांप्रदायिकता और भड़काऊ राजनीति मुख्य कारक हैं जिन्होंने इन पारंपरिक मधेशी पार्टियों को कमजोर बनाया और तराई क्षेत्र में उनकी छवि खराब की.

उन्होंने कहा, ‘‘इन दलों ने मधेशी लोगों के अधिकारों और प्रतिनिधित्व के पक्ष में नारे लगाए थे, लेकिन अधिक समय तक इस मुद्दे पर खड़े नहीं हो सके. उनकी राजनीति सत्ता केंद्रित हो गई है और वे अपने सिद्धांतों और नारों को दरकिनार कर सत्ता के बंटवारे के उद्देश्य से नेपाली कांग्रेस और सीपीएन-यूएमएल जैसी बड़ी पार्टियों के साथ हाथ मिला रहे हैं.''

सी के राउत, जो अतीत में तराई क्षेत्र में एक चरमपंथी समूह का नेतृत्व कर रहे थे, हाल में मुख्यधारा की राजनीति में शामिल हुए थे और पहली बार चुनाव लड़े थे. जनमत पार्टी को अलगाववादी नारे लगाने के लिए कुछ समय के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया था. राउत ने जेएसपी अध्यक्ष

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