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नेपाल में Gen Z के सहारे सत्ता पलटेंगे बालेन शाह? किंगमेकर से किंग बनने का नया फॉर्मूला खोज लिया

Nepal Election 2026: बालेन शाह को सितंबर में हुए Gen- Z आंदोलन के बाद बनी प्रधानमंत्री सुशीला कार्की सरकार के गठन में ‘किंगमेकर’ के रूप में भी देखा गया था. अब उनकी तैयारी किंगमेकर बनने की है.

नेपाल में Gen Z के सहारे सत्ता पलटेंगे बालेन शाह? किंगमेकर से किंग बनने का नया फॉर्मूला खोज लिया
Nepal Election 2026: बालेन शाह काठमांडू के मेयर हैं
  • नेपाल के काठमांडू मेयर बालेन शाह आगामी संसदीय चुनावों में नए राजनीतिक गठबंधन बनाने के प्रयास में सक्रिय हैं
  • बालेन शाह युवाओं में लोकप्रिय हैं और भ्रष्टाचार के खिलाफ उनकी आलोचना ने उन्हें प्रमुख राजनीतिक चेहरे बनाया है
  • पूरी उम्मीद है कि रवि लामिछाने और कुलमान घिसिंग के साथ मिलकर बालेन शाह आगामी चुनावों में गठबंधन बना सकते हैं
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नेपाल में जेन-जेड विद्रोह के बाद अब बारी है चुनाव की और इसे लेकर इस हिमालयी देश में सरगर्मी बढ़ गई है. खास बात है कि नेपाल में एक किंगमेकर किंग बनने की तैयारी में है. काठमांडू महानगरपालिका के मेयर बालेन शाह मार्च 2026 में होने जा रहे नेपाल के संसदीय चुनावों को लेकर सक्रिय हो गए हैं. गुरुवार, 25 दिसंबर को वे दिनभर तमाम राजनेताओं से मुलाकात करते दिखे, जिनमें अधिकतर नए राजनीतिक दलों और जेन-जी समूहों से जुड़े नेता शामिल थे. माना जा रहा है कि शाह जड़ जमाई हुईं राजनीतिक पार्टियों को चुनौती देने के लिए समर्थन जुटाने की कोशिश कर रहे हैं. 

किंग बनने की तैयारी में बालेन शाह

आमतौर पर मीडिया से दूरी बनाए रखने वाले बालेन शाह युवाओं के बीच बेहद लोकप्रिय हैं. काठमांडू में बुनियादी ढांचे को सुधारने के उनके प्रयासों और स्थापित दलों के “भ्रष्ट नेतृत्व” पर खुलकर की गई आलोचना ने उन्हें युवाओं का चहेता बना दिया है. पेशे से आर्टिटेक और रैपर रहे शाह को सितंबर में हुए जेन-जी आंदोलन के बाद बनी प्रधानमंत्री सुशीला कार्की सरकार के गठन में ‘किंगमेकर' के रूप में भी देखा गया था. अब उनकी तैयारी किंगमेकर बनने की है.

गुरुवार को शाह की सबसे अहम मुलाकात राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी के अध्यक्ष रवि लामिछाने से हुई. यह बीते चार दिनों में दोनों की दूसरी मुलाकात थी. जेन-जी नेताओं के बीच आगामी प्रतिनिधि सभा चुनावों को लेकर आपसी सहयोग की चर्चा तेज हो गई है. लामिछाने की पार्टी भंग हो चुकी पिछली संसद में चौथी सबसे बड़ी ताकत बनकर उभरी थी.

पूर्व मीडिया हस्ती रवि लामिछाने भी युवाओं के बीच खासे लोकप्रिय हैं. राजनीति में आने से पहले सहकारी संस्थाओं में कथित घोटाले के मामलों में उन्हें जेल जाना पड़ा था, हालांकि हाल ही में अदालत के आदेश के बाद उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया. इसके बाद से वे नए राजनीतिक दलों और जेन-जी नेताओं को एकजुट करने की कोशिशों में जुटे हैं.

लामिछाने और शाह की गुरुवार की मुलाकात एक-एक कर हुई. मीडिया से रूबरू होते समय लामिछाने काफी खुश दिखे. जब उनसे मुलाकात के बारे में पूछा गया तो उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा, “मेरे चेहरे को देखकर क्या समझते हैं?” राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी नेताओं के अनुसार, लामिछाने ने बालेन शाह को भावी प्रधानमंत्री पद का संभावित उम्मीदवार भी प्रस्तावित किया है.

तीन चेहरे मिलकर बनाएंगे गठबंधन?

इसके अलावा, दोनों नेताओं ने ऊर्जा, भौतिक अवसंरचना और शहरी विकास मंत्री कुलमान घिसिंग से भी मुलाकात की. घिसिंग के समर्थकों ने हाल ही में ‘उज्यालो नेपाल पार्टी' नाम से एक नया राजनीतिक दल पंजीकृत कराया है.

कुलमान घिसिंग नेपाल में बेहद लोकप्रिय माने जाते हैं. नेपाल विद्युत प्राधिकरण के प्रमुख रहते हुए उन्होंने देश में 18 घंटे तक चलने वाली बिजली कटौती (लोडशेडिंग) को खत्म करने में अहम भूमिका निभाई थी. बीते कुछ हफ्तों से शाह, लामिछाने और घिसिंग की लगातार मुलाकातों ने इस अटकल को हवा दे दी है कि ये तीनों मिलकर आगामी चुनाव लड़ सकते हैं.

पूर्व प्रधानमंत्री बाबूराम भट्टराई और कई जेन-जी नेताओं ने भी गुरुवार को काठमांडू में बालेन शाह से मुलाकात की. भट्टराई ने मीडिया से कहा, “मैंने बैठक में नए राजनीतिक बलों के बीच सहयोग की जरूरत पर जोर दिया.” राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी के एक नेता ने न्यूज एजेंसी IANS को बताया कि लामिछाने और शाह के बीच स्थापित राजनीतिक दलों को चुनौती देने के लिए मिलकर आगे बढ़ने पर चर्चा हुई है.

नेपाल में बदलेगा शक्ति संतुलन?

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बालेन शाह द्वारा नए राजनीतिक समूहों को एकजुट करने की कोशिश नेपाल की राजनीति में शक्ति संतुलन बदल सकती है. पिछले दो दशकों में, नेपाल कांग्रेस (शेर बहादुर देउबा), सीपीएन-यूएमएल (केपी शर्मा ओली) और विभिन्न वाम दलों के गठबंधन (पुष्प कमल दाहाल) ने बारी-बारी से सत्ता संभाली है.

2006 में गृहयुद्ध की समाप्ति के बाद भी आम लोगों के जीवन में खास बदलाव न आने और युवाओं में बढ़ती बेरोजगारी के चलते असंतोष बढ़ता गया. यही असंतोष हालिया जेन-जी आंदोलन के रूप में सामने आया, जिसने पूर्व प्रधानमंत्री ओली के नेतृत्व वाली सरकार को सत्ता से बाहर कर दिया. राजनीतिक विश्लेषक अरुण सुबेदी का कहना है, “अगर बालेन शाह और रवि लामिछाने साथ आते हैं तो वे एक मजबूत राजनीतिक शक्ति बन सकते हैं और स्थापित दलों के वर्चस्व को कमजोर कर सकते हैं.” हालांकि उन्होंने कहा कि दोनों ने अब तक देश की अर्थव्यवस्था और विदेश नीति को लेकर कोई स्पष्ट रोडमैप पेश नहीं किया है.

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