त्रिपोली:
लीबिया के पूर्वी हिस्से में विद्रोहियों के टैंकों पर गुरुवार के हवाई हमले के लिए उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) ने माफी मांगने से इनकार कर दिया है। एक वेबसाइट के अनुसार, रीयर एडमिरल रस हार्डिग ने कहा है कि गुरुवार की घटना तक नाटो को इस बात की जानकारी नहीं थी कि विद्रोही लड़ाकों ने टैंकों का इस्तेमाल शुरू कर दिया है। हार्डिग ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, "हमारा काम नागरिकों की हिफाजत करना है।" विद्रोही लड़ाकों ने पूर्वी अजदाबिया शहर के पास टैंकों पर किए गए इस हवाई हमले पर कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर की है लेकिन विद्रोही कमांडरों ने कहा है कि इससे गठबंधन सेना के साथ संबंधों पर कोई विपरीत असर नहीं पड़ेगा। हार्डिग ने नेपल्स में संवाददाताओं के साथ बातचीत में कहा कि अजदाबिया और ब्रेगा शहरों के बीच स्थिति बहुत अस्थिर है और उनके बीच वाहनों का आवागमन जारी है। उन्होंने कहा कि इसके पहले सरकारी टैंकों ने मिसराता में नागरिकों पर हमले किए थे, लिहाजा गुरुवार को भी समझा गया कि सड़क पर सरकारी टैंक ही है। उस समय तक नाटो को इस बात की जानकारी नहीं थी कि विद्रोहियों ने टैंकों का इस्तेमाल शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के जिस प्रस्ताव के तहत नाटो यहां अभियान का संचालन कर रहा है, उस अनुसार यहां नागरिकों की हिफाजत करनी है। वह चाहे गद्दाफी के सैनिकों से हो, या विद्रोहियों से। हार्डिग ने कहा, "मैं स्पष्ट कर दूं कि संयुक्त राष्ट्र का प्रस्ताव नागरिकों की हिफाजत करने में किसी पक्ष का विश्वास हासिल करने की बात नहीं करता।" इसके पहले विद्रोहियों के कमांडर, जनरल अब्देल फतह यूनिस ने नाटो से इस घटना पर "तर्कसंगत एवं संतोषजनक" जवाब मांगा था। उन्होंने यह भी कहा था कि इस तरह की गलतियां न दोहराई जाएं। इसके साथ ही उन्होंने भविष्य में बेहतर सहयोग का आह्वान किया था। हवाई हमले की चपेट में आए विद्रोही, टैंकों, बख्तरबंद वाहनों और रॉकेट लांचरों को 30 से अधिक वाहनों में अजदाबिया और ब्रेगा शहरों के बीच अग्रिम मोर्चे के पास पहुंचा रहे थे। एक विद्रोही कमांडर ने बीबीसी को बताया कि उसने देखा कि विद्रोही लड़ाकों पर कम से कम चार मिसाइलें गिरीं। इसके परिणामस्वरूप कई विद्रोही लड़ाके मारे गए और कई घायल हो गए। इस घटना को लेकर विद्रोही सैनिकों के बीच काफी नाराजगी है। विद्रोहियों ने कहा है कि इस हवाई हमले में चार लड़ाके मारे गए थे, जबकि स्थानीय चिकित्सकों ने बीबीसी को बताया कि कम से कम 13 लड़ाके मारे गए हैं। हाल के दिनों में विदेशी बलों द्वारा अंजाम दी गई इस तरह की यह तीसरी घटना है। इस बीच आपात खाद्य एवं दवा आपूर्तियों को लेकर एक राहत पोत विद्रोहियों के कब्जे वाले मिसराता शहर पहुंच गया है। दूसरी ओर, विद्रोहियों के एक अन्य प्रवक्ता ने कहा है कि गुरुवार का घातक हवाई हमला नाटो द्वारा नहीं, बल्कि गद्दाफी समर्थक बलों द्वारा किया गया था। कर्नल अहमद बानी ने अल-अरबिया टेलीविजन को बताया, "यह नाटो का हवाई हमला नहीं था। यह गद्दाफी के सैनिकों द्वारा एसआईएआई मार्चेटी एसएफ-260 विमानों द्वारा किया गया हमला था।"
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