वॉशिंगटन:
नासा के केपलर अभियान के तरह दो सितारों की परिक्रमा कर रहे एक नए ग्रह की खोज की है। यह ग्रह 'हैबिटेबल जोन' (रिहायश के लायक क्षेत्र) में दो सितारों की परिक्रमा कर रहा है।
इस ग्रह की पहचान केपलर 453बी के रूप में हुई है और यह केपलर मिशन द्वारा खोजा गया दो सितारों का परिक्रमा करने वाला 10वां ग्रह है।
खगोलविदों की गणना के अनुसार, इस ग्रह की त्रिज्या पृथ्वी से 6.2 गुना अधिक है और यह नेप्च्यून से 60 प्रतिशत बड़ा है। इसका आकार बताता है कि यह चट्टानी ग्रह न होकर गैस का एक बड़ा भंडार है और इसीलिए रिहायश के लायक क्षेत्र होने के बावजूद इस ग्रह पर जीवन संभव नहीं है।
खोज करने वाली टीम के सदस्य और सैन फ्रांसिस्को स्टेट यूनिवर्सिटी में भौतिकी और खगोल विज्ञान के सहायक प्रोफेसर स्टीफन केन का कहना है इस ग्रह का एक चट्टानी चांद हो सकता है और उस पर जीवन संभव है।
केपलर-453बी को अपने दोनों सितारों की परिक्रमा करने में 240 दिन लगते हैं।
केन ने कहा, "हम नहीं जानते कि जब तक केपलर साथ नहीं आता, तब तक सर्कुमबाइनरी सिस्टम मौजूद हो सकता है या नहीं और तब से ही हम इस तरह के ग्रहों की बड़ी संख्या में खोज कर रहे हैं।"
दो सितारों की परिक्रमा करने वाले पहले ग्रह की खोज केपलर मिशन के जरिए वर्ष 2011 में की गई थी। इस नए ग्रह की खोज 'एस्ट्रोफिजिकल जर्नल' में छपी है।
इस ग्रह की पहचान केपलर 453बी के रूप में हुई है और यह केपलर मिशन द्वारा खोजा गया दो सितारों का परिक्रमा करने वाला 10वां ग्रह है।
खगोलविदों की गणना के अनुसार, इस ग्रह की त्रिज्या पृथ्वी से 6.2 गुना अधिक है और यह नेप्च्यून से 60 प्रतिशत बड़ा है। इसका आकार बताता है कि यह चट्टानी ग्रह न होकर गैस का एक बड़ा भंडार है और इसीलिए रिहायश के लायक क्षेत्र होने के बावजूद इस ग्रह पर जीवन संभव नहीं है।
खोज करने वाली टीम के सदस्य और सैन फ्रांसिस्को स्टेट यूनिवर्सिटी में भौतिकी और खगोल विज्ञान के सहायक प्रोफेसर स्टीफन केन का कहना है इस ग्रह का एक चट्टानी चांद हो सकता है और उस पर जीवन संभव है।
केपलर-453बी को अपने दोनों सितारों की परिक्रमा करने में 240 दिन लगते हैं।
केन ने कहा, "हम नहीं जानते कि जब तक केपलर साथ नहीं आता, तब तक सर्कुमबाइनरी सिस्टम मौजूद हो सकता है या नहीं और तब से ही हम इस तरह के ग्रहों की बड़ी संख्या में खोज कर रहे हैं।"
दो सितारों की परिक्रमा करने वाले पहले ग्रह की खोज केपलर मिशन के जरिए वर्ष 2011 में की गई थी। इस नए ग्रह की खोज 'एस्ट्रोफिजिकल जर्नल' में छपी है।
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