मुस्लिम विद्वानों और प्रबुद्ध लोगों के एक संगठन ने मुसलमानों से देश के भावी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर गुजरी बातों के आधार पर पहले से ही कोई राय न बनाने का आग्रह करते हुए कहा है कि लोकसभा चुनाव में जबर्दस्त सफलता के बाद से अब तक दिए गए भाषणों में मोदी ने जाहिर किया है कि वह मुसलमानों और अपने बीच बनी खाई को पाटना चाहते हैं।
'फोरम फार मुस्लिम स्टडीज एण्ड एनालीसिस (एफएमएसए)' ने आज एक बयान में मोदी द्वारा आगामी 26 मई को अपने शपथ ग्रहण समारोह में दक्षेस देशों के प्रमुखों को बुलाए जाने का स्वागत करते हुए कहा कि भारत जैसे धर्मनिरपेक्ष देश की कमान सम्भालने जा रहे मोदी अगर भारतीय उपमहाद्वीप में शांति स्थापित करने की दिशा में काम करते हैं और अगर वह अल्पसंख्यकों के लिए चल रही कल्याणकारी योजनाओं को जारी रखते हैं, तो मुसलमानों को उनके कार्यों के प्रति सकारात्मक प्रतिक्रिया देनी चाहिए।
संगठन के बयान में मुसलमानों से आग्रह किया गया है कि वे इस आशंका से भयभीत न हों कि मोदी की अगुवाई वाली सरकार संविधान में रद्दोबदल करके उन्हें उनके वाजिब हक से महरूम कर देगी। वे 'देखते जाओ' की नीति अपनाएं और पहले से ही किसी नतीजे पर न पहुंचें।
उल्लेखनीय है कि एफएमएसए ने हालिया लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की हिमायत की थी।
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