
- माउंट एवरेस्ट के तिब्बती हिस्से में आए बर्फीले तूफान में लगभग एक हजार पर्वतारोही फंस गए
- रेस्क्यू ऑपरेशन में अब तक लगभग तीन सौ पचास लोगों को सुरक्षित बचाकर कुदांग शहर पहुंचाया गया है
- बर्फीले तूफान के कारण तापमान शून्य से कहीं नीचे चला गया और कई पर्वतारोही हाइपोथर्मिया के शिकार हुए हैं
दुनिया के सबसे उंची चोटी माउंट एवरेस्ट के तिब्बती हिस्से में आए बर्फीले तूफान ने अपना भयानक रूप दिखाया है. इस बर्फीले तूफान में लगभग एक हजार पर्वतारोही फंस गए जिनको बचाने के लिए रविवार, 5 अक्टूबर को रेस्क्यू ऑपरेशन जारी रहा. करीब 4,900 मीटर से अधिक ऊंचाई पर स्थित इस क्षेत्र में बर्फबारी के कारण रास्ते ब्लॉक हो गए हैं, जिन्हें हटाने के लिए सैकड़ों स्थानीय ग्रामीणों और बचाव दल को तैनात किया गया है. रॉयटर्स न्यूज एजेंसी ने कहा कि लगभग 350 लोगों को बचाया गया है और कुदांग शहर की छोटी बस्ती में सुरक्षित पहुंचाया गया है. जबकि 200 से अधिक ट्रैकर्स से संपर्क किया जा चुका है.
जो पर्वतारोही सकुशल वापस लौटे हैं, उन्होंने बर्फीले तूफान का खतरनाक मंजर बताया है.
"लगातार बारिश और बर्फबारी में माउंट एवरेस्ट नहीं दिखा"
बर्फबारी का यह दौर शुक्रवार शाम से शुरू हुआ और तिब्बत में माउंट एवरेस्ट के पूर्वी हिस्से में और तेज हो गया. यह इलाका पर्वतारोहियों के बीच काफी लोकप्रिय है. न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार इस बर्फीले तूफान से जान बचाकर वापस लौटने वाले एरिक वेन ने कहा, "हर दिन बारिश और बर्फबारी हो रही थी और हमने एवरेस्ट बिल्कुल नहीं देखा."
एरिक वेन 18 पर्वतारोहियों के ग्रूप में शामिल थे. लगातार हो रही बर्फबारी से परेशान इस ट्रैकिंग दल ने शनिवार रात को अपने पांचवें और अंतिम कैंपसाइट से वापस लौटने का फैसला किया था. वेन ने सोमवार को रॉयटर्स को बताया, "हमारे पास केवल कुछ टेंट थे. हममें से 10 से अधिक लोग एक बड़े टेंट में थे और हम मुश्किल से सो पाए थे... वहां बहुत तेज बर्फबारी हो रही थी."
वेन ने कहा कि उनके ग्रूप को हर 10 मिनट में बर्फ साफ करनी पड़ती थी. उन्होंने कहा कि अगर वे ऐसा नहीं करते तो बर्फ के नीचे उनके टेंट ढह गए होते. वेन ने बताया कि उनके ग्रूप में दो पुरुष और एक महिला हाइपोथर्मिया का शिकार हो गए. भले उन्होंने पर्याप्त कपड़े पहले थे लेकिन जब बर्फीले तूफान के बीच जब तापमान शून्य से नीचे चला गया तो वे हाइपोर्थमिया से बच नहीं सकें.
नोट- हाइपोथर्मिया का अर्थ है शरीर के तापमान का सामान्य स्तर (लगभग 37°C या 98.6°F) से घटकर 35°C (95°F) से नीचे चला जाना. यह मेडिकल रूप से एक आपात स्थिति है जो शरीर के पर्याप्त गर्मी पैदा न कर पाने के कारण होती है. यदि इसका तुरंत इलाज न किया जाए, तो हाइपोथर्मिया से हृदय गति रुकना या मृत्यु भी हो सकती है.
रॉयटर्स के अनुसार चेन गेशुआंग एक ट्रैकिंग समूह का हिस्सा थे और कुदांग तक पहुंचे थे. उन्होंने बर्फीले तूफान के बारे में कहा, "यह बहुत गीला और ठंडा था- इस स्थिति में हाइपोथर्मिया एक वास्तविक जोखिम था... इस साल मौसम सामान्य नहीं है. गाइड ने कहा कि उसने अक्टूबर में कभी ऐसे मौसम का सामना किया था. और यह सब अचानक हुआ."
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं