फाइल फोटो
काठमांडू:
नेपाल टूरिज़्म के एक सीनियर अधिकारी के अनुसार, नेपाल और एवरेस्ट की चोटियों पर आए विनाशकारी भूकंप के बाद भी माउंट एवरेस्ट वहां चढ़ाई करने की मक़सद से आने वाले पर्वतारोहियों के लिए खुला है।
पिछले महीने आए प्रलयकारी भूकंप में एवरेस्ट पर चढ़ाई का रास्ता पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया है।
नेपाल के इतिहास में आए इस भूकंप में तक़रीबन 7,200 लोगों की मौत हो गई है, जिसमें 18 ट्रेकर्स भी शामिल हैं।
एवरेस्ट पर हिमस्खलन
इस भयानक भूकंप के दौरान एवरेस्ट की चोटियों पर हुए भारी हिमस्खलन में एवरेस्ट बेस कैंप का एक हिस्सा पूरी तरह से नष्ट हो गया, लेकिन इस हादसे के बाद भी नेपाल सरकार यह तय नहीं कर पाई है कि वह एवरेस्ट पर चढ़ाई का कार्यक्रम आधिकारिक तौर पर फ़िलहाल बंद करे या नहीं। उन्होंने इसका फ़ैसला पर्वतारोहियों पर छोड़ दिया है।
एवरेस्ट पर ट्रेकिंग के ज़रिए नेपाल सरकार को बड़ी आमदनी होती है।
अरबों की आमदनी
एवरेस्ट पर चढ़ाई करने के लिए हर पर्वतारोही नेपाल सरकार को 11 हज़ार डॉलर की पेमेंट करता है और इस साल एवरेस्ट पर चढ़ाई के लिए कुल 357 पर्वतारोहियों ने रजिस्ट्रेशन कराया है।
नेपाल टूरिज़्म विभाग के अधिकारी तुलसी प्रसाद गौतम ने न्यूज़ एजेंसी रॉयटर्स को बताया, ‘नेपाल सरकार आधिकारिक तौर पर ट्रेकिंग को बंद नहीं करेगी, क्योंकि हमने पर्वतारोहियों को परमिट दे दी है।’
गौतम के मुताबिक़, ‘एवरेस्ट का रास्ता अभी भी क्षतिग्रस्त है और जो ट्रेकर्स बेस कैंप पर मौजूद हैं, उन्हें नहीं लगता कि ये रास्ता जल्द ठीक होगा। आगे का फ़ैसला उन पर्वतारोहियों और आयोजकों को तय करना, हम उन्हें किसी तरह की सलाह नहीं दे रहे हैं।’
एवरेस्ट पर झटके
गौतम ने पिछले गुरुवार को जानकारी दी थी कि, ‘खुंबु आइसफॉल के रास्ते एवरेस्ट की तरफ़ जाने वाला मार्ग अगले एक हफ्त़े में ठीक किया जा सकता है।’ लेकिन उन्होंने सोमवार को बताया कि एवरेस्ट की चोटियों पर अभी भी भूकंप के झटके महसूस किए जा सकते हैं।
पिछले साल एवरेस्ट पर आए हिमस्खलन में 16 शेरपाओं की मौत होने के बाद, उन्होंने अभियान में शामिल होने से इनकार कर दिया था, लेकिन तब भी एवरेस्ट पर चढ़ाई का कार्यक्रम बंद करने के बजाय पर्वतारोहियों की परमिट अवधि को बढ़ा दिया गया था।
पिछले महीने आए प्रलयकारी भूकंप में एवरेस्ट पर चढ़ाई का रास्ता पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया है।
नेपाल के इतिहास में आए इस भूकंप में तक़रीबन 7,200 लोगों की मौत हो गई है, जिसमें 18 ट्रेकर्स भी शामिल हैं।
एवरेस्ट पर हिमस्खलन
इस भयानक भूकंप के दौरान एवरेस्ट की चोटियों पर हुए भारी हिमस्खलन में एवरेस्ट बेस कैंप का एक हिस्सा पूरी तरह से नष्ट हो गया, लेकिन इस हादसे के बाद भी नेपाल सरकार यह तय नहीं कर पाई है कि वह एवरेस्ट पर चढ़ाई का कार्यक्रम आधिकारिक तौर पर फ़िलहाल बंद करे या नहीं। उन्होंने इसका फ़ैसला पर्वतारोहियों पर छोड़ दिया है।
एवरेस्ट पर ट्रेकिंग के ज़रिए नेपाल सरकार को बड़ी आमदनी होती है।
अरबों की आमदनी
एवरेस्ट पर चढ़ाई करने के लिए हर पर्वतारोही नेपाल सरकार को 11 हज़ार डॉलर की पेमेंट करता है और इस साल एवरेस्ट पर चढ़ाई के लिए कुल 357 पर्वतारोहियों ने रजिस्ट्रेशन कराया है।
नेपाल टूरिज़्म विभाग के अधिकारी तुलसी प्रसाद गौतम ने न्यूज़ एजेंसी रॉयटर्स को बताया, ‘नेपाल सरकार आधिकारिक तौर पर ट्रेकिंग को बंद नहीं करेगी, क्योंकि हमने पर्वतारोहियों को परमिट दे दी है।’
गौतम के मुताबिक़, ‘एवरेस्ट का रास्ता अभी भी क्षतिग्रस्त है और जो ट्रेकर्स बेस कैंप पर मौजूद हैं, उन्हें नहीं लगता कि ये रास्ता जल्द ठीक होगा। आगे का फ़ैसला उन पर्वतारोहियों और आयोजकों को तय करना, हम उन्हें किसी तरह की सलाह नहीं दे रहे हैं।’
एवरेस्ट पर झटके
गौतम ने पिछले गुरुवार को जानकारी दी थी कि, ‘खुंबु आइसफॉल के रास्ते एवरेस्ट की तरफ़ जाने वाला मार्ग अगले एक हफ्त़े में ठीक किया जा सकता है।’ लेकिन उन्होंने सोमवार को बताया कि एवरेस्ट की चोटियों पर अभी भी भूकंप के झटके महसूस किए जा सकते हैं।
पिछले साल एवरेस्ट पर आए हिमस्खलन में 16 शेरपाओं की मौत होने के बाद, उन्होंने अभियान में शामिल होने से इनकार कर दिया था, लेकिन तब भी एवरेस्ट पर चढ़ाई का कार्यक्रम बंद करने के बजाय पर्वतारोहियों की परमिट अवधि को बढ़ा दिया गया था।
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