
नेपाल में आए भीषण भूकंप को आज ठीक एक दशक बीत चुका है, लेकिन राम बहादुर नकरमी के घर में अभी भी उस समय हुआ डैमेज दिखाई दे रहा है. उनके जेहन में आज भी यह डर है कि वैसा ही कोई दूसरा भूकंप आ सकता है.
आज से दस साल पहले, 25 अप्रैल 2015 को, नेपाल के नीचे की जमीन 7.8 तीव्रता के भूकंप से कांप उठी थी, जिसमें लगभग 9,000 लोग मारे गए थे, 22,000 से अधिक घायल हुए थे और लाखों लोग बेघर हो गए थे. इस आपदा ने काठमांडू घाटी में सदियों पुराने मंदिरों और शाही महलों सहित स्मारकों को भी खंडहर में बदल दिया, जो दुनिया भर से पर्यटकों को आकर्षित करते थे.
नेपाल के ऐतिहासिक भक्तपुर शहर में नाकार्मी का चार मंजिला घर डैमेज हो गया था. लेकिन पैसों की तंगी के कारण 10 साल बाद भी उनके लिए रेनोवेशन कराना संभव नहीं हो का है. 61 साल के नाकार्मी दरारों के बावजूद अपने घर में रहते हैं. नाकार्मी ने एएफपी को बताया, "अब भी, यह अभी भी डरावना है.. हम अभी भी झटके महसूस कर रहे हैं और वे हमें डरा रहे हैं - हम घर से बाहर भागते हैं".

2015 के भूकंप में नाकार्मी का चार मंजिला घर डैमेज हो गया था
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, हजारों स्कूलों, हॉस्पिटल और सार्वजनिक भवनों के साथ-साथ नष्ट हुए लगभग 90 प्रतिशत घरों को रिबिल्ड किया गया है. मंदिर और सांस्कृतिक स्थल भी धीरे-धीरे फिर से खड़े हुए हैं.
नेपाल की नेशनल सोसाइटी फॉर अर्थक्वेक टेक्नोलॉजी और इंटरनेशनल ग्लोबल क्वेक मॉडल ने प्रभावित जिलों का संयुक्त मूल्यांकन किया है. इसमें पाया गया कि एक और भूकंप आने की स्थिति में नेपाल पहले से ज्यादा अच्छी स्थिति में होगा. उनका अनुमान है कि नेपाल की रि- बिल्डिंग और रेट्रोफिटिंग अभियान के बाद, पूरी तरह ढहने के जोखिम वाली इमारतों की संख्या में 44 प्रतिशत की कमी आई है।.
नेपाल के राष्ट्रीय आपदा जोखिम न्यूनीकरण और प्रबंधन प्राधिकरण (NDRRMA) के प्रमुख दिनेश प्रसाद भट्ट ने एएफपी को बताया, "हमारे शुरुआती वर्ष रि-बिल्डिंग पर केंद्रित थे. अब हमारा ध्यान उन क्षेत्रों पर होना चाहिए जो 2015 में प्रभावित नहीं हुए थे लेकिन भूकंप का खतरा है.. हमें भूकंप से सीखे गए सबक की पहुंच देश के सभी हिस्सों तक बढ़ानी होगी."
'अपर्याप्त प्रगति हुई है'
यह आपदा एक ऐसे देश के लिए खतरे की घंटी थी जो खतरनाक भूवैज्ञानिक फॉल्टलाइन पर स्थित है. इसके नीचे भारतीय टेक्टोनिक प्लेट यूरेशियन प्लेट से टकराकर हिमालय बनाती है. संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, भूकंप के खतरे के मामले में नेपाल 11वें स्थान पर है. विशेषज्ञ सवाल करते हैं कि क्या देश अगले ऐसे भूकंप के लिए तैयार है. भूकंप के बाद के दशक में, नेपाल ने महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं. NDRRMA आपदा न्यूनीकरण और प्रबंधन प्राधिकरण की स्थापना की गई, और भूकंपीय सुरक्षा मानकों को प्रतिबिंबित करने के लिए बिल्डिंग कोड को अपडेट किया गया.

2015 के विपरीत, स्थानीय स्तर पर निर्वाचित सदस्य होते हैं जो किसी आपदा की स्थिति में बचाव दल, स्वयंसेवकों और आपातकालीन संसाधनों के भंडार को जुटाने के लिए जिम्मेदार होते हैं. NDRRMA के पूर्व प्रमुख अनिल पोखरेल ने कहा, "अगर आप वास्तव में ओवरऑल तस्वीर देखें, तो 2015 और अभी की तुलना में हमने बड़े पैमाने पर प्रगति की है.. लेकिन फिर भी, बढ़ते जोखिमों को देखते हुए यह अपर्याप्त है."
नेशनल सोसाइटी फॉर अर्थक्वेक टेक्नोलॉजी के सूर्य नारायण श्रेष्ठ ने कहा, "नेपाल ने 2015 के भूकंप के अनुभव से सीखते हुए कई नीतियां बनाई हैं, लेकिन नीतियां केवल कागज के टुकड़े हैं जो सिस्टम को निर्देशित करते हैं.. सिस्टम को प्रभावी बनाने के लिए, हमें ऐसे लोगों और सिस्टम की जरूरत है जिनमें वह क्षमता हो."
'खतरनाक रूप से कम तैयारी है'
वर्ल्ड बैंक नेपाल के प्रमुख डेविड सिस्लेन ने कहा कि बेहतर नीतियों और संस्थागत ढांचे के बावजूद, देश "एक बड़ी आपदा के लिए खतरनाक रूप से कम तैयार" है. सिस्लेन ने कहा, "जोखिम में कमी और शमन उपायों को मजबूती से लागू किए बिना, भेद्यता बढ़ता रहेगी, जिससे लोगों, सेवाओं और संपत्तियों को खतरा होगा."
उन्होंने कहा कि "स्कूलों, अस्पतालों और अन्य महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे को रि-बिल्ड करने के लिए एक चरणबद्ध रणनीति" की आवश्यकता थी.

श्री कृष्ण चुस्याबाड़ा ने 2015 में घर के मलबे के नीचे अपने परिवार के तीन सदस्यों को खो दिया था
चुस्याबाड़ा ने कहा, "यह हमारे लिए एक काला दिन था. उस दिन ने हमारी सारी खुशियां छीन लीं.. मुझे उम्मीद है कि हम ऐसी तबाही फिर कभी नहीं देखेंगे."
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं