
बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद मोहम्मद यूनुस ने पहली बार की पीएम मोदी से मुलाकात की है. दोनों नेताओं की यह मुलाकात थाइलैंड की राजधानी बैंकॉक में हुई, जहां वे बिम्सटेक शिखर सम्मेलन में भाग लेने पहुंचे हैं. यह मुलाकात अपने आप में खास है क्योंकि पिछले साल बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार के तख्तापलट के बाद भारत से दूरी बढ़ गई है, भारत- बांग्लादेश के रिश्ते तल्ख दिख रहे हैं. बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस अपनी पहली विदेश यात्रा पर चीन गए थे और वहां भारत के पूर्वोतर राज्यों तक पहुंच के लिए चीन को अपनी जमीन का ऑफर दिया था. भारत ने इसपर अपनी कड़ी आपत्ति जताई थी.
#WATCH | PM Narendra Modi and Bangladesh Chief Advisor Muhammad Yunus hold a meeting in Bangkok, Thailand pic.twitter.com/4POheM34JJ
— ANI (@ANI) April 4, 2025
भारत दिखा रहा बड़ा दिल
तख्तापलट के बाद शेख हसीना को भारत भागकर आना पड़ा था. सत्ता परिवर्तन के बाद के महीनों में, भारत ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हमलों की खबरों पर चिंता भी व्यक्त की. जबकि ढाका ने इस बात पर जोर दिया है कि "बांग्लादेश के अल्पसंख्यक बांग्लादेश का मुद्दा हैं".
बांग्लादेश की तरफ से भले खिलाफत के सुर सुनाई दे रहे हैं लेकिन भारत ने अबतक इस पड़ोसी देश के लिए बड़ा दिल दिखाया है. पिछले सप्ताह ही प्रधानमंत्री मोदी ने बांग्लादेश के राष्ट्रीय दिवस के अवसर पर यूनुस को एक पत्र लिखा था, जिसमे उन्होंने बांग्लादेश मुक्ति संग्राम को 'साझा इतिहास' बताते हुए आपसी संवेदनशीलता के महत्व पर प्रकाश डाला था. उन्होंने लिखा था, "हम शांति, स्थिरता और समृद्धि के लिए अपनी साझा आकांक्षाओं से प्रेरित होकर तथा एक-दूसरे के हितों और चिंताओं के प्रति आपसी संवेदनशीलता के आधार पर इस साझेदारी को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं."
विदेश मंत्रालय ने कई मौकों पर कहा है कि भारत एक स्थिर, शांतिपूर्ण, समावेशी और प्रगतिशील बांग्लादेश का समर्थन करता है जिसमें सभी मुद्दों को लोकतांत्रिक तरीकों से और समावेशी और भागीदारीपूर्ण चुनाव आयोजित करके हल किया जाए. देश मंत्रालय (एमईए) के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा है, "हम बिगड़ती कानून व्यवस्था की स्थिति को लेकर चिंतित हैं, जो गंभीर अपराधों के लिए सजा पाए हिंसक चरमपंथियों की रिहाई से और भी बढ़ गई है."
बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों, विशेष रूप से हिंदू और अहमदिया समुदायों के सदस्यों पर हमले लगातार जारी रहने के कारण, विदेश मंत्रालय ने बार-बार इस गंभीर मुद्दे को उजागर किया है और अंतरिम सरकार की जांच को विफल कर दिया है जो अब तक केवल दिखावा है.
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