फाइल फोटो
वाशिंगटन:
वैज्ञानिकों ने मंगल ग्रह के उल्कापिंडों में मीथेन के निशान पाए हैं और यह एक ऐसी खोज है, जो लाल ग्रह पर गर्म, नम और रासायनिक रूप से प्रतिक्रियाशील वातावरण की मौजूदगी की तरफ इशारा करती है।
वैज्ञानिकों ने मंगल ग्रह से जुड़ी ज्वालामुखीय चट्टानों के उल्कापिंडों के नमूनों की जांच की है। उल्कापिंडों में मंग्रल ग्रह के वायुमंडल के ही अनुपात और उसी समस्थानिक संरचना में गैसें पाई गई हैं।
सभी छह नमूनों में मीथेन गैस पाई गई है। इसकी पैमाइश पत्थरों को चूरकर और उससे निकलने वाली गैस को एक द्रव्यमान स्पेक्ट्रोमीटर से गुजार कर की गई।
वैज्ञानिकों के दल ने दो अन्य उल्कापिंडों की भी जांच की जिनका कोई रिश्ता मंगल ग्रह से नहीं था। इन उल्कापिंडों में मीथेन की मात्रा अपेक्षाकृत कम थी।
यह खोज संकेत देती है कि मंगल ग्रह की सतह के नीचे रहने वाले जीवन के प्राथमिक रूप मीथेन का उपयोग भोजन स्रोत के रूप में करते हैं। अपनी धरती पर सूक्ष्मजीव अनेक तरह के माहौल में ऐसा करते हैं।
भूगोल एवं भू-भौतिकी विभाग के येल विश्वविद्यालय पोस्टडाक्टरल ऐसोसिएट सीन मैकमहोन ने बताया, अन्य अनुसंधानकर्ता इन निष्कर्षों को वैकल्पिक पैमाइश उपकरण एवं तकनीक का उपयोग कर फिर से पेश करने के लिए उत्सुक होंगे। आबरदीन विश्वविद्यालय के प्रो. जॉन पारनेल ने कहा कि यह अनुसंधान एक मजबूत संकेत देता है कि मंगल की चट्टानों में मीथेन के विशाल भंडार हैं।
मैकमहोन ने कहा, अगर मंगल का मीथेन प्रत्यक्ष रूप से सूक्ष्मजीवों का पोषण नहीं भी करता है तो यह गर्म, नम और रासायनिक रूप से प्रतिक्रियाशील वातावरण की मौजूदगी की तरफ इशारा करता है जहां जीवन परवान चढ़ सकता है।
वैज्ञानिकों ने मंगल ग्रह से जुड़ी ज्वालामुखीय चट्टानों के उल्कापिंडों के नमूनों की जांच की है। उल्कापिंडों में मंग्रल ग्रह के वायुमंडल के ही अनुपात और उसी समस्थानिक संरचना में गैसें पाई गई हैं।
सभी छह नमूनों में मीथेन गैस पाई गई है। इसकी पैमाइश पत्थरों को चूरकर और उससे निकलने वाली गैस को एक द्रव्यमान स्पेक्ट्रोमीटर से गुजार कर की गई।
वैज्ञानिकों के दल ने दो अन्य उल्कापिंडों की भी जांच की जिनका कोई रिश्ता मंगल ग्रह से नहीं था। इन उल्कापिंडों में मीथेन की मात्रा अपेक्षाकृत कम थी।
यह खोज संकेत देती है कि मंगल ग्रह की सतह के नीचे रहने वाले जीवन के प्राथमिक रूप मीथेन का उपयोग भोजन स्रोत के रूप में करते हैं। अपनी धरती पर सूक्ष्मजीव अनेक तरह के माहौल में ऐसा करते हैं।
भूगोल एवं भू-भौतिकी विभाग के येल विश्वविद्यालय पोस्टडाक्टरल ऐसोसिएट सीन मैकमहोन ने बताया, अन्य अनुसंधानकर्ता इन निष्कर्षों को वैकल्पिक पैमाइश उपकरण एवं तकनीक का उपयोग कर फिर से पेश करने के लिए उत्सुक होंगे। आबरदीन विश्वविद्यालय के प्रो. जॉन पारनेल ने कहा कि यह अनुसंधान एक मजबूत संकेत देता है कि मंगल की चट्टानों में मीथेन के विशाल भंडार हैं।
मैकमहोन ने कहा, अगर मंगल का मीथेन प्रत्यक्ष रूप से सूक्ष्मजीवों का पोषण नहीं भी करता है तो यह गर्म, नम और रासायनिक रूप से प्रतिक्रियाशील वातावरण की मौजूदगी की तरफ इशारा करता है जहां जीवन परवान चढ़ सकता है।
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