पाकिस्तानी एनएसए सरताज अजीज (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
एनएसए स्तरीय बातचीत रद्द होने को लेकर बढ़ी कड़वाहट के बावजूद पाकिस्तान को उम्मीद है कि भारत के बीएसएफ डीजी और रेंजर्स के डीजी की बैठक तय कार्यक्रम के अनुसार 5-6 सितंबर को होगी।
हालांकि पाकिस्तान के एनएसए सरताज अजीज ने कहा कि अगर भारत पाकिस्तानी नेताओं और हुर्रियत अलगाववादियों के बीच बैठक को आधिकारिक वार्ता में बाधा मानना जारी रखता है तो कोई बातचीत नहीं हो सकती।
अजीज ने एक कार्यक्रम में कहा, ‘‘हमें भरोसा है कि सीमा बलों के बीच बैठक पांच और छह सितंबर को होगी।’’ उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने एक प्रस्ताव तैयार किया है जिसे उन्हें भारत के साथ साझा करने की उम्मीद है। इस प्रस्ताव में एक तंत्र स्थापित करने की बात है ताकि सीमा पर शांति कायम रखने के लिए कुछ प्रगति की जा सके।
उन्होंने कहा कि दोनों प्रधानमंत्रियों नवाज शरीफ और नरेंद्र मोदी के बीच रूस के उफा में मछुआरों की रिहाई और धार्मिक पर्यटन में मदद वाला तंत्र जैसे जिन बिन्दुओं पर सहमति बनी थी, पाकिस्तान उनको लागू करता रहेगा।
अजीज ने आशा जताई कि मोदी दक्षेस शिखर वार्ता में भाग लेने के लिए पाकिस्तान का दौरा करेंगे। उन्होंने कहा कि यह बहुराष्ट्रीय सम्मेलन है जिसे द्विपक्षीय मुद्दों से अलग रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि बीते दस वर्ष में किसी भारतीय प्रधानमंत्री ने पाकिस्तान का दौरा नहीं किया है, मोदी के लिए आने का अच्छा अवसर होगा।
एनएसए स्तरीय वार्ता रद्द होने की एक वजह अलगाववादियों के मुद्दे पर अजीज ने कहा कि अलगाववादियों के साथ उनकी बैठक को भारत द्वारा बड़ा मुद्दा बनाना ‘‘अवांछित और अनुचित’’ है।
यह पूछे जाने पर कि अगर उन्हें उनके भारतीय समकक्ष अजीत डोभाल के साथ बातचीत के बाद हुर्रियत नेताओं से मुलाकात करने की सलाह दी जाती तो क्या वह सहमत होते, अजीज ने कहा कि यह सुझाव कभी नहीं दिया गया। उन्होंने कहा, ‘‘संभवत:.. एक स्तर पर विचार किया जा सकता था।’’
यह पूछे जाने पर कि पाकिस्तान एनएसए स्तरीय वार्ता के एजेंडे के रूप में कश्मीर को आगे बढ़ाने का प्रयास क्यों कर रहा है, अजीज ने कहा कि उफा में यह फैसला किया गया कि दोनों पक्ष अन्य लंबित मुद्दों को हल करने के तौर तरीकों पर भी चर्चा करेंगे और पाकिस्तान के लिए ‘‘कश्मीर मुख्य लंबित मुद्दा है।’’
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने उफा बयान में कश्मीर को रखने पर जोर दिया था लेकिन भारत ने कहा कि सहमति वाले दस्तावेज में लंबित मुद्दों का मतलब कश्मीर है।
यह पूछे जाने पर कि क्या उफा बयान में स्पष्ट रूप से कश्मीर का जिक्र नहीं करके पाकिस्तान ‘‘भारत के जाल’’ में फंस गया, अजीज ने कहा, ‘‘हमने ऐसा कभी नहीं सोचा था, लेकिन अब ऐसा लगता है।’’
हालांकि पाकिस्तान के एनएसए सरताज अजीज ने कहा कि अगर भारत पाकिस्तानी नेताओं और हुर्रियत अलगाववादियों के बीच बैठक को आधिकारिक वार्ता में बाधा मानना जारी रखता है तो कोई बातचीत नहीं हो सकती।
अजीज ने एक कार्यक्रम में कहा, ‘‘हमें भरोसा है कि सीमा बलों के बीच बैठक पांच और छह सितंबर को होगी।’’ उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने एक प्रस्ताव तैयार किया है जिसे उन्हें भारत के साथ साझा करने की उम्मीद है। इस प्रस्ताव में एक तंत्र स्थापित करने की बात है ताकि सीमा पर शांति कायम रखने के लिए कुछ प्रगति की जा सके।
उन्होंने कहा कि दोनों प्रधानमंत्रियों नवाज शरीफ और नरेंद्र मोदी के बीच रूस के उफा में मछुआरों की रिहाई और धार्मिक पर्यटन में मदद वाला तंत्र जैसे जिन बिन्दुओं पर सहमति बनी थी, पाकिस्तान उनको लागू करता रहेगा।
अजीज ने आशा जताई कि मोदी दक्षेस शिखर वार्ता में भाग लेने के लिए पाकिस्तान का दौरा करेंगे। उन्होंने कहा कि यह बहुराष्ट्रीय सम्मेलन है जिसे द्विपक्षीय मुद्दों से अलग रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि बीते दस वर्ष में किसी भारतीय प्रधानमंत्री ने पाकिस्तान का दौरा नहीं किया है, मोदी के लिए आने का अच्छा अवसर होगा।
एनएसए स्तरीय वार्ता रद्द होने की एक वजह अलगाववादियों के मुद्दे पर अजीज ने कहा कि अलगाववादियों के साथ उनकी बैठक को भारत द्वारा बड़ा मुद्दा बनाना ‘‘अवांछित और अनुचित’’ है।
यह पूछे जाने पर कि अगर उन्हें उनके भारतीय समकक्ष अजीत डोभाल के साथ बातचीत के बाद हुर्रियत नेताओं से मुलाकात करने की सलाह दी जाती तो क्या वह सहमत होते, अजीज ने कहा कि यह सुझाव कभी नहीं दिया गया। उन्होंने कहा, ‘‘संभवत:.. एक स्तर पर विचार किया जा सकता था।’’
यह पूछे जाने पर कि पाकिस्तान एनएसए स्तरीय वार्ता के एजेंडे के रूप में कश्मीर को आगे बढ़ाने का प्रयास क्यों कर रहा है, अजीज ने कहा कि उफा में यह फैसला किया गया कि दोनों पक्ष अन्य लंबित मुद्दों को हल करने के तौर तरीकों पर भी चर्चा करेंगे और पाकिस्तान के लिए ‘‘कश्मीर मुख्य लंबित मुद्दा है।’’
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने उफा बयान में कश्मीर को रखने पर जोर दिया था लेकिन भारत ने कहा कि सहमति वाले दस्तावेज में लंबित मुद्दों का मतलब कश्मीर है।
यह पूछे जाने पर कि क्या उफा बयान में स्पष्ट रूप से कश्मीर का जिक्र नहीं करके पाकिस्तान ‘‘भारत के जाल’’ में फंस गया, अजीज ने कहा, ‘‘हमने ऐसा कभी नहीं सोचा था, लेकिन अब ऐसा लगता है।’’
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