सर्विकल कैंसर से जूझ रही वेंडी डेविसन (50) की डेर्बी स्थित उनके आवास पर मृत्यु हो गई थी
लंदन:
कोई हमें कितना भी प्रिय क्यों न हो, लेकिन मृत्यु के बाद उसी प्रिय व्यक्ति के शव को हम तुरंत ही श्मशान में ले जाकर दफन कर देते हैं, उसी प्रिय का शव हमें डराने लगता है. लोग उसको लेकर बात करना नहीं चाहते. लेकिन ब्रिटेन में एक शोकग्रस्त पति ने खुलासा किया है कि मौत को लेकर लोगों के रवैये को चुनौती देने के लिए वह एक कमरे में अपनी पत्नी के शव के साथ छह दिन तक रहा.
गौरतलब है कि दस वर्ष से सर्विकल कैंसर से जूझ रही वेंडी डेविसन (50) की पिछले महीने डेर्बी स्थित उनके आवास पर मृत्यु हो गई. इस घटना से दुखी रसेल डेविसन ने कहा कि वह नहीं चाहते थे कि पत्नी के शव को शवगृह ले जाया जाए और वह मौत को लेकर लोगों के रवैये को चुनौती देना चाहते थे.
उसने बताया कि 2006 में 40वें जन्मदिन की पार्टी के बाद वेंडी को केंसर होने का पता चला था. तब दोनों ने मिलकर इस समस्या के समाधान के लिए कुदरती उपचार शुरू करने का निश्चय किया था.
रसेल ने कहा, ‘मैं उसके जीवन को डॉक्टरों के हाथ में सौंपने के लिए तैयार नहीं था. मैंने वेंडी के जीवत रखने के लिए खुद की खोज करने का फैसला लिया था.’ जीवन के अंतिम क्षणों से पहले दोनों ने मिलकर पूरा यूरोप घूमा और जीवन के शानदार पल एक-दूसरे के साथ बिताए.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
कोई हमें कितना भी प्रिय क्यों न हो, लेकिन मृत्यु के बाद उसी प्रिय व्यक्ति के शव को हम तुरंत ही श्मशान में ले जाकर दफन कर देते हैं, उसी प्रिय का शव हमें डराने लगता है. लोग उसको लेकर बात करना नहीं चाहते. लेकिन ब्रिटेन में एक शोकग्रस्त पति ने खुलासा किया है कि मौत को लेकर लोगों के रवैये को चुनौती देने के लिए वह एक कमरे में अपनी पत्नी के शव के साथ छह दिन तक रहा.
गौरतलब है कि दस वर्ष से सर्विकल कैंसर से जूझ रही वेंडी डेविसन (50) की पिछले महीने डेर्बी स्थित उनके आवास पर मृत्यु हो गई. इस घटना से दुखी रसेल डेविसन ने कहा कि वह नहीं चाहते थे कि पत्नी के शव को शवगृह ले जाया जाए और वह मौत को लेकर लोगों के रवैये को चुनौती देना चाहते थे.
उसने कहा, ‘मैं उसको शवगृह में नहीं देखना चाहता था और ना ही किसी फ्यूनरल डायरेक्टर को सौंपना चाहता था. मैं चाहता था कि हम अपने घर में खुद ही उसकी देखभाल कर सके और अपने बेडरूम में रख सके ताकि मैं उसी कमरे में सो सकूं.’
उसने बताया कि 2006 में 40वें जन्मदिन की पार्टी के बाद वेंडी को केंसर होने का पता चला था. तब दोनों ने मिलकर इस समस्या के समाधान के लिए कुदरती उपचार शुरू करने का निश्चय किया था.
रसेल ने कहा, ‘मैं उसके जीवन को डॉक्टरों के हाथ में सौंपने के लिए तैयार नहीं था. मैंने वेंडी के जीवत रखने के लिए खुद की खोज करने का फैसला लिया था.’ जीवन के अंतिम क्षणों से पहले दोनों ने मिलकर पूरा यूरोप घूमा और जीवन के शानदार पल एक-दूसरे के साथ बिताए.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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