माले:
मालदीव में भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे एक न्यायाधीश की गिरफ्तारी का आदेश देने के बाद पिछले तीन सप्ताह से भी अधिक समय से विरोध-प्रदर्शन का सामना कर रहे राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद ने मंगलवार को पद से इस्तीफा दे दिया।
नशीद (44) के इस्तीफे के बाद उप राष्ट्रपति मोहम्मद वहीद हसन ने कार्यभार सम्भाल लिया। संयुक्त राष्ट्र बाल राहत कोष (यूनीसेफ) के पूर्व अधिकारी हसन ने राष्ट्रपति पद की शपथ ली। सरकार ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है।
नशीद ने अपने इस्तीफे की घोषणा टेलीविजन चैनल के माध्यम से की। उन्होंने कहा कि सड़कों पर हो रहे प्रदर्शन को कुचलने के लिए बल प्रयोग कर वह सत्ता में बने रहना नहीं चाहते। उन्होंने कहा, "मैंने इसलिए पद से इस्तीफा दिया, क्योंकि मैं उनमें से नहीं हूं जो सत्ता का इस्तेमाल कर शासन में बने रहना चाहते हैं। मुझे लगता है कि यदि मैं सत्ता में बना रहता तो बल प्रयोग करना पड़ता, जिससे नागरिकों को नुकसान होता। यह भी सम्भव है कि हमें विदेशी प्रभाव का सामना करना पड़ता।" उन्होंने कहा, "मैंने हमेशा देश के लोगों का अच्छा चाहा है, अब भी चाहता हूं और आगे भी चाहता रहूंगा। मैं आपकी समृद्धि के लिए इस जीवन में कामना करता हूं और आगले जीवन में भी करूंगा।"
इस बीच, प्रोग्रेसिव पार्टी ऑफ मालदीव (पीपीएम) की अंतरिम परिषद के सदस्य तथा मुख्य प्रवक्ता हुसैन शरीफ ने कहा कि नशीद सेना की हिरासत में हैं और उन्हें सभी संवैधानिक अधिकार मिलेंगे।
नशीद के इस्तीफे के बाद सेना ने सरकार का नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया लेकिन मालदीव के मीडियाकर्मियों ने इसे सैन्य तख्ता पलट बताने से इनकार किया। भारतीय टेलीविजन चैनलों से बातचीत में उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति ने स्वयं अपना इस्तीफा दिया है, इसलिए यह तख्ता पलट नहीं है।
इधर, भारत ने कहा है कि वह स्थिति पर करीब से नजर बनाए हुए है। वहां रह रहे सभी भारतीय सुरक्षित हैं।
मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता नशीद ने 28 अक्टूबर, 2008 को तत्कालीन राष्ट्रपति मौमून अब्दुल गयूम को चुनाव में पराजित कर सरकार बनाई थी। नशीद की सरकार मालदीव के इतिहास में पहली लोकतांत्रिक सरकार थी। इससे पहले गयूम ने लगभग तीन दशक तक मालदीव पर शासन किया था।
नशीद ने भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे न्यायाधीश अब्दुल्ला मोहम्मद की गिरफ्तारी के आदेश दिए थे। उन्हें गिरफ्तार कर बेहद कम आबादी वाले द्वीप पर रखा गया था। पूर्व राष्ट्रपति गयूम के समर्थकों ने न्यायाधीश की गिरफ्तारी का विरोध करते हुए जगह-जगह प्रदर्शन किया। उन्होंने संसद को भी अपने नियंत्रण में ले लिया।
बाद में मालदीवियन नेशनल डिफेंस फोर्स (एमएनडीएफ) भी प्रदर्शन में शामिल हो गई। प्रदर्शनकारियों तथा पुलिस ने मालदीव नेशनल ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन (एमएनबीसी) पर भी कब्जा कर लिया और तुरंत इसका नाम बदलकर टेलीविजन मालदीव (टीवीएम) कर दिया। सरकार विरोधी इन गतिविधियों के कारण नशीद पर इस्तीफे का दबाव बढ़ता गया।
मानवाधिकार कार्यकर्ता रह चुके नशीद तीन साल पहले समुद्र के अंदर मंत्रिमंडल की बैठक बुलाने को लेकर चर्चा में आए थे। ऐसा उन्होंने जलवायु परिवर्तन के नुकसान के प्रति दुनिया का ध्यान आकर्षित करने के लिए किया था।
उधर, विपक्षी दल 'धिवेही कौमी पार्टी' (डीक्यूपी) ने श्रीलंकाई समाचार पत्र 'द संडे लीडर' से कहा कि पुलिस और सेना के अधिकतर जवान राष्ट्रपति को हटाए जाने का समर्थन कर रहे हैं।
डीक्यूपी के प्रवक्ता मोहम्मद मलेच जमाल ने कहा कि नशीद के पद छोड़ने की घोषणा के बाद माले में जश्न मनाया जा रहा है। माले अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा और सरकारी प्रसारण सेवा भी पुलिस तथा सेना के नियंत्रण में है।
जमाल के मुताबिक, "करीब 800 पुलिस अधिकारी रिपब्लिक चौक के पास एकत्र हो गए और नशीद से इस्तीफे की मांग करने लगे।"
नशीद (44) के इस्तीफे के बाद उप राष्ट्रपति मोहम्मद वहीद हसन ने कार्यभार सम्भाल लिया। संयुक्त राष्ट्र बाल राहत कोष (यूनीसेफ) के पूर्व अधिकारी हसन ने राष्ट्रपति पद की शपथ ली। सरकार ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है।
नशीद ने अपने इस्तीफे की घोषणा टेलीविजन चैनल के माध्यम से की। उन्होंने कहा कि सड़कों पर हो रहे प्रदर्शन को कुचलने के लिए बल प्रयोग कर वह सत्ता में बने रहना नहीं चाहते। उन्होंने कहा, "मैंने इसलिए पद से इस्तीफा दिया, क्योंकि मैं उनमें से नहीं हूं जो सत्ता का इस्तेमाल कर शासन में बने रहना चाहते हैं। मुझे लगता है कि यदि मैं सत्ता में बना रहता तो बल प्रयोग करना पड़ता, जिससे नागरिकों को नुकसान होता। यह भी सम्भव है कि हमें विदेशी प्रभाव का सामना करना पड़ता।" उन्होंने कहा, "मैंने हमेशा देश के लोगों का अच्छा चाहा है, अब भी चाहता हूं और आगे भी चाहता रहूंगा। मैं आपकी समृद्धि के लिए इस जीवन में कामना करता हूं और आगले जीवन में भी करूंगा।"
इस बीच, प्रोग्रेसिव पार्टी ऑफ मालदीव (पीपीएम) की अंतरिम परिषद के सदस्य तथा मुख्य प्रवक्ता हुसैन शरीफ ने कहा कि नशीद सेना की हिरासत में हैं और उन्हें सभी संवैधानिक अधिकार मिलेंगे।
नशीद के इस्तीफे के बाद सेना ने सरकार का नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया लेकिन मालदीव के मीडियाकर्मियों ने इसे सैन्य तख्ता पलट बताने से इनकार किया। भारतीय टेलीविजन चैनलों से बातचीत में उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति ने स्वयं अपना इस्तीफा दिया है, इसलिए यह तख्ता पलट नहीं है।
इधर, भारत ने कहा है कि वह स्थिति पर करीब से नजर बनाए हुए है। वहां रह रहे सभी भारतीय सुरक्षित हैं।
मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता नशीद ने 28 अक्टूबर, 2008 को तत्कालीन राष्ट्रपति मौमून अब्दुल गयूम को चुनाव में पराजित कर सरकार बनाई थी। नशीद की सरकार मालदीव के इतिहास में पहली लोकतांत्रिक सरकार थी। इससे पहले गयूम ने लगभग तीन दशक तक मालदीव पर शासन किया था।
नशीद ने भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे न्यायाधीश अब्दुल्ला मोहम्मद की गिरफ्तारी के आदेश दिए थे। उन्हें गिरफ्तार कर बेहद कम आबादी वाले द्वीप पर रखा गया था। पूर्व राष्ट्रपति गयूम के समर्थकों ने न्यायाधीश की गिरफ्तारी का विरोध करते हुए जगह-जगह प्रदर्शन किया। उन्होंने संसद को भी अपने नियंत्रण में ले लिया।
बाद में मालदीवियन नेशनल डिफेंस फोर्स (एमएनडीएफ) भी प्रदर्शन में शामिल हो गई। प्रदर्शनकारियों तथा पुलिस ने मालदीव नेशनल ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन (एमएनबीसी) पर भी कब्जा कर लिया और तुरंत इसका नाम बदलकर टेलीविजन मालदीव (टीवीएम) कर दिया। सरकार विरोधी इन गतिविधियों के कारण नशीद पर इस्तीफे का दबाव बढ़ता गया।
मानवाधिकार कार्यकर्ता रह चुके नशीद तीन साल पहले समुद्र के अंदर मंत्रिमंडल की बैठक बुलाने को लेकर चर्चा में आए थे। ऐसा उन्होंने जलवायु परिवर्तन के नुकसान के प्रति दुनिया का ध्यान आकर्षित करने के लिए किया था।
उधर, विपक्षी दल 'धिवेही कौमी पार्टी' (डीक्यूपी) ने श्रीलंकाई समाचार पत्र 'द संडे लीडर' से कहा कि पुलिस और सेना के अधिकतर जवान राष्ट्रपति को हटाए जाने का समर्थन कर रहे हैं।
डीक्यूपी के प्रवक्ता मोहम्मद मलेच जमाल ने कहा कि नशीद के पद छोड़ने की घोषणा के बाद माले में जश्न मनाया जा रहा है। माले अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा और सरकारी प्रसारण सेवा भी पुलिस तथा सेना के नियंत्रण में है।
जमाल के मुताबिक, "करीब 800 पुलिस अधिकारी रिपब्लिक चौक के पास एकत्र हो गए और नशीद से इस्तीफे की मांग करने लगे।"
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