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कभी बौद्ध धर्म का बड़ा केंद्र रहा मालदीव कैसे बना इस्लामिक देश, हजारों साल पुराना इतिहास

भारत और मालदीव के रिश्ते प्राचीन काल से रहे हैं. इस्लामिक मुल्क मालदीव कभी बौद्ध धर्म का गढ़ रहा है. फिर 9वीं-10वीं सदी में यहां अरब व्यापारियों के आने से यहां इस्लाम आया.

कभी बौद्ध धर्म का बड़ा केंद्र रहा मालदीव कैसे बना इस्लामिक देश, हजारों साल पुराना इतिहास
Maldives History
  • कहा जाता है कि मालदीव में बौद्ध धर्म भारत के ओडिशा राज्य से पहुंचा
  • फिर अरब व्यापारियों के मालदीव पहुंचने से वहां इस्लाम का प्रसार हुआ
  • मालदीव को 1965 में ब्रिटेन के शासन से आजादी मिली, 26 जुलाई को आजादी की 60वीं वर्षगांठ
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नई दिल्ली:

मालदीव आज एक मुस्लिम बहुल देश है और यहां की करीब 98.5 फीसदी आबादी इस्लाम धर्म का पालन करती है. लेकिन कभी वो बौद्ध धर्म का बड़ा केंद्र था. फिर अरब मुल्क के व्यापारियों के आने के साथ वहां इस्लाम का उदय हुआ. लंबे समय तक इस्लामिक शासन के बाद वो पुर्तगाल और फिर ब्रिटिश शासन के अधीन रहा. आज मालदीव 1965 में अपनी आजादी की 60वीं वर्षगांठ मना रहा है. मालदीव की आबादी महज 5 लाख है और ये 1200 द्वीपों का एक समूह है. मालदीव की 40 फीसदी आबादी राजधानी माले में रहती है. मालदीव सिर्फ 298 वर्ग किलोमीटर एरिया में फैला है, जो दिल्ली का कुल क्षेत्रफल का 20 फीसदी है. मालदीव की राजकीय भाषा धिवेही है, जिसे श्रीलंका की सिंहली भाषा जैसा माना जाता है.

मालदीव का इतिहास 25 सौ साल से भी पुराना माना जाता है. कभी निर्जन द्वीपों का समूह रहे मालदीव में करीब 2500 साल पहले इंसानों ने बसना शुरू किया. कभी यह हिन्दू और बौद्ध धर्म का बड़ा केंद्र था. 12वीं सदी में इस देश के राजा ने इस्लाम धर्म अपना लिया था, जिसके बाद 150 सालों में यह पूरी तरह मुस्लिम देश बन गया। वैज्ञानिक रिपोर्ट्स के मुताबिक जलवायु परिवर्तन की वजह से 25 साल में मालदीव का 80% हिस्सा डूब सकता है।

कहा जाता है कि मालदीव में प्राचीन राजतंत्र की नींव भारत के ओडिशा राज्य (प्राचीन काल में कलिंग) के राजा ब्रह्मदित्य के पुत्र और बौद्ध राजा सूरदासरुण आदित्य ने रखी थी. मान्यता है कि आदित्य के शासन में बौद्ध धर्म मालदीव पहुंचा. बौद्ध धर्म करीब एक हजार साल तक मालदीव का प्रमुख धर्म रहा. बौद्ध धर्म के प्रसार के साथ मालदीव में प्राचीन धिवेही लिपि बोलचाल में इस्तेमाल होने लगी. मालदीव के कई द्वीपों पर अभी भी बौद्ध मठ और स्तूपों के अवशेष हैं, जिन्हें स्थानीय भाषा में हवित्ता या उस्तुबु कहते हैं.

बामयान में विशालकाय बौद्ध प्रतिमा 
बामयान जैसी विशाल बौद्ध प्रतिमा मालदीव के थोड्डू द्वीप पर बामयान जैसी विशालकाय प्रतिमा 1959 में खोजी गई. ये मूर्ति करीब 800 साल तक मिट्टी के टीले तले दबी रही. फुवामुला द्वीप पर फुआ मुलक्कु नाम का 12 मीटर ऊंचा स्तूप भी है. यहां एक प्राचीन बौद्ध मंदिर का भी अवशेष भी मिला. इस्लामिक देश के गड्धू द्वीप पर एक विशाल बौद्ध स्तूप है.

Buddha Idol

Buddha Idol

मालदीव में 6 इस्लामिक राजवशों की हुकूमत रही
प्राचीन समय में यह देश श्रीलंका के सिंहली शासक और दक्षिण भारत के चोल साम्राज्य के प्रभाव में रहा. मालदीव में इस्लाम का उदय 9वीं-10वीं सदी में अरब कारोबारियों के यहां आने से प्रारंभ हुआ था. मालदीव के आखिरी बौद्ध शासक धोवेमी ने वर्ष 1153 में इस्लाम धर्म कबूल कर लिया था. धोवेमी का नाम सुल्तान मुहम्मद इब्न अब्दुल्ला पड़ा. फिर मालदीव के बौद्ध केंद्र से इस्लामिक देश बनने में 150 साल लगे. इन इस्लामिक राजाओं की हुकूमत छह 1968 तक चलती रही. मालदीव के नए संविधान के तहत 2008 में इस्लाम को राजकीय धर्म घोषित किया गया. मालदीव की नागरिकता के लिए इस्लाम ग्रहण करना अनिवार्य बनाया गया.

पुर्तगाल का शासन, ब्रिटेन का नियंत्रण
इस्लामिक शासन के बाद मालदीव पुर्तगाल और ब्रिटेन का गुलाम रहा. पुर्तगाल ने मालदीव पर 1558 में कब्जा किया. लेकिन 15 सालों बाद 1573 में इसे पुर्तगाल से आजादी मिल गई. फिर वो ब्रिटेन के चंगुल में आ गया. 1887 में मालदीव ने ब्रिटेन के साथ एक समझौता किया. इस करार के तहत मालदीव ने अपनी आंतरिक स्वायत्तता बनाए रखी, लेकिन विदेश नीति और रक्षा नीति ब्रिटेन के हाथों में थी.

Maldives Independence

Maldives Independence

60 साल पहले मिली आजादी
मालदीव को पूरी आजादी 26 जुलाई 1965 को मिली. मालदीव 1968 में गणतांत्रिक देश बने और इब्राहिम नासिर पहले राष्ट्रपति चुने गए. मालदीव की स्वतंत्रता की 60वीं वर्षगांठ में शामिल होने पीएम मोदी माले पहुंचे. ब्रिटेन के साथ मालदीव के प्रधानमंत्री इब्राहिम नासिर ने 1965 में आजादी से जुड़े समझौते पर हस्ताक्षर किए.

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