मलाला यूसुफजई ने खुद के पश्चिमी देशों की कठपुतली बन जाने के दावों पर पलटवार करते हुए कहा है कि उसे पाकिस्तानी होने का गर्व है।
मलाला ने दावा किया है कि उसे अपनी सरजमीं के लोगों का समर्थन बना हुआ है और उसकी इच्छा पाकिस्तान की राजनीति में उतरने की है।
तालिबान के खिलाफ बोलने पर बालिका शिक्षा की हिमायती 16 वर्षीय मलाला के सिर में पिछले साल 9 अक्टूबर को गोली मार दी गई थी। उस वक्त वह अपनी स्कूल बस में सवार थी। उसे बेहतर इलाज के लिए ब्रिटेन ले जाया गया जहां उसने अपनी शिक्षा जारी रखी।
बृहस्पतिवार को उसे यूरोपीय संघ के ‘सखारोव मानवाधिकार पुरस्कार’ से नवाजा गया। अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने शुक्रवार को व्हाइट हाउस में उसका स्वागत किया।
रविवार को प्रसारित हुए बीबीसी टीवी साक्षात्कार में यह पूछे जाने पर कि पाकिस्तान में कुछ लोगों को लगता है कि वह ‘पश्चिमी देशों की समर्थक है’, मलाला ने कहा, ‘मेरे पिता का कहना है कि शिक्षा न तो पूर्वी है न ही पश्चिमी। शिक्षा तो शिक्षा है। यह हर किसी का अधिकार है।’ मलाला ने कहा, ‘असल बात यह है कि पाकिस्तान के लोगों ने मेरा समर्थन किया है। वे मुझे पश्चिमी नहीं मानते। मैं पाकिस्तान की बेटी हूं और मुझे पाकिस्तानी होने का गर्व है।’ उसने कहा, ‘जिस दिन मुझे गोली लगी थी और उसके अगले दिन लोग ‘मैं मलाला हूं’ के बैनर लिए हुए थे।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं