
- 7 जुलाई 2005 को लंदन में चार आत्मघाती हमलावरों ने मेट्रो और बस पर चार धमाके किए थे.
- इस हमले में 52 लोग मारे गए और सैकड़ों लोग घायल हुए थे, यह ब्रिटेन पर सबसे बड़ा आतंकवादी हमला था.
- हमलावरों में मोहम्मद सिद्दीक खान, शहजाद तनवीर, हसीब हुसैन और जर्मेन लिंडसे शामिल थे. फोरेंसिक जांच से हमलावरों की पहचान हुई.
- विस्फोट सुबह 8:50 बजे के आसपास हुए, जिसमें सबसे घातक हमला किंग्स क्रॉस के पास हुआ.
आज से ठीक 20 साल पहले, लंदन में एक के बाद एक, कुल 4 धमाके हुए. लंदन के अंडरग्राउंड मेट्रो नेटवर्क और डबल डेकर बस पर सुसाइड हमलावरों के किए इस हमले में 52 लोग मारे गए थे और सैकड़ों अन्य घायल हो गए थे. यह ब्रिटिश धरती पर सबसे बड़ा आतंकवादी हमला था. पूरे ब्रिटेन और साथ ही दुनिया की रूह कंपा देने वाले इस आतंकी हमले के 20 साल गुजरने के मौके पर हम पीछे मुड़कर देखते हैं और जानते हैं कि 7 जुलाई 2005 को क्या कुछ हुआ था. हमले के गुनाहगारों के साथ क्या हुआ और क्या लंदन आज पूरी तरह ऐसे किसी भी हमले के लिए सुरक्षित बना हुआ है?
7 जुलाई 2005… जब विस्फोटों से दहल गया था लंदन
बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार उस दिन हमलावरों ने अपना काम सुबह के 4 बजे शुरु किया. हमला करने वाले 4 थे- 30 साल का मोहम्मद सिद्दीक खान, 22 साल का शहजाद तनवीर, 18 साल का हसीब हुसैन और 19 साल का जर्मेन लिंडसे. मोहम्मद सिद्दीक, शहजाद तनवीर और हसीब हुसैन एक साथ वेस्ट यॉर्कशायर के लीड्स से एक किराए की कार में बैठकर बेडफोर्डशायर के ल्यूटन के लिए रवाना हुए. वहां वो जर्मेन लिंडसे से मिले और चारों ट्रेन में बैठकर लंदन की ओर चले गए. चारों सुसाइड बॉम्बर थे. उन्होंने तीन धमाके लंदन के अंडरग्राउंड मेट्रो में किए और एक डबल-डेकर बस में.
कैसे दिया हमले को अंजाम
चार में से तीन बम किंग्स क्रॉस से रवाना हुई ट्यूब ट्रेनों (मेट्रो ट्रेन) पर सुबह के 8:50 बजे से ठीक पहले फटे. इन हमलावरों का सरगना मोहम्मद सिद्दीक खान था.
- मोहम्मद सिद्दीक खान ने पैडिंगटन की ओर जाने वाली सर्कल लाइन ट्रेन पर खुद को उड़ाया. यानी सुसाइड बम को डेटोनेट किया. बम एडगवेयर रोड के करीब फट गया. इसमें छह लोगों की मौत हो गयी.
- शहजाद तनवीर ने लिवरपूल स्ट्रीट और एल्डगेट के बीच सर्कल लाइन ट्रेन में खुद को उड़ाया. दूसरी गाड़ी के पिछले हिस्से में हुए विस्फोट में सात लोगों की मौत हो गई.
- सबसे घातक हमला किंग्स क्रॉस और रसेल स्क्वायर के बीच पिकाडिली लाइन पर हुआ. जर्मेन लिंडसे ने किंग्स क्रॉस स्टेशन से बाहर निकलने के तुरंत बाद, खचाखच भरी ट्रेन के सामने वाले डिब्बे में बम विस्फोट कर दिया. छब्बीस लोग मारे गये.
- हमलावरों में सबसे कम उम्र के हसीब हुसैन ने किंग्स क्रॉस के नजदीक ही टैविस्टॉक स्क्वायर में एक डबल डेकर बस में विस्फोट कर दिया. यहां 13 लोग मरे.
2011 में, मौतों की जांच में पता चला कि बम 08:50 बजे पर फटा था, लेकिन पुलिस और मेडिकल जैसी आपातकालीन सेवाएं 09:12 बजे स्टेशन पर पहुंचीं.
हमलावरों की पहचान और नए तरह का बम का पता
हमलों में सभी चार हमलावर मारे गए थे जिससे पुलिस को उनकी पहचान खोजने में काफी मशक्कत करनी पड़ी. उन्होंने शहर भर के विभिन्न अंडरग्राउंड स्टेशनों से आते-जाते हजारों लोगों के फुटेज की जांच की. खोज में एक सफलता तब मिली जब स्टेशन में बड़े-बडे़ बैकपैक ले जाने वाले चार लोगों के एक साथ चलने का फुटेज मिला. फुटेज से पता चला कि वे लोग किंग्स क्रॉस स्टेशन से लगभग 32 मील उत्तर में ल्यूटन में थे. उनकी कार अभी भी उस स्टेशन पर खड़ी थी. कार के अंदर कई छोटे घर में बने विस्फोटक उपकरण थे.
हमलावरों में से एक- हसीब हुसैन- सिर्फ 18 साल का था और इंग्लैंड के उत्तर में लीड्स में अपने परिवार के साथ रहता था. अपने परिवार के साथ रहने के बावजूद, उसने अपना खुद का एक घर किराए पर ले रखा था. वह घर विस्फोटक बनाने के लिए सामग्री से भरी हुई थी. उसकी जांच की गई तो नई फोरेंसिक-बायोमेट्रिक्स मिलें जिसमें उंगलियों के निशान और सेलफोन डेटा शामिल थे. इससे सभी चार हमलावरों की पहचान करने में मदद मिली.
फोरेंसिक जांच में पाया गया कि पुलिस को जिस प्रकार के बम मिलने की उम्मीद थी, उनका कोई निशान नहीं था. पुलिस विस्फोटक उपकरण बनाने के एक बिल्कुल नए तरीके से निपट रही थी. उन्होंने पाया कि हमलावरों ने पिपेरिन के मिक्चर का इस्तेमाल किया, जो पिसी हुई काली मिर्च और हाइड्रोजन पेरोक्साइड से आता है. दोनों आसानी से कहीं भी मिल जाता है.
आखिर हमला किया क्यों?
हमलावर उग्रवादी इस्लामी समूह अल-कायदा से प्रेरित थे. अलकायदा खुद 2004 में मैड्रिड ट्रेन बम विस्फोट, 2001 में न्यूयॉर्क में 9/11 के हमले और 1998 में केन्या और तंजानिया में बम विस्फोटों से जुड़ा था. ये हमलाकर कट्टरपंथी सोच रखते थे और वो अल-कायदा के कदमों को सही मानते थे.
अल-कायदा की विचारधारा ने इन चारों को अमेरिका और उसके सहयोगी देशों के खिलाफ मिडिल ईस्ट में उनकी उपस्थिति, इराक और अफगानिस्तान में उनके द्वारा लड़े गए युद्धों के लिए खिलाफ खड़ा कर दिया था.
(इनपुट- बीबीसी)
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