लाहौर की कोट लखपत सेंट्रल जेल में करीब चार साल पहले सरबजीत की हत्या कर दी गई थी. (प्रतीकात्मक तस्वीर)
लाहौर:
पाकिस्तान के एक न्यायाधीश ने कहा कि भारतीय नागरिक सरबजीत सिंह की हत्या के बहुचर्चित मामले में 'बहुत कम' प्रगति हुई है. न्यायाधीश ने अदालत के साथ सहयोग न करने के लिए पुलिस को फटकार भी लगाई. इसके साथ ही जज ने जेल के एक अधिकारी को गिरफ्तार करने के आदेश भी दिए.
लाहौर के अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने लाहौर पुलिस प्रमुख को आदेश दिया कि वह कोट लखपत जेल के उपाधीक्षक की 17 फरवरी को अदालत में पेशी सुनिश्चित करें.
उल्लेखनीय है कि लाहौर की कोट लखपत सेंट्रल जेल में करीब चार साल पहले सरबजीत की हत्या कर दी गई थी. न्यायाधीश ने कहा कि इस मामले में 'बहुत कम' प्रगति हुई है.
सुनवाई के दौरान न्यायधीश ने अदालत के साथ सहयोग नहीं करने को लेकर जेल प्राधिकारियों को फटकार लगाई और बार-बार समन जारी किए जाने के बावजूद अदालत में पेश नहीं होने वाले उप अधीक्षक को जमानती गिरफ्तारी वारंट जारी किया है.
दरअसल, मौत की सजा काट रहे दो कैदी आमिर तंबा और मुदस्सर ने मई 2013 में कोट लखपत जेल में सरबजीत पर कथित तौर पर हमला करके उसकी हत्या कर दी थी.
लाहौर उच्च न्यायालय के एक सदस्यीय न्यायिक आयोग के न्यायाधीश मजहर अली अकबर नकवी ने सत्र अदालत में मामला शुरू होने से पहले सरबजीत हत्या मामले की जांच की थी. नकवी ने मामले में 40 गवाहों के बयान दर्ज किए थे और इसकी रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी. इसे अभी सार्वजनिक नहीं किया गया है.
एक सदस्यीय न्यायिक आयोग ने विदेश मंत्रालय के जरिए सरबजीत के रिश्तेदारों को भी नोटिस जारी किया है ताकि उनके बयान दर्ज किए जा सकें और अगर उनके पास हत्या से संबंधित कोई सबूत है तो उन्हें भी पेश किया जा सकें. अधिकारियों ने बताया कि बहरहाल सरबजीत के परिवार ने अपने बयान दर्ज नहीं करवाए हैं.
आयोग को दिए अपने बयान में आमिर और मुदस्सर ने अपना अपराध स्वीकार करते हुए कहा था कि वह सरबजीत की हत्या करके लाहौर और फैसलाबाद बम विस्फोटों में मारे गए लोगों की हत्या का बदला लेना चाहते थे.
अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश लाहौर की अदालत में आमिर और मुदस्सर दोनों ही हत्या मामले में दोषी पाए गए हैं. मामले की अगली सुनवाई 17 फरवरी को होगी. (इनपुट भाषा से)
लाहौर के अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने लाहौर पुलिस प्रमुख को आदेश दिया कि वह कोट लखपत जेल के उपाधीक्षक की 17 फरवरी को अदालत में पेशी सुनिश्चित करें.
उल्लेखनीय है कि लाहौर की कोट लखपत सेंट्रल जेल में करीब चार साल पहले सरबजीत की हत्या कर दी गई थी. न्यायाधीश ने कहा कि इस मामले में 'बहुत कम' प्रगति हुई है.
सुनवाई के दौरान न्यायधीश ने अदालत के साथ सहयोग नहीं करने को लेकर जेल प्राधिकारियों को फटकार लगाई और बार-बार समन जारी किए जाने के बावजूद अदालत में पेश नहीं होने वाले उप अधीक्षक को जमानती गिरफ्तारी वारंट जारी किया है.
दरअसल, मौत की सजा काट रहे दो कैदी आमिर तंबा और मुदस्सर ने मई 2013 में कोट लखपत जेल में सरबजीत पर कथित तौर पर हमला करके उसकी हत्या कर दी थी.
लाहौर उच्च न्यायालय के एक सदस्यीय न्यायिक आयोग के न्यायाधीश मजहर अली अकबर नकवी ने सत्र अदालत में मामला शुरू होने से पहले सरबजीत हत्या मामले की जांच की थी. नकवी ने मामले में 40 गवाहों के बयान दर्ज किए थे और इसकी रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी. इसे अभी सार्वजनिक नहीं किया गया है.
एक सदस्यीय न्यायिक आयोग ने विदेश मंत्रालय के जरिए सरबजीत के रिश्तेदारों को भी नोटिस जारी किया है ताकि उनके बयान दर्ज किए जा सकें और अगर उनके पास हत्या से संबंधित कोई सबूत है तो उन्हें भी पेश किया जा सकें. अधिकारियों ने बताया कि बहरहाल सरबजीत के परिवार ने अपने बयान दर्ज नहीं करवाए हैं.
आयोग को दिए अपने बयान में आमिर और मुदस्सर ने अपना अपराध स्वीकार करते हुए कहा था कि वह सरबजीत की हत्या करके लाहौर और फैसलाबाद बम विस्फोटों में मारे गए लोगों की हत्या का बदला लेना चाहते थे.
अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश लाहौर की अदालत में आमिर और मुदस्सर दोनों ही हत्या मामले में दोषी पाए गए हैं. मामले की अगली सुनवाई 17 फरवरी को होगी. (इनपुट भाषा से)
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