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कुलमान घिसिंग को Gen-Z ने किया 'लाइक', पढ़ें नेपाल को 'अंधकार' युग से निकालने वाले इंजीनियर की कहानी

नेपाल की बिजली समस्या का समाधान कर चारों तरफ उजाला फैलाने के लिए लोग कुलमान घीसिंग का नाम बहुत सम्मान से लेते हैं.

कुलमान घिसिंग को Gen-Z ने किया 'लाइक', पढ़ें नेपाल को 'अंधकार' युग से निकालने वाले इंजीनियर की कहानी
  • कुलमान घीसिंग का नाम अब नेपाल में बनने वाली अंतरिम सरकार के प्रमुख के रूप में आगे चल रहा है.
  • नेपाल इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड के प्रमुख के रूप में घीसिंग ने बिजली संकट को दूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
  • उन्होंने बिजली कटौती को कम कर 2025 तक देश की बिजली उत्पादन क्षमता को 856 मेगावाट से बढ़ाकर 3500 मेगावाट किया.
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नई दिल्ली:

नेपाल में बनने वाली अंतरिम सरकार के प्रमुख के रूप में कुलमान घिसिंग का नाम अभी आगे चल रहा है. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट की पूर्व प्रमुख सुशीला कार्की के नाम की चर्चा थी. लेकिन उनके नाम पर सहमति नहीं बन पाई. जेन जेड आंदोलनकारियों का कहना था कि सुप्रीम कोर्ट का पूर्व जज होने के कारण कार्की नेतृत्व नहीं कर सकती हैं और उनकी उम्र भी 70 साल से अधिक है. इसके बाद अब घिसिंग का नाम आगे आया है. नेपाल इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड के पूर्व प्रमुख घिसिंग को नेपाल को अंधाकर के युग से बाहर निकालने वाले इंजीनियर के रूप में जाना जाता है. 

नेपाल इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड के प्रमुख पद से हटाए जाने के बाद से ही घीसिंग सार्वजनिक जीवन में सक्रिय हैं. सोमवार को जब पुलिस की गोलीबारी में 19 युवाओं की मौत हुई थी तो उनका गुस्सा फूट पड़ा था. उन्होंने अपने फेसबुक पोस्ट में सरकार से इस्तीफे की मांग की थी. इसके साथ ही उन्होंने एक अंतरिम सरकार के गठन और उसके नेतृत्व में चुनाव कराने की मांग की थी. उन्होंने भ्रष्टाचार की जांच कराकर भ्रष्टाचारियों को सजा दिलवाने की मांग की थी. उन्होंने युवाओं से अपील की थी कि वो सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान न पहुंचाए.

भारत  से किया है ग्रेजुएशन

वीकिपीडिया प्रोफाइल के मुताबिक नेपाल के रामेछाप जिले में 25 नवंबर 1970 को पैदा हुए घिसिंग की प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा नेपाल में ही हुई है. स्नातक करने के लिए वो भारत आ गए थे. झारखंड के रिजिनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से उन्होंने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन किया. इसके बाद उन्होंने नेपाल के पुलचौक इंजीनियरिंग कॉलेज से पॉवर सिस्टम इंजीनियरिंग से पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री ली. 

घिसिंग के करियर का अधिकांश हिस्सा नेपाल इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड (एनईबी) में ही गुजरा है. वो दो बार इस संगठन के प्रबंध निदेशक रहे हैं. इसके अलावा उन्होंने राहुघाट हाइड्रोइलेक्ट्रिसिटी प्रोजेक्ट और चिलिमे हाइड्रोपावर कंपनी के प्रमुख के रूप में भी काम किया है. घीसिंग के पास बिजली के क्षेत्र में काम करने का लंबा अनुभव है. इस अनुभव का इस्तेमाल उन्होंने नेपाल के बिजली संकट को दूर करने में किया. उन्होंने नेपाल के हाइड्रो पॉवर जनरेशन (पानी से बिजली बनाने) का कायाकल्प किया. उन्होंने उद्योगों को 24 घंटे बिजली देने की नीति को बदल दिया था. उन्होंने इस बात के लिए जन जागरूकता अभियान चलाया कि जब बिजली की मांग अधिक हो तो बिजली की ज्यादा खपत करने वाले उपकरणों का इस्तेमाल न करें. 

नेपाल के बिजली संकट का समाधान

घीसिंग को सितंबर 2016 में नेपाल इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड का पहली बार प्रबंध निदेशक बनाया गया था. इसके कुछ महीनों बाद ही उन्होंने नेपाल के कुछ शहरों में बिजली कटौती की समस्या को दूर कर दिया. उन्होंने दूसरे शहरों में इसे हर दूसरे दिन केवल दो घंटे की बिजली कटौती का प्रावधान लागू किया था. उन्होंने हाइड्रोपॉवर परियोजना की स्थिति सुधारी और पानी जमा कर उसका इस्तेमाल अधिक मांग वाले दिनों में बिजली उत्पादन बढ़ाने में किया. घीसिंग ने जब नेपाल इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड का कामकाज संभाला था, उस समय नेपाल अपने यहां 856 मेगावाट बिजली का ही उत्पादन कर पाता था, लेकिन 2025 आते-आते यह बढ़कर 35 सौ मेगावाट हो गया. उनके प्रयासों का असर था कि मई 2018 तक देश के औद्योगिक और घरेलू दोनों क्षेत्रों में बिजली कटौती पूरी तरह खत्म हो गई. 

नेपाल इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड के कायाकल्प का श्रेय घीसिंग को दिया जाता है. जब उन्होंने इसका कामकाज संभाला था, तब बोर्ड 900 करोड़ नेपाली रूपये के घाटे में था. लेकिन तीन साल के अंदर ही वह फायदे में आ गया. नेपाल के बिजली क्षेत्र में आए इस बदलाव पर वहां की जनता बहुत बारीकी से नजर रखे हुए थी. वह घीसिंग के कामकाज से खुश थी. 

जब घीसिंग के लिए सड़क पर उतर आई थी जनता

केपी शर्मा ओली की सरकार ने इस साल मार्च में घीसिंग की जगह हितेंद्र देव शाक्य को नेपाल इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड के प्रबंध निदेशक बना दिया. घीसिंग को ऐसे समय हटाया गया था, जब उनका कार्यकाल केवल तीन महीने ही बचा था. इससे नाराज जनता सड़क पर उतर गई. राजधानी काठमांडू में लोगों ने उनकी बहाली की मांग को लेकर सड़क पर उतरकर प्रदर्शन किया था. उस समय भी लोगों ने संसद के सामने प्रदर्शन किया था. इस दौरान उनका पुलिस से टकराव भी हुआ था. ऑल नेपाल नेशनल इंडिपेंडेंट स्टूडेंट यूनियन (रिवोल्यूशनरी) नाम के छात्र संगठन ने प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली का पुतला भी फूका था. उस समय नारा लगा था, 'उज्जलो नेपाल जिंदाबाद' (प्रकाशमान नेपाल जिंदाबाद) और 'अधरो सरकार मुर्दाबाद' (अंधेरी सरकार मुर्दाबाद). यह समय का ही चक्र है कि जिस घीसिंग को ओली ने नेपाल इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड के प्रबंध निदेशक के पद से हटाया था, वो ओली की जगह लेने के लिए तेजी से आगे बढ़ रहा है. 

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