बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) की चेयरपर्सन बेगम खालिदा जिया का मंगलवार, 30 दिसंबर की सुबह लंबी बीमारी के बाद 80 साल की उम्र में निधन हो गया. बांग्लादेश के पूर्व राष्ट्रपति जियाउर रहमान की विधवा खालिदा जिया ने बांग्लादेश की पहली महिला प्रधानमंत्री बनकर इतिहास रचा और दो बार पद संभाला. वह राष्ट्रीय राजनीति में एक अहम हस्ती बनी रहीं, और उनके कई समर्थकों का मानना था कि वह भविष्य के चुनावों में अहम भूमिका निभा सकती थीं. लेकिन शेख हसीन के तख्तापलट और अवामी लीग के बैन होने के बाद फरवरी 2026 में पहली बार आम चुनाव होने जा रहे हैं और उससे ठीक पहले खालिदा जिया का निधन हो गया है. खालिदा जिया के निधन को उनकी पार्टी, BNP के राजनीतिक जीवन में टर्निंग प्वाइंट माना जा रहा है.
कई दशकों में ऐसा पहली बार होगा जब बांग्लादेश के राजनीतिक अखाड़े में दो बेगमों की लड़ाई नहीं होगी. यानी अब न खालिदा जिया दुनिया में हैं और न ही शेख हसीना बांग्लादेश में. लेकिन क्या आपको पता है कि एक-दूसरे की धूर विरोधी रहीं खालिदा जिया और शेख हसीना ने एक बार हाथ मिलाया था. यह पहली बार सुनने में थोड़ा अजीब लग रहा लेकिन वाकई 1990 में दोनों के सामने एक कॉमन चुनौती थी और वो चुनौती बांग्लादेश में तानाशाही सैन्य सरकार चलाने वाले जनरल हुसैन मुहम्मद इरशाद की थी. चलिए आपको इसकी कहानी बताती हैं.

जब दो बेगमों ने मिलाया था हाथ
खालिदा जिया और शेख हसीना ने 1990 में हाथ इसलिए नहीं मिलाया था कि दोनों राजनीतिक दोस्त बन गई थीं या फिर उनकी प्रतिद्वंद्वी पार्टियों, BNP और अवामी लीग में मतभेद पूरी तरह खत्म हो गई थी. दोनों नेताओं के सामने एक कॉमन दुश्मन था- सैन्य शासक जनरल हुसैन मुहम्मद इरशाद, जिन्होंने 1982 के तख्तापलट में सत्ता पर कब्जा कर लिया था. शेख हसीना और खालिदा जिया का यह गठबंधन, मिलकर विरोध प्रदर्शन करने, लोकतंत्र को बहाल करने और इरशाद की तानाशाही सरकार को बाहर करने की पारस्परिक इच्छा से पैदा हुआ था.
काम खत्म और फिर अदावत शुरू
एक बार जब इरशाद की सरकार चली गई, तो जिया और हसीना की गहरी राजनीतिक दुश्मनी फिर से उभर आई. दशकों तक दोनों के बीच तीव्र प्रतिस्पर्धा, बहिष्कार और राजनीतिक हमला हुआ, दोनों की उठा-पटक को "बेगमों की लड़ाई" का नाम दिया गया. 1991 के आम चुनाव में BNP विजेता बनकर उभरी. वह 300 सीटों में से 140 सीटें हासिल करके सबसे बड़ी पार्टी बनी. सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद BNP के पास पूर्ण बहुमत नहीं था. ऐसे में BNP ने जमात-ए-इस्लामी बांग्लादेश के समर्थन से सरकार बनाई और खालिदा जिया ने 20 मार्च 1991 को बांग्लादेश की पहली महिला प्रधान मंत्री के रूप में शपथ ली.
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