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This Article is From Oct 22, 2024

60 साल बाद जेल से रिहा शख्स से जापान के पुलिस चीफ ने घर जाकर क्यों मांगी माफी

जापानी कोर्ट ने कहा कि अपुलिस और अभियोजकों ने हाकामादा के खिलाफ सबूत गढ़ने के लिए साठगांठ की और उन्हें घंटों तक बंद कमरे में चली हिंसक पूछताछ के बाद जुर्म कबूल करने के लिए मजबूर किया.

60 साल बाद जेल से रिहा शख्स से जापान के पुलिस चीफ ने घर जाकर क्यों मांगी माफी
इवाओ हाकामादा ने इंसाफ के लिए लड़ी लंबी लड़ाई

जापान के पुलिस प्रमुख ने पूर्व मुक्केबाज इवाओ हाकामादा से सोमवार को माफी मांगी. जिन्हें हत्या के एक झूठे मामले में करीब 60 साल तक जेल में रखने के बाद रिहा किया गया है और उन्हें मिली मौत की सजा रद्द कर दी गयी है. हाकामादा (88) को शिजुओका डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने बरी कर दिया. अदालत ने कहा कि पुलिस और अभियोजकों ने हाकामादा के खिलाफ सबूत गढ़ने के लिए साठगांठ की और उन्हें घंटों तक बंद कमरे में चली हिंसक पूछताछ के बाद जुर्म कबूल करने के लिए मजबूर किया.

बेगुनाही साबित करने में लगे 60 साल

हाकामादा को इस महीने की शुरुआत में बरी किया गया जिससे अपनी बेगुनाही साबित करने की उनकी करीब 60 साल लंबी कानूनी लड़ाई खत्म हो गयी. शिजुओका प्रांत के पुलिस प्रमुख ताकायोशी सुडा सोमवार को हाकामादा के घर उनसे मिलने पहुंचे तथा उनसे व्यक्तिगत तौर पर माफी मांगी. जब वह कमरे में घुसे तो हाकामादा उनका अभिवादन करने के लिए खड़े हो गए.

पुलिस प्रमुख ने माफीनामे में क्या कहा

सुडा ने उनसे कहा, ‘‘हमें खेद है कि गिरफ्तारी के समय से लेकर बरी होने तक पूरे 58 बरस आपको ऐसे मानसिक कष्ट और बोझ का सामना करना पड़ा, जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती. हम माफी मांगते हैं.'' साथ ही उन्होंने मामले की उचित जांच का भी वादा किया. पूर्व मुक्केबाज को एक कंपनी के कार्यकारी और उसके परिवार के तीन सदस्यों की हत्या के आरोप में अगस्त 1966 में गिरफ्तार किया गया था.

जापान में मौत की सजा पर फिर से बहस

उन्हें शुरुआत में 1968 में एक जिला अदालत ने मौत की सजा सुनायी थी लेकिन बरसों तक चली अपील पर सुनवाई के कारण सजा तामील नहीं की जा सकी. उच्चतम न्यायालय को उनकी पहली अपील खारिज करने में करीब तीन दशकों का वक्त लगा. हाकामादा दुनिया में मौत की सजा पाने के बाद सबसे लंबे समय तक जेल में रहने वाले कैदी हैं. उनके मामले ने जापान में मौत की सजा को लेकर फिर से बहस और जांच में पारदर्शिता तथा अपील के लिए कानूनी बदलाव की मांग शुरू कर दी है.

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