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5000 पर महज 100 रुपया कमीशन, कंपनियों की बेरुखी और ग्राहकों की डांट.. गिग वर्कर्स की आपबीती

गिग वर्कर्स अपनी परेशानियों और मांग को लेकर हड़ताल पर जाने की चेतावनी दे रहे हैं. 10 मिनट डिलीवरी सिस्टम के विरोध में ये सभी वर्कर्स एकजुट हो रहे हैं.

5000 पर महज 100 रुपया कमीशन, कंपनियों की बेरुखी और ग्राहकों की डांट.. गिग वर्कर्स की आपबीती
गिग वर्कर्स हड़ताल पर जाने की दे रहे हैं चेतावनी
  • क्विक कॉमर्स और ई कॉमर्स कंपनियों के खिलाफ गिग वर्कर्स हो रहे हैं एकजुट
  • गिग वर्कर्स ने 25 दिसंबर को ई कॉमर्स कंपनियों के खिलाफ खोल दिया मोर्चा, किया था हड़ताल
  • गिग वर्कर्स 31 दिसंबर को भी हड़ताल करने की दे रहे हैं चेतावनी
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नई दिल्ली:

सर 10 मिनट के भीतर हमपर डिलीवरी करने का दबाव होता है. कई बार हमारा चालान हो जाता है, हादसे भी हो जाते हैं. पर मिलता क्या है? क्विक ई-कॉमर्स Blinkit के लिए काम करने वाले दिवाकर गुप्ता ने दर्द भरी आवाज में अपनी नौकरी की दिक्कतें गिनाईं. BSc कर चुके दिवाकर ने कहा कि उनके जैसे कई गिग वर्कर यही परेशानी झेलते हैं. गौरतलब है कि खराब सुविधाएं, काम का दबाव, कम पैसे और सम्मान की कमी का दावा करते हिए गिग वर्कर्स यूनियन ने 25 दिसंबर हड़ताल किया था. गिग वर्कर्स के यूनियन का कहना है कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो वो 31 दिसंबर से बड़ा हड़ताल करेंगे. गिग वर्कर्स की हड़ताल के कार Zepto, Blinkit और Swiggy जैसी ऐप बेस्ट ई-कॉमर्स और क्विक कॉमर्स कंपनियों की दिक्कत बढ़ने वाली है. 

महज 100 रुपया मिलता है कमीशन..

यही नहीं, जोमैटो के लिए खाना पहुंचाने वाले शिवाकर का दर्द भी दिवाकर की तरह ही है. उन्होंने कहा कि साहब 5000 के खाने के ऑर्डर पर हमें केवल 100 रुपया कमीशन मिलता है. उनका कहना है कि कई बार तो खाना देर से पहुंचाने के बाद ग्राहकों से जिल्लत अलग से झेलनी पड़ती है. अगर जल्दबाजी के चक्कर में कोई दुर्घटना हुई तो उसकी जवाबदेही कंपनी नहीं लेती है. ऐसे कई गिग वर्कर्स हैं जिनका दर्द सुनकर आपको इस सेक्टर की दिक्कतों का पता चलता है. भारतीय ऐप-बेस्ड ट्रांसपोर्ट वर्कर्स महासंघ (IFAT) के महासचिव शेख सलाउद्दीन कहते हैं कि 25 दिसंबर की हड़ताल सिर्फ ट्रेलर है पिक्चर अभी बाकी है. उन्होंने कहा कि प्लेटफार्म कंपनियों के 10 मिनट में डिलीवरी मॉडल कतई बर्दाश्त नहीं है. इसके वजह से गिग वर्कर तमाम परेशानियां और मानसिक अवसाद झेल रहे हैं. उन्होंने सरकार से तुरंत गिग वर्कर के लिए रेगुलेशन बनाने की मांग की. 


10 मिनट की डिलीवरी में पैर तुड़वाया

एक और गिग वर्करमुकेश कुमार ने बताया कि पहले स्विगी में काम करते थे फिर Blinkit में काम करने लगे. वो कहते हैं एक एक आदमी कई प्लेटफार्म कंपनियों के लिए काम करता है. वो कहते हैं कि दस मिनट के डिलीवरी के चक्कर में उनके छोटे भाई का पैर टूट गया था. पैर में रॉड पड़ा है लेकिन कहीं से कोई मदद नहीं मिली. ऊपर से नोएडा और दिल्ली में लगातार जाम होता है कोई उड़कर सामान पहुंचा देगा क्या?

हरे राम की कहानी भी जानिए 

एक और गिग वर्कर हरे राम बीते दो साल से Blinkit से जुड़े हैं वो कहते हैं सुबह सात बजे से काम कर रहे हैं 12 बजे गए हैं लेकिन हमारी कमाई कितनी हुई महज 220 रुपए. हमें क्या मिलता है? हमारे दम पर कंपनियां करोड़ों बना रही हैं. नोएडा सेक्टर 3 और सेक्टर 4 में Blinkit, Zepto और Zomato के स्टोर हैं. यहां सैकड़ों युवा से लेकर अधेड़ तक इन ऑन लाइन प्लेटफार्म कंपनियों के लिए काम करते हैं. लेकिन सबका कहना है कि बीते सालभर से ये सारी कंपनियां गिग वर्कर का कमीशन लगातार कम कर रही है.


ऑर्डर के बंटवारे को लेकर शिकायत 

जोमेटो, स्विगी और जेप्टो जैसे ऑनलाइन प्लेटफार्म कंपनियों के लिए काम कर रहे गिग वर्कर्स ने बताया कि मान लीजिए किसी कस्टमर ने हमें 50 रुपए टिप दिया और तीन किमी का 30 रुपए कंपनी का कमीशन दिखा रहा है. लेकिन कंपनियां फिर जब हमें अगला ट्रिप देंगी तो उनका ऑनलाइन डिलीवरी पैसा उसी तीन के लिए 30 दिखाने के बजाए 20 रुपए दिखाएगी यानी टिप के पैसे में भी 10 रुपए काट देती है. इसी तरह अगर आप कंपनी के खिलाफ आवाज उठाते हैं तो ऑनलाइन आपका आईकार्ड को सस्पेंड कर दिया जाएगा या आपको आर्डर ही नहीं आएगा. अब आप बताइए इसकी शिकायत कौन सुनने वाला है. तकनीकी के जरिए हमारा शोषण होता है. 

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