जापान चंद्रमा पर अंतरिक्ष यान भेजने वाला पांचवां देश बन गया है. हालांकि, सौर ऊर्जा के मुद्दों ने "सटीक" लैंडिंग तकनीक साबित करने वाले जापान को थोड़ा चिंतित कर दिया है. जापान के हाथों में पिछले कई समय से अंतरिक्ष कार्यक्रम में असफलता ही हाथ लगी है. ऐसे में जापान को अपने 'मून स्निपर' से काफी उम्मीदें हैं. जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (JAXA) ने कहा कि उसका स्मार्ट लैंडर फॉर इन्वेस्टिगेटिंग मून (SLIM) लगभग 12:20 बजे (शुक्रवार 1520 GMT शुक्रवार) चंद्रमा की सतह पर उतरा, लेकिन इसके सौर पैनल बिजली उत्पन्न करने में सक्षम नहीं थे, संभवतः इसलिए क्योंकि वह गलत एंगल पर है.
रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, JAXA के रिसर्च सेंटर के प्रमुख हितोशी कुनिनाका ने बताया कि ऐसे में JAXA ने SLIM के डेटा को पृथ्वी पर स्थानांतरित करने को प्राथमिकता दी, क्योंकि जांच केवल इसकी बैटरी पर निर्भर थी, जो कि इसके हीटर को बंद करने जैसे कामों के बावजूद "कुछ घंटों" तक चलेगी. उन्होंने कहा कि JAXA जोखिम भरे कदम उठाने के बजाय यथास्थिति बनाए रखेगा और उम्मीद करता है कि सूरज की रोशनी के कोण में बदलाव से पैनल इस तरह से प्रभावित होंगे कि इसकी पावर बढ़ेगी.
कुनिनाका ने कहा, "चंद्रमा पर सौर कोण बदलने में 30 दिन लगते हैं. इसलिए जब सौर दिशा बदलती है, और प्रकाश एक अलग दिशा से चमकेगा, तो प्रकाश सौर सेल से टकरा सकता है." इधर, नासा के डीप स्पेस नेटवर्क के आंकड़ों से पता चला कि एसएलआईएम से सिग्नल खो गया था. हालांकि, यह तुरंत स्पष्ट नहीं था कि सिग्नल टूटा या बिजली-बचत के लिए ऐसा कदम उठाया गया था.
"मून स्नाइपर" नाम से मशहूर एसएलआईएम ने कई किलोमीटर की ट्रेडिशनल सटीकता के मुकाबले अपने टारगेट के 100 मीटर (328 फीट) के दायरे में उतरने का प्रयास किया. JAXA का कहना है कि भविष्य में संभावित रूप से देखे जाने वाले पहाड़ी चंद्रमा ध्रुवों की खोज में एक शक्तिशाली उपकरण बन जाएगा. इससे ऑक्सीजन, ईंधन और पानी के स्रोत का पता लगाया जा सकता है.
कुनिनाका ने कहा, "ट्रेस डेटा को देखते हुए, एसएलआईएम ने निश्चित रूप से 100 मीटर की सटीकता के साथ लैंडिंग हासिल की, हालांकि इसे सत्यापित करने में लगभग एक महीने का समय लगेगा."
चीन का मुकाबला करने के लिए जापान सहयोगी संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ साझेदारी करके अंतरिक्ष में बड़ी भूमिका निभाना चाह रहा है. जापान कई निजी क्षेत्र के अंतरिक्ष स्टार्टअप का भी घर है और JAXA का लक्ष्य अगले कुछ वर्षों में नासा के आर्टेमिस कार्यक्रम के हिस्से के रूप में चंद्रमा पर एक अंतरिक्ष यात्री भेजना है.
वैसे बता दें कि केवल चार देशों पूर्व सोवियत संघ, संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन और भारत के अलावा किसी भी निजी कंपनी ने चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग हासिल नहीं की थी.
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