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This Article is From Aug 26, 2023

चंद्रयान-3 की सफलता के बाद अब सूरज की बारी, 2 सितंबर को ISRO लॉन्च कर सकता है आदित्य-L1 मिशन

Aditya L-1 सूर्य-पृथ्वी के लैग्रेंजियन पॉइंट पर रहकर सूर्य पर उठने वाले तूफानों को समझेगा. यह पॉइंट पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर है. यहां तक पहुंचने में इसे करीब 109 दिन लगेंगे.

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सैटेलाइट को दो सप्ताह पहले आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित इसरो के अंतरिक्ष केंद्र पर लाया गया है.

नई दिल्ली:

भारत के तीसरे लूनर मिशन (Mission Moon) चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) की चांद पर सफल लैंडिंग के बाद अब इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (ISRO) एक हफ्ते के अंदर पहला सोलर मिशन शुरू करने जा रहा है. स्पेस एप्लिकेशन सेंटर अहमदाबाद के डायरेक्टर नीलेश एम देसाई ने न्यूज एजेंसी ANI से बातचीत में बताया कि इसरो 2 सितंबर को सोलर मिशन Aditya L-1 लॉन्च कर सकता है. 

Aditya L-1 सूर्य-पृथ्वी के लैग्रेंजियन पॉइंट पर रहकर सूर्य पर उठने वाले तूफानों को समझेगा. यह पॉइंट पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर है. यहां तक पहुंचने में इसे करीब 109 दिन लगेंगे. Aditya L-1 मिशन का लक्ष्य L1 के चारों ओर की कक्षा से सूर्य का अध्ययन करना है.

यह स्पेस क्राफ्ट सात पेलोड लेकर जाएगा, जो अलग-अलग वेव बैंड में फोटोस्फेयर (प्रकाशमंडल), क्रोमोस्फेयर (सूर्य की दिखाई देने वाली सतह से ठीक ऊपरी सतह) और सूर्य की सबसे बाहरी परत (कोरोना) का अवलोकन करने में मदद करेंगे. इसरो के एक अधिकारी ने कहा कि Aditya L-1 पूरी तरह से मेक इन इंडिया इनिशिएटिव है, जिसमें राष्ट्रीय संस्थानों की भागीदारी है.

बेंगलुरु स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स (आईआईए) की ‘विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ पेलोड' के विकास में अहम भूमिका है, जबकि पुणे के ‘इंटर-यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स' ने मिशन के लिए ‘सोलर अल्ट्रावॉयलेट इमेजर पेलोड' विकसित किया है. 

Aditya L-1, अल्ट्रावॉयलेट पेलोड का इस्तेमाल करके सूर्य की सबसे बाहरी परत (कोरोना) और एक्स-रे पेलोड का उपयोग कर सौर क्रोमोस्फेयर परतों पर स्टडी करेगा. पार्टिकल डिटेक्टर और मैग्नेटोमीटर पेलोड आवेशित कणों के बारे में जानकारी दे सकते हैं. सैटेलाइट को दो सप्ताह पहले आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित इसरो के अंतरिक्ष केंद्र पर लाया गया है.

उम्मीद की जा रही है कि आदित्य L1 के पेलोड कोरोनल हीटिंग, कोरोनल मास इजेक्शन, प्री-फ्लेयर और फ्लेयर एक्टिविटीज की विशेषताओं, पार्टिकल्स की मूवमेंट और स्पेस वैदर को समझने के लिए जानकारी देंगे.
 

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