गाजा में इजरायल (Israel) के हमले लगातार जारी है. इस बीच इजरायली सेना के जवानों ने गाजा में मानवीय सहायता की प्रतीक्षा कर रहे लोगों पर फायरिंग कर दी. इस घटना में 104 लोगों की मौत हो गयी है और 700 से अधिक घायल हैं. इजरायली सूत्रों ने घटना को लेकर कहा है कि सेना के जवानों ने भीड़ पर इस कारण गोली चलायी क्योंकि उन्हें इस बात का अंदेशा था कि ये लोग खतरा उत्पन्न कर सकते हैं. गाजा में फिलिस्तीनी स्वास्थ्य मंत्रालय (Palestinian Ministry of Health) ने इसे "नरसंहार" करार देते हुए इसकी निंदा की है.
भोजन सामग्री का इंतजार कर रहे थे लोग
एक प्रत्यक्षदर्शी ने न्यूज एजेंसी एएफपी को बताया कि हिंसा तब हुई जब भोजन के लिए बेचैन हजारों लोग शहर के पश्चिमी नबुलसी चौराहे पर सहायता पहुंचाने के लिए पहुंची ट्रक के सामने जमा हो गए थे. प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि ये ट्रक आर्मी के टैंक के करीब थे. हजारों लोग ट्रक से भोजन सामग्री लूटने के लिए भाग रहे थे. इस बीच सेना ने उन लोगों पर फायरिंग कर दी. जिसमें कई लोगों की मौत हो गयी. इजरायली सेना की तरफ से इस मुद्दे पर पहले कहा गया कि गाजा के लोगों ने ट्रक पर लदे खाद्यान सामाग्री को लूट लिया.
मरने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है
अधिकारियों ने बताया कि मरने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है. गाजा के स्वास्थ्य विभाग ने बताया कि घायलों को अस्पतालों में भर्ती करवाया गया है. हालांकि मरने वालों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है. एक अधिकारी ने बताया कि अल-शिफा मेडिकल अस्पताल में पहुंच रहे लोगों का इलाज करने में असमर्थ है क्योंकि यहां संसाधन की भारी कमी देखने को मिल रही है.
भारत ने मानवाधिकार परिषद की बैठक में युद्ध पर जतायी थी चिंता
भारत ने गाजा में युद्ध को 'बड़ी चिंता' का विषय बताते हुए सोमवार को कहा था कि संघर्षों से उत्पन्न मानवीय संकट के लिए एक स्थायी समाधान की आवश्यकता है जो सबसे अधिक प्रभावित लोगों को तत्काल राहत दे. संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के 55वें सत्र को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था कि आतंकवाद और बंधक बनाना स्वीकार्य नहीं है और उम्मीद है कि यह संघर्ष क्षेत्र के भीतर या इससे बाहर तक नहीं बढ़ेगा.
भारत ने हमास के हमले को भी गलत ठहराया था
भारत ने पिछले साल सात अक्टूबर को हमास द्वारा किए गए आतंकी हमले की कड़ी निंदा की थी. विदेश मंत्री ने नयी दिल्ली से वीडियो लिंक के माध्यम से अपने संबोधन में कहा था, 'साथ ही, हमें यह स्पष्ट होना चाहिए कि आतंकवाद और बंधक बनाना अस्वीकार्य है. 'उन्होंने कहा था कि अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून का हमेशा सम्मान किया जाना चाहिए.
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