ग़ाज़ा के अल-शिफ़ा अस्पताल में ही लाए गए थे बंधक, इज़रायल ने जारी किया वीडियो

इज़रायली मिलिटरी तथा इन्टेलिजेन्स सर्विसेज़ ने एक बयान जारी कर कहा, "सामने आए इन वीडियो से साबित होता है कि आतंकवादी संगठन हमास ने नरसंहार वाले दिन शिफ़ा अस्पताल परिसर का इस्तेमाल आतंकवादी बुनियादी ढांचे के रूप में किया था..."

ग़ाज़ा के अल-शिफ़ा अस्पताल में ही लाए गए थे बंधक, इज़रायल ने जारी किया वीडियो

फ़ुटेज में बंधकों को ग़ाज़ा के अल-शिफ़ा अस्पताल में लाए जाते देखा जा सकता है... (फ़ाइल फ़ोटो)

येरूशलम (इज़रायल):

इज़रायली फौज ने रविवार को सिक्योरिटी कैमरों का एक फुटेज जारी किया है, और कहा है कि दक्षिणी इज़रायल पर 7 अक्टूबर को किए गए हमास के हमले में अगवा कर लाए गए बंधकों को ग़ाज़ा के अल-शिफ़ा अस्पताल में लाया जा रहा है.

जारी वीडियो क्लिपों में से एक में कुछ हथियारबंद लोगों को एक शख्स को स्ट्रेचर पर लादकर लाया जाता देखा जा सकता है. एक अन्य वीडियो क्लिप में अस्पताल जैसी दिखने वाली इमारत में एक शख्स को जबरन घसीटकर लाए जाने का विरोध करते देखा जा सकता है.

समाचार एजेंसी AFP तत्काल इस फुटेज की सत्यता की पुष्टि नहीं कर सकी है.

सेना के प्रवक्ता डैनियल हगारी ने एक ब्रीफिंग में जानकारी दी, "यहां (वीडियो फुटेज में) आप हमास को एक बंधक को भीतर ले जाते देख सकते हैं... वे उसे अस्पताल के भीतर ले जा रहे हैं..." डैनियल हगारी ने यह भी बताया कि फुटेज में दिखने वाले बंधक नेपाल और थाईलैंड से थे.

उन्होंने बताया, "हम अभी तक इन दोनों बंधकों की लोकेशन का पता नहीं लगा सके हैं... हम नहीं जानते, वे कहां हैं..."

इज़रायली अधिकारियों के मुताबिक, ऐसा लगता है, जैसे फ़ुटेज पर 7 अक्टूबर, 2023 का दिन अंकित है, जिस दिन हमास के लड़ाकों ने दक्षिणी इज़रायल में हमले बोलकर लगभग 1,200 लोगों की हत्या कर दी थी, और लगभग 240 को अगवा कर लिया था. मारे गए लोगों में से ज़्यादातर सामान्य नागरिक थे.

मिलिटरी तथा इन्टेलिजेन्स सर्विसेज़ ने एक बयान जारी कर कहा, "सामने आए इन वीडियो से साबित होता है कि आतंकवादी संगठन हमास ने नरसंहार वाले दिन शिफ़ा अस्पताल परिसर का इस्तेमाल आतंकवादी बुनियादी ढांचे के रूप में किया था..."

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7 अक्टूबर के बाद से इज़रायल ने ग़ाज़ा पर हवा, ज़मीन और समुद्र से लगातार हमले किए हैं. उधर, हमास के नियंत्रण वाले इलाके के अधिकारियों का कहना है कि कम से कम 13,000 लोग मारे जा चुके हैं, जिनमें ज़्यादातर सामान्य नागरिक हैं.