ग़ाज़ा पट्टी (Gaza Strip) के सबसे बड़े शरणार्थी शिविर जबालिया (Jabalia Refugee Camp) पर इज़रायल (Israel) ने बुधवार को नए सिरे से हवाई हमले किए, जिसके बाद संयुक्त राष्ट्र (UN) अधिकारियों ने चेताया है कि घनी आबादी वाले आवासीय इलाकों को निशाना बनाने से 'युद्ध अपराध हो सकते हैं...'
दूसरी ओर, हमास के स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, जबालिया रिफ़्यूजी कैम्प पर दो दिन में दूसरी बार बम गिराए जाने से इमारतें ढह गईं और दर्जनों लोग मारे गए हैं.
समाचार एजेंसी AFP ने देखा कि घटनास्थल पर बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ है, और बहुत-से लोग खून से लथपथ लाशों और ज़ख्मी लोगों को बाहर निकालने के लिए मलबा खंगाल रहे थे.
इज़रायल का कहना है कि उसके लड़ाकू विमानों ने ही यह हमला किया, जिसका निशाना 'हमास का कमांड व कंट्रोल कॉम्प्लेक्स' था, और इस हमले के ज़रिये अनगिनत तादाद में हमास लड़ाकों को 'खत्म' कर दिया गया.
इज़रायल ने 7 अक्टूबर के बाद से अब तक ग़ाज़ा में 11,000 से अधिक ठिकानो को निशाना बनाया है. गौरतलब है कि 7 अक्टूबर को ही हमास के हथियारबंद लड़ाकों ने इज़रायल पर हमला किया था और 1,400 लोगों को मार डाला था, जिनमें बहुत-से नागरिकों की गोली मारकर हत्या किया जाना शामिल था.
कई मुल्कों ने हमास पर जवाबी हमला करने के इज़रायल के अधिकार का समर्थन किया है, लेकिन जैसे-जैसे मरने वाले नागरिकों की तादाद बढ़ी, इज़रायली रवैये की आलोचना भी बढ़ रही है.
इस बीच, संयुक्त राष्ट्र भी इज़रायल के ख़िलाफ़ आलोचना के अंतरराष्ट्रीय स्वरों में शामिल हो गया, और हालिया हमलों की कड़ी निंदा की. UN की शीर्ष मानवाधिकार इकाई ने - 'बहुत बड़ी तादाद में नागरिकों के हताहत होने' और तबाही के पैमाने का हवाला देते हुए - कहा कि उसे 'गंभीर चिंता है कि ये हमले असंगत हैं, जो युद्ध अपराध की श्रेणी में रखे जा सकते हैं...'
दूसरी ओर, इज़रायल ने इस तरह के सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि हमास जानबूझकर अपने कमांड पोस्ट और हथियारों को छिपाने के लिए नागरिक इलाकों का इस्तेमाल करता है, और फिर उन्हीं कमांड पोस्टों और हथियारों के ज़रिये इज़रायली नागरिकों पर हमले किए जाते हैं.
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