इजरायल और गाजा के बीच चल रहे युद्ध (Israel Gaza War) से यहां के नागरिकों का बुरा हाल है. अब तक दोनों तरफ के 1600 लोग मारे जा चुके हैं. वहीं अगर बात इजरायल की करें तो हमलों में 900 के करीब आम नागरिक और सैनिक मारे जा चुके हैं. खौफ का कुछ ऐसा माहौल है कि सड़कों पर सन्नाटा पसरा हुआ है. खुद को सुरक्षित रखने के लिए लोग अपने घरों में छिपे रहने के लिए मजबूर हैं. गाजा पट्टी से करीब 10 किमी दूर एस्केलॉन में NDTV की टीम ग्राउंड जीरो पर मौजूद है. हमारी टीम पल-पल का अपडेट ले रही है और वहां के लोगों से लगातार बातचीत कर रही है.
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'लोग घर के बंकरों में छिपने को मजबूर'
एस्केलॉन की सड़कों पर माहौल का जायजा लेते हुए NDTV की टीम ने कार के भीतर ही एक स्थानीय महिला एविशाक एविनोअम के साथ बातचीत की. उन्होंने बताया कि किस तरह से त्योहारी सीजन होते हुए भी सड़कें खाली पड़ी हैं.लोग अपने घरों में सेफ प्लेस में रहने के लिए मजबूर हैं. उन्होंने बताया कि पुराने घरों में सेफ प्लेस नहीं होता था लेकिन 1980 के बाद से इजराइल में बनने वाले हर घर में सेफ प्लेस होना अनिवार्य है.एनडीटीवी ने उस जगह पर जाने की कोशिश की जहां पर रॉकेट से हमला हुआ था और तबाही मची थी.
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— NDTV India (@ndtvindia) October 10, 2023
त्योहारी सीजन में सड़कों पर सन्नाटा
हमारी टीम जिस सड़क से गुजर रही थी वह पूरी तरह से सुनसान दिखाई पड़ रही थी. सभी वाहन सड़कों पर पार्किंग में थे. शायद ही कोई वाहन सड़क पर चलता दिखाई दे रहा था. जबकि आमतौर पर यहां का नजारा ऐसा नहीं होता है.एविशाक एविनोअम ने बताया कि त्योहार के समय में सड़कों पर बहुत ट्रैफिक रहता है. लोग बहुत ही मजा करते हैं वह अपने परिवारों से और दोस्तों से मिलते हैं. लेकिन युद्ध के हालात को देखते हुए सभी लोग अपने घरों में बने बंकरों में छिपे हुए हैं. सड़कों पर सन्नाटा पसरा हुआ है. आसमान में हर तरफ रॉकेट की गूंज सुनाई दे रही है. जिस तरह से रॉकेट से बार-बार हमला हो रहा है तो सुरक्षा कारणों से लोग बंकरों में छिपे हुए हैं. इसीलिए शहर में सन्नाटे का हाल है.
एस्केलॉन के लोगों में असुरक्षा का डर
एविशाक एविनोअम ने एनडीटीवी को बताया कि 1980 के बाद जो भी घर और रिहायशी इमारतें ऐस्केलॉन में बनी हैं वहां पर सेफ प्लेस यानी कि बंकर बनाना अनिवार्य हो गया है. लगातार बढ़ते हमलों की वजह से हर घर में सेफ हाउस बनाना जरूरी कर दिया गया है. तमाम लोग फिलहाल बंकरों में छिपे हुए हैं. असुरक्षा के डर की वजह से त्योहारी मौसम में भी लोग सड़कों पर नजर नहीं आ रहे हैं.
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