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This Article is From Sep 11, 2012

अमेरिका को सबसे बड़ा शत्रु मानती है आईएसआई : डॉ. शकील अफरीदी

अमेरिका को सबसे बड़ा शत्रु मानती है आईएसआई : डॉ. शकील अफरीदी
इस्लामाबाद: ओसामा बिन-लादेन का पता लगाने में अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए की मदद करने के आरोप में जेल में बंद पाकिस्तानी डॉक्टर शकील अफरीदी का कहना है कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई अमेरिका को अपना सबसे बड़ा शत्रु मानती है और वाशिंगटन के साथ सहयोग का नाटक वह सिर्फ अरबों डॉलर की सहायता पाने के लिए करती है।

पेशावर जेल से ‘फॉक्स न्यूज’ से बातचीत में अफरीदी ने इंटर-सर्विसेज इंटेलीजेंस (आईएसआई) पर उग्रवाद का समर्थन करने का भी आरोप लगाया। उसने कहा कि आईएसआई उत्तरी वजीरिस्तान के उग्रवादी समूह हक्कानी नेटवर्क की वित्तीय सहायता करती है। अमेरिका ने पिछले सप्ताह ही हक्कानी समूह को विदेशी आतंकवादी संगठनों की सूची में शामिल किया है।

अफरीदी के मुताबिक, पाकिस्तान की आईएसआई अमेरिका को अपना सबसे बड़ा शत्रु मानती है, यहां तक कि भारत से भी बड़ा दुश्मन। डॉक्टर ने समाचार चैनल को दिए साक्षात्कार में कहा, वह कहते हैं कि अमेरिकी हमारे सबसे बड़े शत्रु हैं, भारतीयों से भी बड़े। चैनल ने बहरहाल, यह नहीं बताया है कि उसने अफरीदी से साक्षात्कार कैसे किया?

अफरीदी ने कहा, मैंने उनसे कहना चाहा कि अमेरिका पाकिस्तान का सबसे बड़ा समर्थक है, अरबों-अरबों डॉलर की सहायता देता है, सामाजिक और सैन्य सहायता देता है, लेकिन उन्होंने सिर्फ यही कहा, वह हमारे सबसे बड़े शत्रु हैं। तुमने हमारे शत्रुओं की मदद की है।

इस साक्षात्कार से अमेरिका में हंगामा मचा हुआ है। प्रमुख सीनेटर रैंड पॉल ने अफरीदी का मामला हल नहीं होने तक सीनेट की कार्यवाही रोक देने की धमकी दी है। डॉक्टर ने कहा कि आईएसआई हक्कानी नेटवर्क को वित्तीय सहायता देती है।

अफरीदी ने कहा, अब यह निर्विवाद है कि पाकिस्तान में उग्रवाद को आईएसआई समर्थन देती है। उग्रवाद के खिलाफ पाकिस्तान की लड़ाई फर्जी है। यह सिर्फ अमेरिका से धन ऐंठने का मामला है। फॉक्स न्यूज का कहना है कि अफरीदी ने इस्लामाबाद के अपबरा में स्थित आईएसआई मुख्यालय के बेसमेंट में बनी जेल के भीतर की अप्रिय गतिविधियों के बारे में जानकारी दी है।

चैनल की खबर के अनुसार, उसने बताया कि कैसे उससे पूछताछ के दौरान अमेरिका की मदद करने के लिए आईएसआई अधिकारियों ने उस पर हमला किया। उसे सिगरेट से जलाया गया और बिजली के झटके दिए गए। खबर के अनुसार, ऐबटाबाद में 2 मई 2011 को हुए अभियान से कई सप्ताह पहले अरफीदी ने ओसामा बिन-लादेन का घर खोजने में अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए की मदद की थी। चैनल की खबर में कहा गया है कि पाकिस्तानी डॉक्टर ने यह भी बताया कि आईएसआई अधिकारी उग्रवादियों को गिरफ्तार करने के बाद, उन्हें सीआईए द्वारा पूछताछ किए जाने से पहले ही सिखा-पढ़ा देते हैं।

इसमे आगे कहा गया है, नवंबर 2011 में उससे पूछताछ करने वाले अधिकारियों में से एक अधिकारी, अमेरिका से आए एक अधिकारी के साथ था। अमेरिकी अधिकारी खतरनाक उग्रवादी अब्दुल करीम आगा से पूछताछ करने आया था।

अफरीदी के हवाले से खबर में कहा गया है, आगा ने बाद में उसे (अफरीदी को) बताया कि पूछताछ के लिए जाते समय आईएसआई के एक अधिकारी ने उसके (आगा के) कान मे धीरे से कहा कि वह अचानक बहुत ज्यादा बीमार होने का बहाना बना दे ताकि उससे पूछताछ न की जा सके।

खबर के अनुसार, उग्रवादी की बीमारी की बात सुनकर अमेरिकी अधिकारी ने यह कहकर विरोध जताया कि उसे दो या तीन बार पूछताछ करने के अनुमान से एक सप्ताह ही पाकिस्तान में रहने की अनुमति मिली है, लेकिन आईएसआई ने उससे कहा कि उग्रवादी के बीमार होने के कारण पूछताछ तीन सप्ताह के लिए टाल दी गई है। इसलिए अमेरिकी अधिकारी को वापस जाना पड़ा। अफरीदी ने कहा, दूसरों ने मुझे बताया कि आईएसआई उग्रवादियों को सीआईए की पूछताछ से पहले ही सिखा-पढ़ा देती है।

फॉक्स न्यूज की खबर में कहा गया है कि इस तरह की टिप्पणियों से अमेरिका और पाकिस्तान के रिश्ते और प्रभावित हो सकते हैं। वैसे भी इन रिश्तों में दो साल से तनाव ही चल रहा है।

अफरीदी को सीआईए के साथ संबंधों के लिए नहीं बल्कि लश्कर-ए-इस्लाम के साथ कथित रिश्तों को लेकर 24 मई को राजद्रोह के आरोप में कबायली न्याय व्यवस्था के तहत 33 साल की सजा सुनाई गई है।

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