
- ईरान पर अमेरिकी हमलों का असर पाकिस्तान में दिख रहा है.
- पाकिस्तान ने NSC की आपात बैठक 23 जून को बुलाई है.
- प्रधान मंत्री और सेना के शीर्ष अधिकारी बैठक में शामिल होंगे.
ईरान पर हुए अमेरिकी हमलों का असर उसके पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में भी दिख रहा है. जिस अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को पाकिस्तान ने आधिकारिक तौर पर नोबेल शांति पुरस्कार देने के लिए नॉमिनेट किया था, उसने ही बिना देरी किए ईरान में तीन परमाणु ठिकानों पर अमेरिकी हवाई हमला (US Attacks Iran) कर दिया है. इसके बाद क्षेत्रीय स्थिति पर चर्चा के लिए पाकिस्तान ने सोमवार, 23 जून को राष्ट्रीय सुरक्षा समिति (NSC) की एक आपात बैठक बुलाई है.
पाकिस्तान में राष्ट्रीय सुरक्षा समिति की किसी बैठक की अध्यक्षता प्रधान मंत्री करते हैं और इसमें नागरिक और सैन्य नेतृत्व, दोनों के शीर्ष अधिकारी शामिल होते हैं. यह पाकिस्तान में सुरक्षा विचार-विमर्श के लिए सबसे बड़ा मंच है.
पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भी अमेरिकी हमले की निंदा की
पाकिस्तान के आर्मी चीफ आसिम मुनीर के डोनाल्ड ट्रंप के साथ लंच और इस्लामाबाद और वाशिंगटन के करीब आने की अटकलों के बावजूद पाकिस्तान सुरक्षा परिषद में संयुक्त राज्य अमेरिका के खिलाफ चीन और रूस के साथ मजबूती से खड़ा रहा. पाकिस्तान के स्थायी प्रतिनिधि असीम इफ्तिखार अहमद ने रविवार (स्थानीय समयानुसार) को ईरान पर अपनी आपातकालीन बैठक में परिषद को बताया कि इस्लामाबाद "ईरानी परमाणु सुविधाओं पर अमेरिकी हमलों की निंदा करता है, जो इजरायल द्वारा किए गए निर्लज्ज हमलों की एक श्रृंखला के बाद आया है".
अहमद ने कहा कि पाकिस्तान अपने सदाबहार दोस्त चीन और अपने सहयोगी रूस के साथ मिलकर परिषद को अपनाने के लिए एक मसौदा प्रस्ताव सर्कुलेट कर रहा है. दरअसल अमेरिका द्वारा ईरान के तीन परमाणु ठिकानों पर बमबारी के बाद ईरान के अनुरोध पर परिषद ने एक आपातकालीन बैठक बुलाई थी.
ट्रंप ने भी जब बुधवार को व्हाइट हाउस में मुनीर की मेजबानी की थी, तब उन्होंने यह संकेत दिया था कि अमेरिका स्वीकार करता है कि पाकिस्तान में वास्तविक शक्ति सेना के पास है, न कि नागरिक सरकार के पास. इसके बाद ईरान के खिलाफ वाशिंगटन-इस्लामाबाद के सहयोग की अटकलें तेज हो गई थीं. लेकिन हमले के बाद पाकिस्तान खुद बैकफुट पर दिख रहा है. जिसे दो दिन पहले नोबल पुरस्कार देने के लिए नॉमिनेट किया था, उसने ही एक इस्लामिक गणराज्य पर हमला कर दिया था.
गौरतलब है कि इजरायल ने 13 जून को ईरान की परमाणु सुविधाओं पर हमले शुरू किए, लेकिन अमेरिका शनिवार-रविवार के बीच ही इसमें शामिल हुआ.
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