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जहन्नुम के दरवाजे खोल देंगे Vs जला देंगे तेहरानः समझिए इजरायल और ईरान जंग की पूरी पिक्चर

ईरान और इजरायल लगातार एक-दूसरे पर हमला कर रहे हैं. मामला अब आर-पार का पहुंचता दिख रहा है. जानिए इन दोनों की दुश्मनी की वजह और कहां तक पहुंची जंग...

जहन्नुम के दरवाजे खोल देंगे Vs जला देंगे तेहरानः समझिए इजरायल और ईरान जंग की पूरी पिक्चर

इजरायल-ईरान के बीच दुश्मनी वर्षों पुरानी है. मगर, दुश्मनी अब गहराई है. मिसाइलों और बमों की बारिश हो रही है. साथ ही 'जहन्नुम बना देंगे Vs जला देंगे तेहरान'की डायलॉगबाजी हो रही है. पीछे से अमेरिका 'डील-डील' कर रहा है. उसके एक हाथ में ईरान के लिए डील है तो दूसरे हाथ में इजरायल के लिए. अभी हालात ये हैं कि मिडिल ईस्ट दहल रहा है और डर ये है कि कहीं इसमें पूरा का पूरा मिडिल ईस्ट जल जाए.

कहानी शुरू होती तो है 7 अक्टूबर 2023 से. जब ईरान समर्थित हमास ने इजरायल पर हमला किया, जिसमें 1,100 से ज्यादा लोग मारे गए. इजरायल ने इसके बाद गाजा में एक बड़ा सैन्य अभियान शुरू किया. ये अब तक जारी है. फिर देखिए कैसे ईरान और इजरायल का टकराव बढ़ता गया. 

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  • 7 अक्टूबर 2023: ईरान के सर्वोच्च नेता ने चेतावनी दी कि अगर इजरायल ने अपना अभियान जारी रखा, तो बड़ा क्षेत्रीय संघर्ष हो सकता है.
  • 1 अप्रैल 2024: इजरायल ने दमिश्क में ईरानी वाणिज्य दूतावास पर बमबारी की, जिसमें ब्रिगेडियर जनरल मोहम्मद रेजा जाहेदी की मौत हो गई. ईरान ने बदला लेने की कसम खाई.
  • 13-14 अप्रैल 2024: ईरान ने इजरायल पर अपना पहला सीधा हमला किया, जिसमें 300 से ज्यादा ड्रोन और मिसाइलें दागी गईं. लगभग सभी को रोक दिया गया.
  • 19 अप्रैल 2024: इजरायल ने इस्फहान के पास एक रडार साइट पर बमबारी करके जवाब दिया.
  • 31 जुलाई 2024: हमास नेता इस्माइल हानिया की तेहरान में हत्या कर दी गई.
  • 1 अक्टूबर 2024: ईरान ने इजरायल पर 200 बैलिस्टिक मिसाइलें दागीं.
  • 26 अक्टूबर 2024: इजरायल ने 'Days of Repentance' शुरू किया, जिसमें ईरान से जुड़ी 20 से ज्यादा जगहों पर हमला किया गया.
  • 13 जून 2025: इजरायल ने ऑपरेशन राइजिंग लॉयन शुरू किया, जिसमें ईरान के परमाणु ठिकानों, मिसाइल कारखानों और टॉप सैन्य कर्मियों को निशाना बनाया गया. ईरान ने अपने शीर्ष अधिकारियों को खो दिया है.
  • 14 जून 2025: ईरान ने इजरायल पर सैकड़ों बैलिस्टिक मिसाइलें दागीं. इस हमले ने इजरायल की मिसाइल डिफेंस सिस्टम की धाक पर सवाल खड़े कर दिए.

ईरान अकेला क्यों पड़ गया

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इजरायल के साथ अमेरिका और खड़े दिख रहे हैं, मगर, ईरान फिलहाल अकेला दिख रहा है, ईरान काफी समय से चीन और रूस से काफी करीबी संबंध बनाए हुए है. रूस को तो उसने यूक्रेन युद्ध में काफी मदद भी की. मगर रूस और चीन अब तक सिर्फ बयानों तक ही ईरान का साथ दे रहे हैं. इसका कारण ये है कि रूस खुद युद्ध में उलझा है और मामले को ज्यादा आगे नहीं बढ़ाना चाहता. वहीं चीन हर बार सिर्फ बयान देकर ही अपना काम चलाता आया है. वो किसी भी युद्ध का हिस्सा नहीं बनता. ईरान के सबसे खास हमास, हिज्बुल्लाह और हूती की ताकत हाल के दिनों में समाप्त सी हो गई है. सीरिया से असद सरकार जाने के बाद वहां से भी कोई मदद नहीं मिल रही है. पाकिस्तान भले ही ईरान के सामने कितना भी दिखावा करे, मगर वो भी इस जंग में कूदना नहीं चाहेगा. वहीं सऊदी, कतर और यूएई जैसे देश भले ही इजरायल के खिलाफ बोल रहे हों, लेकिन वो भी ईरान का साथ देने नहीं आएंगे. कारण एक तो उनके अमेरिका से अच्छे संबंध हैं, दूसरा रूस, चीन समेत इनमें से कोई भी देश नहीं चाहता कि ईरान परमाणु शक्ति बन जाए.

क्या अमेरिका से डील करेगा ईरान

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शुक्रवार शाम को भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ईरानी विदेश मंत्री सैयद अब्बास अराघची से फोन पर बातचीत की. अराघची ने इस दौरान कहा, "हम एक कूटनीतिक प्रक्रिया के बीच में थे और अमेरिकी सरकार के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत के एक नए दौर की तैयारी के लिए अपने ओमानी समकक्ष के साथ परामर्श में लगे हुए थे, लेकिन इजरायली शासन की आक्रामक हरकतों जैसे ईरान पर हमला करना, सैन्य कमांडरों की हत्या करना और नागरिकों और अकादमिक एलिट्स की हत्या ने कूटनीतिक मार्ग को पटरी से उतार दिया." साफ है ईरान अब बातचीत को आगे नहीं बढ़ाना चाहता. 

ये बयान बता रहे गुस्सा कितना 

  1. ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने शुक्रवार को एक बयान में कहा कि यह हमला ईरान के खिलाफ एक गंभीर अपराध है और इजरायल को इसकी 'कड़ी सजा' भुगतनी होगी.
  2. इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने एक टेलीविजन संबोधन में सैन्य अभियान पर कहा, "यह अभियान तब तक जारी रहेगा, जब तक ईरान से हमारी समाप्ति के खतरे को पूरी तरह समाप्त नहीं कर दिया जाता."
  3. इजरायल के रक्षा मंत्री इजराइल काट्ज ने शनिवार को ईरान को चेतावनी दी कि अगर उसने मिसाइलें दागना जारी रखा तो तेहरान को जला दिया जाएगा.
  4. खामेनेई ने कहा कि ईरान के खिलाफ इस अपराध में इजरायल के हाथ खून से सने हैं. हम इजरायल को बर्बाद कर देंगे. उनके लिए जहन्नुम के दरवाजे खोल देंगे.  

ईरान इजरायल में कब शुरू हुई दुश्मनी

ईरान और इज़रायल के बीच दोस्ती से दुश्मनी की कहानी 1979 से शुरू होती है. ईरान में इस्लामिक क्रांति के बाद सब कुछ बदल गया. इस क्रांति के बाद ईरान ने इज़रायल के साथ अपने संबंध तोड़ लिए और दोनों देशों के बीच दुश्मनी शुरू हो गई. इस क्रांति ने शाह मोहम्मद रजा पहलवी के नेतृत्व वाली पश्चिम समर्थित राजशाही को समाप्त कर दिया. शाह मोहम्मद रजा पहलवी को अमेरिका का समर्थन था, इसीलिए इजरायल से भी उनके अच्छे संबंध थे. उन्होंने ही इजरायल को देश के तौर पर मान्यता भी दी थी. जब इजरायल का नये राष्ट्र के रूप में जन्म हुआ तो ईरान उसे मान्यता देने वाला अमेरिका के बाद दूसरा देश था.शाह ने अपने शासन में अयातुल्ला खामेनेई को देश से निकाल दिया था. खामेनेई इराक, तुर्की व फ्रांस में अपना समय बिताया लेकिन ईरान की सत्ता में उसकी दखल खत्म नहीं हुई थी.1979 में जब खामेनेई की वापसी हुई तो इजरायल से संबंध खराब होने लगे. फिर ईरान गाजा का समर्थन करने लगा. बाद में हमास की मदद करने लगे और इजरायल को घेरने की कोशिश करने लगा. दुश्मनी बढ़ती गई और अब इजरायल नहीं चाहता कि ईरान परमाणु संपन्न देश बने. वो इसे अपने लिए खतरा समझता है. 

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