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रूस के उप प्रधानमंत्री दिमित्री रोगोजिन ने शुक्रवार को कहा कि आईएनएस सिंधुरक्षक में हुए विस्फोट के मामले की जांच में रूसी नौसेना के इंजीनियर भारतीय नौसेना की मदद करेंगे।
रोगोजिन ने समाचार एजेंसी आरआई नोवोस्ती को बताया कि रूसी विशेषज्ञ इस हादसे के पीछे किसी तरह की तकनीकी खामी नहीं देखते हैं। उप प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने सरकारी पोत निर्माता कंपनी युनाइटेड शिपबिल्डिंग कारपोरेशन को आदेश दिया है कि भारतीय पक्ष के साथ हुए समझौते के तहत अधिक विशेषज्ञों को भारत भेजा जाए, ताकि भारतीय मित्रों को सभी जरूरी सहयोग मुहैया कराया जा सके।
रूस में निर्मित पनडुब्बी आईएनएस सिंधुरक्षक को भारतीय नौसेना में 1997 में शामिल किया गया था और इसकी लागत लगभग 400 करोड़ रुपये थी। हाल ही में 450 करोड़ रुपये की लागत से रूस में ही इसका नवीनीकरण किया गया था।
बीते मंगलवार की रात इस पनडुब्बी में कई धमाके होने के बाद आग लग गई थी। इसमें कुल 18 लोग मौजूद थे। भारतीय नौसेना के गोताखोरों ने बेहद कठिन हालात में दुर्घटनाग्रस्त पनडुब्बी से पांच शव निकाले। इस हादसे में लापता चल रहे लोगों में किसी के भी जीवित बचे होने की उम्मीद खत्म हो गई है।
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