एक तरफ इजरायल पर ईरान के हमले के बाद दोनों देशों के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया है. वहीं इजरायल ने लेबनान में भी जमीनी सैन्य कार्रवाई शुरू कर दी है. इजरायली सेना लेबनान में घुसकर हिज्बुल्लाह के ठिकानों को निशाना बना रही है. हालांकि इस जमीनी कार्रवाई में इजरायल को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है. लेकिन इजरायल फिर भी मैदान में डटा हुआ है. लेबनान और इजरायल के संघर्ष भारत की भी चिंता भी बढ़ने लगी है, क्योंकि अभी भी वहां हजारों भारतीय फंसे हुए हैं. एक तरफ कई देशों में अपने लोगों को लेबनान से निकालने की होड़ मची है.
भारत ने भी हाल ही में अपने नागरिकों को इजरायली हमलों के मद्देनजर लेबनान की यात्रा न करने की सलाह दी है. जबकि लेबनान में लगभग 4,000 से अधिक भारतीय मौजूद हैं. जिन्हें सरकार जल्द से जल्द लेबनान छोड़ने को कहा है. लेबनान में जो भारतीय नागरिक फंसे हैं, उनमें से ज्यादातर कंपनियों, निर्माण क्षेत्र, कृषि फार्मों आदि में काम करते हैं.आपात स्थिति में भारतीय दूतावास अपने नागरिकों की मदद को सर्वोच्च प्राथमिकता देता है. रूस, फ्रांस, स्पेन और ग्रीस गुरुवार को लेबनान से नागरिकों को निकालने के लिए अभियान शुरू करने वाले नए देश बन गए. लेबनान से अपने देश के फंसे हुए नागिरकों को निकालने के लिए किस देश ने क्या किया है, यहां जानिए-
रूस
क्रेमलिन ने गुरुवार को कहा कि मॉस्को ने अपने पड़ोसी देश पर इजरायल की भारी बमबारी के कारण लेबनान में तैनात 60 लोगों को निकाला है. मंत्रालय ने टेलीग्राम पर लिखा कि राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के आदेश पर गुरुवार को आपातकालीन स्थिति मंत्रालय के विमान ने बेरूत से उड़ान भरी.
फ्रांस
फ्रांसीसी विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को कहा कि दो कमर्शियल उड़ानों में फ्रांसीसी नागरिकों को लेबनान से पेरिस ले जाया गया. फ्रांसीसी अधिकारियों ने स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं वाले अपने नागरिकों के साथ-साथ बुजुर्ग या अलग-थलग व्यक्तियों के लिए 200 सीटें रिजर्व की थीं. एक अनुमान के मुताबिक 24,000 फ्रांसीसी पासपोर्ट होल्डर जिनमें से अधिकांश दोहरी नागरिकता वाले हैं, वो लेबनान में हैं.
जर्मनी
जर्मनी ने सोमवार और बुधवार को दो वायु सेना उड़ानों में लेबनान से 241 लोगों को सुरक्षित निकाला. सरकार ने कहा कि लेबनान में अनुमानित 1,800 जर्मन नागरिकों की मदद करने के लिए बेरूत दूतावास चालू रहा.
नीदरलैंड
डच सरकार ने घोषणा की है कि वो बेरूत से डच लोगों को सैन्य विमान से वापस लाएगी. पहला रेस्क्यू शुक्रवार को और दूसरी शनिवार को होने की उम्मीद है. विदेश मंत्रालय ने कहा है कि लगभग 300 डच लोगों ने बाहर निकलने के लिए रजिस्टर कराया है.
ग्रीस
ग्रीस ने गुरुवार को लेबनान से दर्जनों ग्रीक और साइप्रस नागरिकों को निकालने के लिए साइप्रस को एक सी-130 सैन्य विमान भेजा, साथ ही दो और विमान स्टैंडबाय पर रखे गए. रक्षा मंत्री ने कि कुल 38 साइप्रस और 22 ग्रीक नागरिकों को सफलतापूर्वक निकाला गया. लेबनान में लगभग 3,500 ग्रीक नागरिक रहते हैं, इसके अलावा 1,000 अन्य आश्रित भी हैं.
स्पेन
स्पेनिश रक्षा मंत्रालय ने एक्स पर घोषणा की कि पहला सैन्य विमान शाम 5:00 बजे के बाद बेरूत से लगभग 200 स्पेनिश नागरिकों को लेकर मैड्रिड पहुंचा. स्पेनिश नागरिकों का दूसरा ग्रुप भी एक अन्य सैन्य विमान में सवार होकर मैड्रिड पहुंचा है. स्पेन की रक्षा मंत्री मार्गारीटा रोबल्स ने बुधवार को कहा था कि स्पेन बेरूत से लगभग 350 लोगों को निकालेगा. विदेश मंत्रालय ने कहा कि निकासी अभियान पूरा हो गया है और सफल रहा है. साथ ही कहा कि 200 स्पेनवासी, 40 लेबनानी और अर्जेंटीना, ब्रिटेन, फ्रांस, इटली, वेनेजुएला और अमेरिका के नागरिक भी इसमें सवार थे.
मोल्दोवा
मोल्दोवा के विदेश मंत्रालय ने बुधवार को यूक्रेन और अंतर्राष्ट्रीय प्रवासन संगठन के सहयोग से लेबनान से 11 मोल्दोवावासियों को बाहर निकाला, जिनमें ज़्यादातर बच्चे थे.
ब्रिटेन
ब्रिटेन ने बुधवार को बेरूत हवाई अड्डे से अपने नागरिकों के लिए एक कमर्शियल उड़ान किराए पर ली. ब्रिटेन सरकार ने कहा है कि ज़रूरत पड़ने पर आगे की उड़ानों की व्यवस्था की जा सकती है. पिछले हफ़्ते, लंदन ने लेबनान से अपने नागरिकों को निकालने के लिए साइप्रस में 700 सैनिकों की तैनाती की घोषणा की.
कनाडा
कनाडा ने लेबनान से अपने नागरिकों को निकालने के लिए कमर्शियल विमानों में 800 सीटें आरक्षित की हैं. लगभग 45,000 कनाडाई वर्तमान में लेबनान में हैं. अगर कमर्शियल उड़ानें बाधित होती हैं, तो कनाडाई सेना ने साइप्रस में आपातकालीन संसाधन स्थापित किए हैं.
शरणार्थी
संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी ने सोमवार को कहा कि इजरायली हवाई हमलों के कारण लेबनान से लगभग 100,000 लोग सीरिया चले गए हैं. सीरिया में UNHCR प्रतिनिधि ने कहा कि निकाले गए लोगों में ज़्यादातर महिलाएं और बच्चे हैं. लगभग 80 प्रतिशत सीरियाई नागरिक और 20 प्रतिशत लेबनानी थे. यूनिसेफ के अनुसार, लगभग 210,000 फ़िलिस्तीनी शरणार्थी लेबनान में शिविरों और बस्तियों में रहते हैं.
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