कैलिफोर्निया (अमेरिका) के स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय की भारतीय मूल की प्रोफेसर नलिनी अंबाडी ने आखिरकार बोन-मैरो दाता का इंतजार करते हुए मौत के आगे घुटने टेक दिए। रक्त कैंसर की बीमारी से पीड़ित नलिनी की बोस्टन में मंगलवार को मौत हो गई। उनके एक पारिवारिक मित्र ने यहां बुधवार को यह जानकारी दी।
नलिनी के पारिवारिक मित्र दिलीप डीसूजा ने बताया, "लगभग एक साल से वह अस्पतालों के चक्कर काट रही थीं। काफी प्रयासों के बाद बोस्टन के एक अस्पताल में उन्हें बोन-मैरो दाता मिलने की उम्मीद थी, लेकिन अंतिम समय में दाता बोन-मैरो देने से पीछे हट गया।"
उनके परिवार ने ऑनलाइन 13 दाता खोज लिए थे, लेकिन उनमें से आधे से ज्यादा दाता अंतिम समय में पीछे हट गए जबकि अन्य ने इससे इनकार कर दिया।
बीते चार-पांच सप्ताह से नलिनी की हालत ज्यादा बिगड़ गई थी और उनके अंगों ने काम करना बंद कर दिया था।
नलिनी के पति राज मर्फतिया ने मंगलवार सुबह उनके जन्म स्थान केरल और मुंबई में रह रहे उनके परिजनों और मित्रों सहित डीसूजा को उनके निधन की यह दुखद खबर दी।
नलिनी अंबाडी स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग में पहली भारतीय प्रोफेसर थीं। उन्हें शिक्षा के क्षेत्र में पुरस्कृत भी किया जा चुका था।
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