बर्कले स्थित कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में भारतीय मूल के वैज्ञानिक ने दवाओं की जांच में सुधार के लिए माइक्रोचिप पर धड़कता हुआ छोटा दिल विकसित किया है। फेफड़े, लीवर और आंत के बाद लैब में कृत्रिम रूप से विकसित किया गया यह चौथा मानव अंग है।
स्टेम कोशिका से बनाए गए ऊतक की मदद से शोधकर्ता यह अनुमान लगा सकते हैं कि क्या किसी खास दवाई का विपरीत प्रभाव हो सकता है या एक मरीज को कितनी दवाई की जरूरत होगी। शोधकर्ताओं का कहना है कि अगर यह पद्वति कारगर होती है, तो फिर इस काम में पशुओं के मॉडल की जरूरत नहीं पड़ेगी।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, यूसी बर्कले में मुख्य शोधकर्ता अनुराग माथुर ने कहा, "कई बार डॉक्टर और शोधकर्ता निश्चित दवाई के प्रभाव का आंकलन करने में नाकाम रहते हैं, क्योंकि गलत पद्वति का इस्तेमाल होता है, मसलन, चूहे दवाइयों पर उस तरह की प्रतिक्रिया नहीं देते, जैसा मानव ऊतक देता है।"
यह अध्ययन साइंटिफिक रिपोर्ट्स पत्रिका में प्रकाशित हुआ है। माथुर ने कहा कि इस छोटे से हृदय का भार मानव के बालों के समान होता है, जिसे मानव के प्लूरिपोटेंट स्टेम कोशिकाओं से बनाया जा रहा है, जो कई प्रकार के ऊतकों का निर्माण कर सकता है।
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