प्रतीकात्मक तस्वीर
वाशिंगटन:
भारत की पारंपरिक वायुसेना श्रेष्ठता वर्तमान में ‘‘खतरे’’ में है क्योंकि चीन और पाकिस्तान अपनी वायुसेना का तेजी से आधुनिकीकरण कर रहे हैं। अमेरिका के एक शीर्ष थिंकटैंक ने चेतावनी देते हुए कहा कि ‘‘संकट’’ का समाधान सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए।
‘कार्नेगी एंडाउमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस’ ने कहा, ‘‘विश्व स्तरीय लड़ाकू शक्ति होने के बावजूद वायुसेना की कम होती ताकत और समस्याग्रस्त बल संरचना के साथ ही खरीद एवं विकास कार्यक्रमों में समस्या ने भारत की वायु श्रेष्ठता को उसके मुकाबले तेजी से आधुनिक होते प्रतिद्वंद्वियों चीन एवं पाकिस्तान से खतरा उत्पन्न किया है।’’
भारत और दक्षिण एशिया पर शीर्ष अमेरिकी विशेषज्ञ एश्ली टेलिस द्वारा लिखित रिपोर्ट, ‘‘द मेनफेस्ट ट्रैवेल्स ऑफ द इंडियन एयरफोर्स’’ में कहा गया है कि दक्षिण एशिया में प्रतिरोधक क्षमता स्थिरता और भारत प्रशांत क्षेत्र में रणनीतिक स्थिरता संरक्षण के लिए भारतीय वायु प्रभुत्व जरूरी है।’’ टेलिस ने 60 पृष्ठों से अधिक की अपनी रिपोर्ट में कहा है, ‘‘भारत की वायुशक्ति संकट का समाधान नई दिल्ली की एक प्राथमिकता होनी चाहिए।’’
2016 में भारतीय वायुसेना की लड़ाकू ताकत सुझायी गई संख्या से कम है। यह वर्तमान में 36.5 स्क्वाड्रन है जो कि मंजूर ताकत से काफी कम है क्योंकि उसके अग्रिम पंक्ति के कई विमान पुराने हो गए हैं।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
‘कार्नेगी एंडाउमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस’ ने कहा, ‘‘विश्व स्तरीय लड़ाकू शक्ति होने के बावजूद वायुसेना की कम होती ताकत और समस्याग्रस्त बल संरचना के साथ ही खरीद एवं विकास कार्यक्रमों में समस्या ने भारत की वायु श्रेष्ठता को उसके मुकाबले तेजी से आधुनिक होते प्रतिद्वंद्वियों चीन एवं पाकिस्तान से खतरा उत्पन्न किया है।’’
भारत और दक्षिण एशिया पर शीर्ष अमेरिकी विशेषज्ञ एश्ली टेलिस द्वारा लिखित रिपोर्ट, ‘‘द मेनफेस्ट ट्रैवेल्स ऑफ द इंडियन एयरफोर्स’’ में कहा गया है कि दक्षिण एशिया में प्रतिरोधक क्षमता स्थिरता और भारत प्रशांत क्षेत्र में रणनीतिक स्थिरता संरक्षण के लिए भारतीय वायु प्रभुत्व जरूरी है।’’ टेलिस ने 60 पृष्ठों से अधिक की अपनी रिपोर्ट में कहा है, ‘‘भारत की वायुशक्ति संकट का समाधान नई दिल्ली की एक प्राथमिकता होनी चाहिए।’’
2016 में भारतीय वायुसेना की लड़ाकू ताकत सुझायी गई संख्या से कम है। यह वर्तमान में 36.5 स्क्वाड्रन है जो कि मंजूर ताकत से काफी कम है क्योंकि उसके अग्रिम पंक्ति के कई विमान पुराने हो गए हैं।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
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