लंदन:
केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी के यह कहने पर कि देश को ब्रिटेन से मिलने वाली मदद की जरूरत नहीं है, ब्रिटेन के सांसदों ने मांग की कि भारत को दी जाने वाली सहायता तुरंत बंद की जाए।
मुखर्जी ने कहा था कि भारत को स्वेच्छा से हर साल ब्रिटेन से मिलने वाली 28 करोड़ पाउंड की सहायता लेना बंद कर देना चाहिए।
समाचार पत्र डेली मेल ने यहां मुखर्जी को यह कहते हुए उद्धृत किया था कि यह सहायता हमारे कुल विकास खर्च में मटर के दाने के बराबर है।
भारत द्वारा एक बड़े रक्षा सौदे के लिए फ्रांस की कम्पनी को चुने जाने के बाद ब्रिटिश सांसदों का गुस्सा फूट पड़ा है।
सांसद फिलिप डेविस ने भारत को दी जाने वाली सहायता तुरंत रोकने की मांग की।
डेविस ने कहा, "भारत रक्षा और अंतरिक्ष कार्यक्रम पर अरबों डॉलर खर्च करता है। ऐसी स्थिति में उसे सहायता नहीं दी जा सकती।" उन्होंने कहा, "ऐसी स्थिति में जब वह यह सहायता चाहता भी नहीं है, तो इसे जारी नहीं रखा जाना चाहिए।"
एक अन्य सांसद डगलस कार्सवेल ने कहा कि यह एक अन्य प्रमाण है, जिससे साबित होता है कि ब्रिटेन का सहायता कार्यक्रम सरकारी अधिकारियों के हित को पूरा करता है।
मुखर्जी ने कहा था कि भारत को स्वेच्छा से हर साल ब्रिटेन से मिलने वाली 28 करोड़ पाउंड की सहायता लेना बंद कर देना चाहिए।
समाचार पत्र डेली मेल ने यहां मुखर्जी को यह कहते हुए उद्धृत किया था कि यह सहायता हमारे कुल विकास खर्च में मटर के दाने के बराबर है।
भारत द्वारा एक बड़े रक्षा सौदे के लिए फ्रांस की कम्पनी को चुने जाने के बाद ब्रिटिश सांसदों का गुस्सा फूट पड़ा है।
सांसद फिलिप डेविस ने भारत को दी जाने वाली सहायता तुरंत रोकने की मांग की।
डेविस ने कहा, "भारत रक्षा और अंतरिक्ष कार्यक्रम पर अरबों डॉलर खर्च करता है। ऐसी स्थिति में उसे सहायता नहीं दी जा सकती।" उन्होंने कहा, "ऐसी स्थिति में जब वह यह सहायता चाहता भी नहीं है, तो इसे जारी नहीं रखा जाना चाहिए।"
एक अन्य सांसद डगलस कार्सवेल ने कहा कि यह एक अन्य प्रमाण है, जिससे साबित होता है कि ब्रिटेन का सहायता कार्यक्रम सरकारी अधिकारियों के हित को पूरा करता है।