लंदन:
बढ़ती समुद्री डकैती को लेकर भारत ने अपनी चिंता जाहिर करते हुए सोमालिया के साथ एकजुटता व्यक्त की है। साथ ही युद्धग्रस्त राष्ट्र में स्थिरता लोने के लिए वैश्विक प्रयासों का समर्थन भी किया है।
भारत के विदेश राज्य मंत्री ई. अहमद ने गुरुवार को लंदन में आयोजित एक वैश्विक सम्मेलन के दौरान कहा, "भारत, सोमालिया में स्थिरता चाहता है। समुद्री डकैती स्थिरता की कमी का सबसे बड़ा उदाहरण है।" उन्होंने बताया, "हम संयुक्त राष्ट्र के नेतृत्व में हो रहे उन सभी अंतरराष्ट्रीय प्रयासों का समर्थन करते हैं, जो सोमालिया में हर प्रकार की हिंसा से रहित वातावरण बनाने के लिए किए जा रहे हैं। ऐसा वातावरण जिसमें सोमालिया के लोग खुद की देखभाल कर सकें।" उन्होंने कहा कि कई भारतीय नाविक अब भी सोमालिया में समुद्री डकैतों की कैद में हैं। हमें उम्मीद है कि इस महत्वपूर्ण सम्मेलन के परिणाम में हमारी चिंताओं का तवज्जो दी जाएगी।
"हम अब भी सोमालिया के विकास में मदद करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।"
भारत ने सोमालिया के सामने मानव संसाधन विकास के माध्यम से क्षमता निर्माण के लिए मदद की पेशकश भी की थी, जिससे सोमालिया को सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहायता मिली है।
गौरतलब है कि बीते वर्ष हुए भारत-अफ्रीका शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सोमालिया में अफ्रीकी संघ अभियान को बढ़ावा देने के लिए आर्थिक मदद का वादा भी किया था। भारत ने सोमालिया के लिए बने 'एयू ट्रस्ट फंड' में 15 लाख डॉलर और 'यूएन ट्रस्ट फंड' को पांच लाख डॉलर का योगदान दिया है।
इस क्षेत्र में समुद्री डकैती पर नियंत्रण पाना समुद्री सुरक्षा के लिहाज से भारत के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। प्रति वर्ष भारत अदन की खाड़ी के रास्ते लगभग 120 अरब डॉलर का व्यापार करता है।
भारत समुद्री डकैत निरोधी नीति और रणनीति के विकास के लिए सोमालिया को तकनीकी सहायता बढ़ाने की योजना भी बना रहा है।
भारत के विदेश राज्य मंत्री ई. अहमद ने गुरुवार को लंदन में आयोजित एक वैश्विक सम्मेलन के दौरान कहा, "भारत, सोमालिया में स्थिरता चाहता है। समुद्री डकैती स्थिरता की कमी का सबसे बड़ा उदाहरण है।" उन्होंने बताया, "हम संयुक्त राष्ट्र के नेतृत्व में हो रहे उन सभी अंतरराष्ट्रीय प्रयासों का समर्थन करते हैं, जो सोमालिया में हर प्रकार की हिंसा से रहित वातावरण बनाने के लिए किए जा रहे हैं। ऐसा वातावरण जिसमें सोमालिया के लोग खुद की देखभाल कर सकें।" उन्होंने कहा कि कई भारतीय नाविक अब भी सोमालिया में समुद्री डकैतों की कैद में हैं। हमें उम्मीद है कि इस महत्वपूर्ण सम्मेलन के परिणाम में हमारी चिंताओं का तवज्जो दी जाएगी।
"हम अब भी सोमालिया के विकास में मदद करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।"
भारत ने सोमालिया के सामने मानव संसाधन विकास के माध्यम से क्षमता निर्माण के लिए मदद की पेशकश भी की थी, जिससे सोमालिया को सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहायता मिली है।
गौरतलब है कि बीते वर्ष हुए भारत-अफ्रीका शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सोमालिया में अफ्रीकी संघ अभियान को बढ़ावा देने के लिए आर्थिक मदद का वादा भी किया था। भारत ने सोमालिया के लिए बने 'एयू ट्रस्ट फंड' में 15 लाख डॉलर और 'यूएन ट्रस्ट फंड' को पांच लाख डॉलर का योगदान दिया है।
इस क्षेत्र में समुद्री डकैती पर नियंत्रण पाना समुद्री सुरक्षा के लिहाज से भारत के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। प्रति वर्ष भारत अदन की खाड़ी के रास्ते लगभग 120 अरब डॉलर का व्यापार करता है।
भारत समुद्री डकैत निरोधी नीति और रणनीति के विकास के लिए सोमालिया को तकनीकी सहायता बढ़ाने की योजना भी बना रहा है।