
- डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया है कि भारत ने रूस से समुद्री कच्चे तेल की खरीद बंद करने का आश्वासन दिया है.
- ट्रंप ने कहा कि भारत रूस से तेल नहीं खरीदेगा, जिससे रूस-यूक्रेन के बीच सीजफायर आसान हो जाएगा.
- सितंबर में भी रूस, भारत के लिए कच्चे तेल का सबसे बड़ा स्रोत था, आयात में मामूली गिरावट देखी गई.
भारत अब रूस से तेल नहीं खरीदेगा, ये दावा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने किया है. ट्रंप का दावा है कि भारत ने उन्हें ये आश्वासन दिया है कि वह रूस से होने वाले समुद्री कच्चे तेल के निर्यात पर लगाम लगाएगा. यह बात ऐसे समय में कही गई है, जब कुछ महीने पहले अमेरिका ने रूस से तेल खरीदने को लेकर भारत पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने का ऐलान किया था. ट्रंप ने यह भी कहा कि जैसे-जैसे अमेरिका रूस के एनर्जी रेवेन्यू में कटौती करने की कोशिश तेज कर रहा है, वैसा ही चीन के साथ भी करने की कोशिश की जाएगी. बता दें कि भारत और चीन रूस से बड़ी मात्रा में समुद्री कच्चा तेल खरीदते हैं.
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ट्रंप ने दावा किया कि अगर भारत रूस से तेल नहीं खरीदता है, तो उनके लिए रूस-यूक्रेन के बीच सीजफायर करना बहुत आसान हो जाएगा.
ट्रंप के बयान पर भारत ने क्या कहा?
भारत ने ट्रंप के बयान की न ही पुष्टि की है और न ही खंडन किया है. ट्रंप के टैरिफ लगाने के बाद भी भारत अब तक रूस से तेल खरीदने का लगातार बचाव करता रहा है. भले ही मास्को ने यूक्रेन पर हमला किया हो, लेकिन भारत ने कहा है कि ऊर्जा की कीमतें कम रखने और अपने घरेलू बाजार को स्थिर रखने के लिए रूसी तेल आयात जरूरी था. साथ ही उसने अमेरिकी टैरिफ को अनुचित बताया.
ट्रंप के टैरिफ के बाद भी तेल की खरीद जारी
बता दें कि ट्रंप प्रशासन ने रूस से तेल की खरीद के लिए भारत पर 25 प्रतिशत का अतिरिक्त टैरिफ लगाया है, जिसके बाद भारत पर अमेरिका का टैरिफ 50 प्रतिशत हो गया है, जो दुनिया में सबसे ज्यादा है. चीन भी रूस से बड़ी मात्रा में कच्चा तेल खरीदता है, लेकिन ट्रंप के टैरिफ को सबसे ज्यादा भारत झेल रहा है.
जानें, क्या कहते हैं तेल निर्यात के आंकड़े
ट्रंप के दावे के बाद भी रूस अभी भी भारत के लिए तेल का सबसे बड़ा सोर्स है. कमोडिटी और शिपिंग मार्केट्स ट्रैकर केप्लर के आंकड़ों के मुताबिक, 2025 के पहले 8 महीनों में आयात में 10 प्रतिशत की गिरावट के बाद भी, अकेले सितंबर में भारत की आवक शिपमेंट में 34 प्रतिशत की हिस्सेदारी रही.
रूस से कौन-कौन खरीद रहा फॉसिल फ्यूल?
एजेंसी के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, सितंबर में भारत का कच्चे तेल का आयात 45 लाख बैरल प्रतिदिन (बैरल प्रति दिन) से ज्यादा रहा. यह अगस्त में हुए आयात से 70,000 बैरल ज्यादा है. लेकिन पिछले साल की समान अवधि की तुलना में इसमें मामूली गिरावट आई है.

आंकड़ों के मुताबिक, भारत की सरकारी रिफाइनरियों ने जून और सितंबर के बीच रूसी तेल आयात में 45 प्रतिशत से ज़्यादा की कमी की है. फिर भी, ऐसा लगता है कि भारत में कच्चे तेल के आयात पर कोई असर नहीं पड़ा, क्योंकि यह कमी मार्केट डायनेमिक्स की वजह से हुई है, न कि ट्रंप की टैरिफ धमकी और यूक्रेन युद्ध के बीच भारत के व्यापार पर यूरोपीय आलोचना की वजह से.
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