नई दिल्ली:
भारत और रूस ने अपने बहुपक्षीय सम्बंधों को प्रगाढ़ बनाते हुए सोमवार को विभिन्न क्षेत्रों में 10 समझौतों पर हस्ताक्षर किए और कुडनकुलम परमाणु विद्युत संयंत्र की तीसरी और चौथी इकाई से सम्बंधित मुद्दों को सुलझाने में अच्छी प्रगति की।
इन समझौतों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को बढ़ावा देने व सुखोई विमान से सम्बंधित समझौते शामिल हैं।
पश्चिमी सेनाओं की अफगानिस्तान से 2014 में वापसी की योजना के मद्देनजर दोनों देशों ने अफगानिस्तान में चरमवाद और नशीले पदार्थों की तस्करी से निपटने में घनिष्ठ सहयोग पर भी सहमति जताई।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आर्थिक सम्बंधों, रक्षा सम्बंधों, असैन्य परमाणु सहयोग को गहन बनाने तथा एशियाई व्यवस्था विकसित करने सहित व्यापक मुद्दों पर चर्चा की।
पुतिन, मनमोहन सिंह के साथ 13वीं वार्षिक शिखर बैठक के लिए दिनभर के भारत दौरे पर आए हुए हैं।
मनमोहन सिंह ने बातचीत के बाद कहा, "हम रूस की गाढ़ी मित्रता और उसके द्वारा भारत को दी जाने वाली मदद को अत्यंत महत्व देते हैं, जो कि वैश्विक घटनाक्रमों के प्रभाव से परे है। इस रिश्ते के लिए भारतीयों के मन व मस्तिष्क में एक विशेष स्थान है, तथा भारत इसे और प्रगाढ़ बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।"
तमिलनाडु में कुडनकुलम परमाणु विद्युत संयंत्र की तीसरी और चौथी इकाई पर असैन्य परमाणु दायित्व कानून के लागू होने को लेकर पैदा हुए मतभेदों पर एक अस्पष्ट संकेत में मनमोहन सिंह ने कहा, "तीसरी और चौथी इकाई के निर्माण के लिए बातचीत में अच्छी प्रगति हुई है।"
मनमोहन ने प्रधानमंत्री के रूप में पुतिन के 2010 के दौरे के दौरान परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में हुए सहयोग समझौते के क्रियान्वयन के प्रति भारत की प्रतिबद्धता दोहराई।
रूस ने कहा है कि असैन्य परमाणु दायित्व कानून इन इकाइयों पर लागू नहीं होना चाहिए, क्योंकि इनसे सम्बंधित समझौता 2010 के असैन्य दायित्व कानून से पहले हुआ था और इसे 1988 के समझौते पर लागू नहीं किया जा सकता।
दूसरी ओर भारत ने संकेत दिया है कि वह कीमत बढ़ाने के लिए तैयार है, लेकिन स्पष्ट कर दिया है कि वह असैन्य परमाणु दायित्व व्यवस्था के साथ कोई समझौता नहीं कर सकता। तीसरी और चौथी इकाई के लिए मूल्य निर्धारण एक तकनीकी-वाणिज्यिक समिति द्वारा किया जाएगा।
दोनों पक्षों ने सांस्कृतिक आदान-प्रदान, निवेश और विदेश विभाग के बीच राय-मशविरे जैसे विविध क्षेत्रों में कई समझौतों पर हस्ताक्षर किए।
भारत-रूस सम्बंधों की रीढ़, रक्षा सम्बंधों को 71 एमआई-17 वी-5 हेलीकॉप्टरों की आपूर्ति के एक सैन्य-तकनीकी करार से बढ़ावा मिला है। पहले फरवरी 2010 में 59 एमआई-17 वी-5 खरीदने का करार हुआ था, जिसे बढ़ाकर 71 कर दिया गया है।
एक अन्य महत्वपूर्ण समझौता एसयू-30एमकेआई विमान के नियमसम्मत उत्पादन के लिए 42 प्रौद्योगिकीय किट्स की आपूर्ति से सम्बंधित है।
42 अतिरिक्त एसयू-30एमकेआई विमानों के नियमसम्मत विनिर्माण पर प्रोटोकॉल-2 पर वार्षिक शिखर बैठक-2011 के दौरान हस्ताक्षर हुआ था।
दोनों पक्षों ने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को बढ़ावा देने से सम्बंधित एक समझौते पर भी हस्ताक्षर किया। इससे महत्वपूर्ण द्विपक्षीय परियोजनाओं या कम्पनियों में दो अरब डॉलर तक के निवेश का रास्ता साफ हो गया है।
रणनीतिक मोर्चे पर क्षेत्र में आतंकवाद को लेकर भारत की चिंताओं को रूस से पूर्ण समर्थन मिला है। दोनों पक्षों ने अफगानिस्तान में चरमवाद और नशीले पदार्थो की तस्करी से मिलकर निपटने का संकल्प लिया।
मनमोहन ने कहा, "हमने अफगानिस्तान के घटनाक्रमों की समीक्षा की और हम चरमवादी विचारधाराओं और नशीले पदार्थों की तस्करी द्वारा पैदा हुए खतरों के खिलाफ मिलकर काम करने पर सहमत हुए।"
इन समझौतों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को बढ़ावा देने व सुखोई विमान से सम्बंधित समझौते शामिल हैं।
पश्चिमी सेनाओं की अफगानिस्तान से 2014 में वापसी की योजना के मद्देनजर दोनों देशों ने अफगानिस्तान में चरमवाद और नशीले पदार्थों की तस्करी से निपटने में घनिष्ठ सहयोग पर भी सहमति जताई।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आर्थिक सम्बंधों, रक्षा सम्बंधों, असैन्य परमाणु सहयोग को गहन बनाने तथा एशियाई व्यवस्था विकसित करने सहित व्यापक मुद्दों पर चर्चा की।
पुतिन, मनमोहन सिंह के साथ 13वीं वार्षिक शिखर बैठक के लिए दिनभर के भारत दौरे पर आए हुए हैं।
मनमोहन सिंह ने बातचीत के बाद कहा, "हम रूस की गाढ़ी मित्रता और उसके द्वारा भारत को दी जाने वाली मदद को अत्यंत महत्व देते हैं, जो कि वैश्विक घटनाक्रमों के प्रभाव से परे है। इस रिश्ते के लिए भारतीयों के मन व मस्तिष्क में एक विशेष स्थान है, तथा भारत इसे और प्रगाढ़ बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।"
तमिलनाडु में कुडनकुलम परमाणु विद्युत संयंत्र की तीसरी और चौथी इकाई पर असैन्य परमाणु दायित्व कानून के लागू होने को लेकर पैदा हुए मतभेदों पर एक अस्पष्ट संकेत में मनमोहन सिंह ने कहा, "तीसरी और चौथी इकाई के निर्माण के लिए बातचीत में अच्छी प्रगति हुई है।"
मनमोहन ने प्रधानमंत्री के रूप में पुतिन के 2010 के दौरे के दौरान परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में हुए सहयोग समझौते के क्रियान्वयन के प्रति भारत की प्रतिबद्धता दोहराई।
रूस ने कहा है कि असैन्य परमाणु दायित्व कानून इन इकाइयों पर लागू नहीं होना चाहिए, क्योंकि इनसे सम्बंधित समझौता 2010 के असैन्य दायित्व कानून से पहले हुआ था और इसे 1988 के समझौते पर लागू नहीं किया जा सकता।
दूसरी ओर भारत ने संकेत दिया है कि वह कीमत बढ़ाने के लिए तैयार है, लेकिन स्पष्ट कर दिया है कि वह असैन्य परमाणु दायित्व व्यवस्था के साथ कोई समझौता नहीं कर सकता। तीसरी और चौथी इकाई के लिए मूल्य निर्धारण एक तकनीकी-वाणिज्यिक समिति द्वारा किया जाएगा।
दोनों पक्षों ने सांस्कृतिक आदान-प्रदान, निवेश और विदेश विभाग के बीच राय-मशविरे जैसे विविध क्षेत्रों में कई समझौतों पर हस्ताक्षर किए।
भारत-रूस सम्बंधों की रीढ़, रक्षा सम्बंधों को 71 एमआई-17 वी-5 हेलीकॉप्टरों की आपूर्ति के एक सैन्य-तकनीकी करार से बढ़ावा मिला है। पहले फरवरी 2010 में 59 एमआई-17 वी-5 खरीदने का करार हुआ था, जिसे बढ़ाकर 71 कर दिया गया है।
एक अन्य महत्वपूर्ण समझौता एसयू-30एमकेआई विमान के नियमसम्मत उत्पादन के लिए 42 प्रौद्योगिकीय किट्स की आपूर्ति से सम्बंधित है।
42 अतिरिक्त एसयू-30एमकेआई विमानों के नियमसम्मत विनिर्माण पर प्रोटोकॉल-2 पर वार्षिक शिखर बैठक-2011 के दौरान हस्ताक्षर हुआ था।
दोनों पक्षों ने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को बढ़ावा देने से सम्बंधित एक समझौते पर भी हस्ताक्षर किया। इससे महत्वपूर्ण द्विपक्षीय परियोजनाओं या कम्पनियों में दो अरब डॉलर तक के निवेश का रास्ता साफ हो गया है।
रणनीतिक मोर्चे पर क्षेत्र में आतंकवाद को लेकर भारत की चिंताओं को रूस से पूर्ण समर्थन मिला है। दोनों पक्षों ने अफगानिस्तान में चरमवाद और नशीले पदार्थो की तस्करी से मिलकर निपटने का संकल्प लिया।
मनमोहन ने कहा, "हमने अफगानिस्तान के घटनाक्रमों की समीक्षा की और हम चरमवादी विचारधाराओं और नशीले पदार्थों की तस्करी द्वारा पैदा हुए खतरों के खिलाफ मिलकर काम करने पर सहमत हुए।"