अमेरिका के वित्त मंत्रालय ने भारतीय मुद्रा को अपनी निगरानी सूची से हटा दिया है. हालांकि चीन अभी भी अमेरिका की निगरानी सूची में है और इसी के साथ उसने एशियाई देश से कहा है कि वह अपनी 'लगातार कमजोर' करेंसी को ठीक करने के लिए जरूरी कदम उठाए. आपको बता दें कि अमेरिका उन देशों की करंसी को निगरानी सूची में रखता है, जिनकी विदेशी विनिमय दर पर उसे शक होता है. अमेरिका ने पिछले साल अक्टूबर में भारत के अलावा चीन, जर्मनी, जापान, दक्षिण कोरिया और स्विट्जरलैंड को निगरानी सूची में डाला था.
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अंतरराष्ट्रीय आर्थिक और विनिमय दर नीतियों पर तैयार रिपोर्ट को यूएस कांग्रेस के सामने पेश करते हुए वित्त मंत्रालय ने मंगलवार को भारत और स्विट्जरलैंड को निगरानी सूची से हटा दिया.
वहीं, चीन के लिए बुरी खबर यह है कि उसकी करंसी अभी भी अमेरिका की निगरानी सूची में है. वित्त मंत्री सचिव स्टीवन नुचिन ने अपने बयान में कहा, ''मंत्रालय जोर देता है कि चीन अपनी 'लगातार कमजोर' होती करंसी को दुरुस्त करने के लिए जरूरी कदम उठाए.''
नुचिन ने अपने बयान में कहा कि चीन की करंसी रॅन्मिन्बी (Renminbi) डॉलर के मुकाबले पिछले एक साल में आठ फीसदी तक नीचे गिर गई है. उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका के साथ चीन का व्यापर भी अत्यधिक बढ़ा है.
रिपोर्ट में कहा गया है, "दिसंबर 2018 तक अमेरिका के साथ चीन का माल व्यापार अधिशेष चार तिमाहियों में 419 बिलियन डॉलर है."
वित्त मंत्रालय की ताजा रिपोर्ट के अनुसार चीन के अलावा निगरानी सूची में जापान, दक्षिण कोरिया, जर्मनी, आयरलैंड, इटली, मलेशिया, वियतनाम और सिंगापुर शामिल हैं. हालांकि वित्त मंत्रालय ने अपनी रिपोर्ट में चीन या अन्य प्रमुख व्यापारिक पार्टनर देशों को करंसी में जोड़तोड़ करने वाला नहीं बताया है.
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